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बलिया जिला अस्पताल में डायरिया का कहर, मरीजों का इलाज फर्श पर

उत्तर प्रदेश के बलिया के जिला अस्पताल में मरीजों को जमीन पर लिटाकर इलाज करने का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है की 50 से अधिक मरीज डायरिया से बीमार हो गए, जिनको इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया गया. इमरजेंसी में बेड न होने पर मरीजों को जमीन पर ही लिटाकर ही इलाज किया जाने लगा.

जमीन पर लेटा कर हुआ मरीजों का इलाज
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Published : Oct 11, 2019, 8:07 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलिया: जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं किस कदर बदहाल हैं, इसकी बानगी शुक्रवार को देखने को मिली. जहां रसड़ा तहसील के नागपुर गांव में 50 से अधिक मरीज डायरिया से बीमार हो गए. जिसके बाद सभी को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस दौरान अस्पताल की इमरजेंसी में बेड उपलब्ध नहीं होने की वजह से मरीजों को जमीन पर ही लिटाकर इलाज किया गया.

जमीन पर लिटाकर किया गया मरीजों का इलाज.

जिला अस्पताल में जमीन पर लिटाकर मरीजों का इलाज

  • प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हर वर्ष अपने बजट में करोड़ों रुपए का प्रावधान करती है.
  • बजट के पीछे सरकार का यह आशय होता है कि समाज के पिछड़े और गरीब लोगों को सरकारी अस्पताल में बेहतर इलाज मिल सके.
  • बलिया के जिला अस्पताल में शुक्रवार को जब मरीजों को जमीन पर लिटाकर इलाज किया गया को यह सब बेइमानी सा लगा.
  • रसड़ा तहसील के नागपुर गांव में दूषित पानी पीने से 4 दर्जन से अधिक लोग डायरिया के शिकार हो गए, इनमें से अधिकांश मासूम बच्चे थे.
  • जिला प्रशासन को जब इतनी बड़ी संख्या में लोगों के बीमार होने की जानकारी हुई तो एंबुलेंस के माध्यम से सभी को जिला चिकित्सालय की इमरजेंसी में पहुंचाया गया.
  • अस्पताल में इमरजेंसी सेवाओं का अभाव देखने को मिला.
  • इलाज के लिए पहुंचे मरीजों को जमीन पर लिटाकर उनका इलाज किया गया.

नारायणपुर गांव में दूषित पानी पीने से 50 सालों उल्टी-दस्त के शिकार हो गए हैं. उसके बाद हम लोग जिला अस्पताल आए हैं. इलाज के लिए इस बीमारी से एक बच्ची की भी मौत हो गई है. अस्पताल में हम लोगों को बेड उपलब्ध नहीं हो पाया, हम लोग जमीन पर ही बैठे हुए हैं.
-दीप नारायण,मरीज


इमरजेंसी में लिमिटेड 15 बेड ही है, लेकिन एक साथ बल्क में 40-50 मरीज आ गए हैं, इसलिए बेड की कमी हो गई है. मरीजों का लगातार इलाज करके बच्चों को पेडियाट्रिक वार्ड में और बड़े लोगों को मेडिकल वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है.
-डॉ. रितेश कुमार सोनी, इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर

बलिया: जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं किस कदर बदहाल हैं, इसकी बानगी शुक्रवार को देखने को मिली. जहां रसड़ा तहसील के नागपुर गांव में 50 से अधिक मरीज डायरिया से बीमार हो गए. जिसके बाद सभी को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस दौरान अस्पताल की इमरजेंसी में बेड उपलब्ध नहीं होने की वजह से मरीजों को जमीन पर ही लिटाकर इलाज किया गया.

जमीन पर लिटाकर किया गया मरीजों का इलाज.

जिला अस्पताल में जमीन पर लिटाकर मरीजों का इलाज

  • प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हर वर्ष अपने बजट में करोड़ों रुपए का प्रावधान करती है.
  • बजट के पीछे सरकार का यह आशय होता है कि समाज के पिछड़े और गरीब लोगों को सरकारी अस्पताल में बेहतर इलाज मिल सके.
  • बलिया के जिला अस्पताल में शुक्रवार को जब मरीजों को जमीन पर लिटाकर इलाज किया गया को यह सब बेइमानी सा लगा.
  • रसड़ा तहसील के नागपुर गांव में दूषित पानी पीने से 4 दर्जन से अधिक लोग डायरिया के शिकार हो गए, इनमें से अधिकांश मासूम बच्चे थे.
  • जिला प्रशासन को जब इतनी बड़ी संख्या में लोगों के बीमार होने की जानकारी हुई तो एंबुलेंस के माध्यम से सभी को जिला चिकित्सालय की इमरजेंसी में पहुंचाया गया.
  • अस्पताल में इमरजेंसी सेवाओं का अभाव देखने को मिला.
  • इलाज के लिए पहुंचे मरीजों को जमीन पर लिटाकर उनका इलाज किया गया.

नारायणपुर गांव में दूषित पानी पीने से 50 सालों उल्टी-दस्त के शिकार हो गए हैं. उसके बाद हम लोग जिला अस्पताल आए हैं. इलाज के लिए इस बीमारी से एक बच्ची की भी मौत हो गई है. अस्पताल में हम लोगों को बेड उपलब्ध नहीं हो पाया, हम लोग जमीन पर ही बैठे हुए हैं.
-दीप नारायण,मरीज


इमरजेंसी में लिमिटेड 15 बेड ही है, लेकिन एक साथ बल्क में 40-50 मरीज आ गए हैं, इसलिए बेड की कमी हो गई है. मरीजों का लगातार इलाज करके बच्चों को पेडियाट्रिक वार्ड में और बड़े लोगों को मेडिकल वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है.
-डॉ. रितेश कुमार सोनी, इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर

Intro:बलिया जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं किस कदर बदहाल है इसकी बानगी शुक्रवार को देखने को मिली रसा तहसील क्षेत्र के नागपुर गांव के 50 से अधिक मरीज डायरिया से बीमार हो गए सभी को जिला अस्पताल पहुंचाया गया तो अस्पताल की इमरजेंसी में बेड उपलब्ध नहीं हो पाए और मरीजों को जमीन पर ही इलाज दिया गया


Body:प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हर वर्ष अपने बजट में करोड़ों रुपए का प्रावधान करती है ताकि समाज के पिछड़े और गरीब लोगों को सरकारी अस्पताल में बेहतर इलाज मिल सके लेकिन बलिया के जिला अस्पताल के इमरजेंसी में मरीजों को बेड तक नसीब नहीं हो पाते

शुक्रवार को रसड़ा तहसील के नागपुर गांव में दूषित पानी पीने से 4 दर्जन से अधिक लोग डायरिया के शिकार हो गए इनमें से अधिकांश मासूम बच्चे थे जिला प्रशासन को जब इतनी बड़ी संख्या में लोगों के बीमार होने की जानकारी हुई तो एंबुलेंस के माध्यम से सभी को जिला चिकित्सालय की इमरजेंसी में पहुंचाया गया लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा पहले से कोई मुकम्मल व्यवस्था न किए जाने के कारण मरीजों को जमीन पर लिटा दिया गया और वहीं उनका इलाज शुरू किया गया


Conclusion:डायरिया के पीड़ित मरीज दीप नारायण ने बताया कि नारायणपुर गांव में दूषित पानी पीने से 50 सालों उल्टी-दस्त के शिकार हो गए हैं उसके बाद हम लोग जिला अस्पताल आए हैं इलाज के लिए इस बीमारी से एक बच्ची की भी मौत हो गई है अस्पताल में हम लोगों को बेड उपलब्ध नहीं हो पाया हम लोग जमीन पर ही बैठे हुए हैं

इमरजेंसी में मरीजों को बेड उपलब्ध नहीं होने पर जिला अस्पताल के इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर रितेश कुमार सोनी ने बताया कि इमरजेंसी में लिमिटेड 15 बेड है लेकिन एक साथ बल्क में 40 50 मरीज आ गए हैं इसलिए बेड की कमी हो गई है मरीजों का लगातार इलाज करके बच्चों को पेडियाट्रिक वार्ड में और बड़े लोगों को मेडिकल वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है

बाइट1--दीप नारायण---मरीज
बाइट2--डॉ रितेश कुमार सोनी---एमरजेंसी मेडिकल आफिसर

प्रशान्त बनर्जी
बलिया
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST
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