बलिया: जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं किस कदर बदहाल हैं, इसकी बानगी शुक्रवार को देखने को मिली. जहां रसड़ा तहसील के नागपुर गांव में 50 से अधिक मरीज डायरिया से बीमार हो गए. जिसके बाद सभी को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस दौरान अस्पताल की इमरजेंसी में बेड उपलब्ध नहीं होने की वजह से मरीजों को जमीन पर ही लिटाकर इलाज किया गया.
जिला अस्पताल में जमीन पर लिटाकर मरीजों का इलाज
- प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हर वर्ष अपने बजट में करोड़ों रुपए का प्रावधान करती है.
- बजट के पीछे सरकार का यह आशय होता है कि समाज के पिछड़े और गरीब लोगों को सरकारी अस्पताल में बेहतर इलाज मिल सके.
- बलिया के जिला अस्पताल में शुक्रवार को जब मरीजों को जमीन पर लिटाकर इलाज किया गया को यह सब बेइमानी सा लगा.
- रसड़ा तहसील के नागपुर गांव में दूषित पानी पीने से 4 दर्जन से अधिक लोग डायरिया के शिकार हो गए, इनमें से अधिकांश मासूम बच्चे थे.
- जिला प्रशासन को जब इतनी बड़ी संख्या में लोगों के बीमार होने की जानकारी हुई तो एंबुलेंस के माध्यम से सभी को जिला चिकित्सालय की इमरजेंसी में पहुंचाया गया.
- अस्पताल में इमरजेंसी सेवाओं का अभाव देखने को मिला.
- इलाज के लिए पहुंचे मरीजों को जमीन पर लिटाकर उनका इलाज किया गया.
नारायणपुर गांव में दूषित पानी पीने से 50 सालों उल्टी-दस्त के शिकार हो गए हैं. उसके बाद हम लोग जिला अस्पताल आए हैं. इलाज के लिए इस बीमारी से एक बच्ची की भी मौत हो गई है. अस्पताल में हम लोगों को बेड उपलब्ध नहीं हो पाया, हम लोग जमीन पर ही बैठे हुए हैं.
-दीप नारायण,मरीज
इमरजेंसी में लिमिटेड 15 बेड ही है, लेकिन एक साथ बल्क में 40-50 मरीज आ गए हैं, इसलिए बेड की कमी हो गई है. मरीजों का लगातार इलाज करके बच्चों को पेडियाट्रिक वार्ड में और बड़े लोगों को मेडिकल वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है.
-डॉ. रितेश कुमार सोनी, इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर