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बहराइच: घाघरा की कटान से ग्रामीण भयभीत, एसडीएम ने किया गांवों का दौरा - ghaghra river shrinkage in coastal areas

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में घाघरा नदी में कटान तेज हो गई है. वहीं इस कटान से अब तक कई बीघा की फसल और लोगों के मकान नदी की धारा में विलीन हो गए हैं.

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Published : Jul 29, 2020, 9:31 AM IST

बहराइच: जिले में घाघरा का जलस्तर घटने के साथ घाघरा ने तटवर्ती गांवों में कटान शुरू कर दी है. घाघरा की कटान का कहर कैसरगंज तहसील क्षेत्र के ग्यारह सौ रेती और मंझारा तौकली गांवों में शुरू हो गया है. अब तक दर्जनों मकान और सैकड़ों बीघे फसल घाघरा की धारा में विलीन हो चुकी है. आज ग्यारह सौ रेती गांव के दो मकान और 20 बीघा कृषि योग्य भूमि घाघरा की क्रूर लहरों में समा गए हैं. कटान की सूचना पर एसडीएम कैसरगंज महेश कुमार कैथल ने कटान प्रभावित क्षेत्र का दौरा ग्रामीणों को हर संभव मदद उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया.

बहराइच में घाघरा के तटवर्ती गांवों में कटान का सिलसिला जारी है. आज दो घर और 20 बीघा जमीन कटने के बाद भी घाघरा का कहर जारी रहा है. कटान की स्थिति का जायजा लेने के लिए उप जिलाधिकारी कैसरगंज ने प्रभावित गांव का दौरा किया. उन्होंने ग्रामीणों को सुरक्षा के टिप्स दिए. मंझारा तौकली और ग्यारह सौ रेती गांव में घाघरा ने कटान तेज कर दी है. कटान में दो मकान और 20 बीघा खेती योग्य जमीन नदी में समाहित हो गई.

एसडीएम ने बताया कि जिन ग्रामीणों के मकान कट रहे हैं, जमीन नदी में समाहित हो रही है, उनकी सूची राजस्व विभाग से मांगी गई है. सभी पीड़ितों को मुआवजा प्रदान किया जाएगा. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि हर साल कटान और बाढ़ का दंश झेलना पड़ता है. तहसील व जिला प्रशासन कटान के समय तो मामूली सहायता कर देता है, लेकिन इस समस्या के स्थाई समाधान का कोई प्रयास नहीं किया जाता है.

हर साल बारिश में इस प्रकार के संकट का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि इस समस्या को दूर करने में न तो क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि कोई रुचि ले रहे हैं और न ही जिला प्रशासन. उनके लिए बाढ़ और कटान एक नियमित प्राकृतिक आपदा है, जिसका वह परंपरागत तरीके से निस्तारण करते हैं, जबकि इस क्षेत्र में विशेष प्रयास की आवश्यकता है.

इसे भी पढ़ें- कानपुर देहात: 12 दिन बाद कुएं में मिला अपहृत ब्रजेश पाल का शव, 20 लाख मांगी गई थी फिरौती

बहराइच: जिले में घाघरा का जलस्तर घटने के साथ घाघरा ने तटवर्ती गांवों में कटान शुरू कर दी है. घाघरा की कटान का कहर कैसरगंज तहसील क्षेत्र के ग्यारह सौ रेती और मंझारा तौकली गांवों में शुरू हो गया है. अब तक दर्जनों मकान और सैकड़ों बीघे फसल घाघरा की धारा में विलीन हो चुकी है. आज ग्यारह सौ रेती गांव के दो मकान और 20 बीघा कृषि योग्य भूमि घाघरा की क्रूर लहरों में समा गए हैं. कटान की सूचना पर एसडीएम कैसरगंज महेश कुमार कैथल ने कटान प्रभावित क्षेत्र का दौरा ग्रामीणों को हर संभव मदद उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया.

बहराइच में घाघरा के तटवर्ती गांवों में कटान का सिलसिला जारी है. आज दो घर और 20 बीघा जमीन कटने के बाद भी घाघरा का कहर जारी रहा है. कटान की स्थिति का जायजा लेने के लिए उप जिलाधिकारी कैसरगंज ने प्रभावित गांव का दौरा किया. उन्होंने ग्रामीणों को सुरक्षा के टिप्स दिए. मंझारा तौकली और ग्यारह सौ रेती गांव में घाघरा ने कटान तेज कर दी है. कटान में दो मकान और 20 बीघा खेती योग्य जमीन नदी में समाहित हो गई.

एसडीएम ने बताया कि जिन ग्रामीणों के मकान कट रहे हैं, जमीन नदी में समाहित हो रही है, उनकी सूची राजस्व विभाग से मांगी गई है. सभी पीड़ितों को मुआवजा प्रदान किया जाएगा. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि हर साल कटान और बाढ़ का दंश झेलना पड़ता है. तहसील व जिला प्रशासन कटान के समय तो मामूली सहायता कर देता है, लेकिन इस समस्या के स्थाई समाधान का कोई प्रयास नहीं किया जाता है.

हर साल बारिश में इस प्रकार के संकट का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि इस समस्या को दूर करने में न तो क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि कोई रुचि ले रहे हैं और न ही जिला प्रशासन. उनके लिए बाढ़ और कटान एक नियमित प्राकृतिक आपदा है, जिसका वह परंपरागत तरीके से निस्तारण करते हैं, जबकि इस क्षेत्र में विशेष प्रयास की आवश्यकता है.

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