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बहराइच: बाढ़ की मार ने बढ़ाए सब्जियों के दाम

यूपी के बहराइच जिले में बाढ़ के कारण किसानों की सब्जी की फसलें नष्ट हो गई हैं, जिससे सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. सब्जियों के आसमान छूते दामों ने आम आदमी की परेशानी को काफी बढ़ा दिया है.

बाढ़ के कारण सब्जियों के दामों में वृद्धि
बाढ़ के कारण सब्जियों के दामों में वृद्धि
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Published : Sep 4, 2020, 3:39 AM IST

बहराइच: जिले में सब्जी के आसमान छूते दामों ने आम लोगों का बजट बिगाड़ दिया है. भीषण बारिश और लॉकडाउन के कारण सब्जी उत्पादन में भारी कमी आई है. बारिश और बाढ़ के कारण जहां सब्जी की फसलों को भारी नुकसान हुआ है, वहीं लॉकडाउन के कारण सब्जी उत्पादन के प्रति किसानों की अरुचि ने सब्जी उत्पादन को काफी प्रभावित किया है. उद्यान विभाग आसमान छूती सब्जियों की कीमतों के लिए भीषण बारिश और सब्जी उत्पादन का क्षेत्रफल कम होना बता रहा है, हालांकि उद्यान विभाग ने सब्जी उत्पादन में वृद्धि के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं.

सब्जी के दामों में बेतहाशा उछाल.

जिले के विभिन्न क्षेत्रों में हुई भारी बारिश के कारण कद्दू वर्गीय सब्जियों को भारी नुकसान पहुंचा है. वहीं खेतों में पानी भर जाने से सब्जी की फसलें नष्ट हुई हैं. ऐसे में लौकी, कद्दू, तरोई, भिंडी, परवल, लोबिया,आलू और बैगन इत्यादि की सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं.

  • बहराइच में बाढ़ से सब्जियां नष्ट होने से दामों में वृद्धि.
  • सब्जियों के उत्पादन में भारी कमी.

नेपाल सीमा पर बसा बहराइच जनपद हरी सब्जियों के उत्पादन का प्रमुख केंद्र माना जाता रहा है. यहां मोतीपुर क्षेत्र अंतर्गत गंगापुर की बड़ी थोक सब्जी मंडी के रूप में जानी जाती है. यहां से सब्जियां देश के कोने-कोने में आपूर्ति की जाती हैं. इसके अलावा रिसिया, नानपारा, मिहींपुरवा, कैसरगंज समेत अनेक इलाकों में हरी सब्जियों की खेती बहुतायत मात्रा में की जाती है. इधर बारिश के मौसम में खेतों में पानी भर जाने के कारण कद्दू वर्गीय फसलों को भारी नुकसान हुआ है. जमीन पर फैलने वाली सब्जी जैसे कद्दू, तरोई, लौकी, लोबिया और परवल आदि फसलें पानी में डूब जाने के कारण खराब हो गई हैं. यही नहीं बाढ़ के कारण अन्य सब्जियों को भारी नुकसान हुआ है.

सब्जियों के दामों में वृद्धि का दूसरा कारण लॉकडाउन के कारण सब्जियों के क्षेत्रफल में कमी आना है. दस रुपये किलो बिकने वाली लौकी बीस रुपये किलो, 12 से 15 रुपये किलो बिकने वाली तो तरोई चालीस रुपये किलो तथा कद्दू वर्गीय सब्जियों के दाम भी चालीस रुपये किलो तक पहुंच गए हैं. इतना ही नहीं हरी मिर्च के भाव भी 80 से सौ रुपये किलो हो गए हैं, जिसके चलते आम आदमी काफी परेशान है.

जिला उद्यान विभाग सब्जी के दामों में बेतहाशा वृद्धि के लिए बाढ़ को जिम्मेदार ठहरा रहा है. उनका कहना है कि लॉकडाउन के कारण सब्जी के उत्पादन क्षेत्र में कमी आई है और सब्जी उत्पादन का क्षेत्र घटा है. बाढ़ से जिले के सैकड़ों गांव बाढ़ से प्रभावित हैं, जिसके चलते सब्जी की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. इसके साथ ही कम पैदावार के कारण सब्जी के दामों में काफी उछाल आया है.

सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उद्यान विभाग द्वारा विभिन्न प्रजाति के सब्जी के पौधे तैयार किए गए हैं, जिन्हें सस्ती दरों पर सब्जी उत्पादकों को उपलब्ध कराया जाएगा. उम्मीद है कि सब्जी उत्पादन में वृद्धि होगी और बढ़ी हुई कीमतें नियंत्रित होंगी.
आरके वर्मा, उद्यान सलाहकार

बहराइच: जिले में सब्जी के आसमान छूते दामों ने आम लोगों का बजट बिगाड़ दिया है. भीषण बारिश और लॉकडाउन के कारण सब्जी उत्पादन में भारी कमी आई है. बारिश और बाढ़ के कारण जहां सब्जी की फसलों को भारी नुकसान हुआ है, वहीं लॉकडाउन के कारण सब्जी उत्पादन के प्रति किसानों की अरुचि ने सब्जी उत्पादन को काफी प्रभावित किया है. उद्यान विभाग आसमान छूती सब्जियों की कीमतों के लिए भीषण बारिश और सब्जी उत्पादन का क्षेत्रफल कम होना बता रहा है, हालांकि उद्यान विभाग ने सब्जी उत्पादन में वृद्धि के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं.

सब्जी के दामों में बेतहाशा उछाल.

जिले के विभिन्न क्षेत्रों में हुई भारी बारिश के कारण कद्दू वर्गीय सब्जियों को भारी नुकसान पहुंचा है. वहीं खेतों में पानी भर जाने से सब्जी की फसलें नष्ट हुई हैं. ऐसे में लौकी, कद्दू, तरोई, भिंडी, परवल, लोबिया,आलू और बैगन इत्यादि की सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं.

  • बहराइच में बाढ़ से सब्जियां नष्ट होने से दामों में वृद्धि.
  • सब्जियों के उत्पादन में भारी कमी.

नेपाल सीमा पर बसा बहराइच जनपद हरी सब्जियों के उत्पादन का प्रमुख केंद्र माना जाता रहा है. यहां मोतीपुर क्षेत्र अंतर्गत गंगापुर की बड़ी थोक सब्जी मंडी के रूप में जानी जाती है. यहां से सब्जियां देश के कोने-कोने में आपूर्ति की जाती हैं. इसके अलावा रिसिया, नानपारा, मिहींपुरवा, कैसरगंज समेत अनेक इलाकों में हरी सब्जियों की खेती बहुतायत मात्रा में की जाती है. इधर बारिश के मौसम में खेतों में पानी भर जाने के कारण कद्दू वर्गीय फसलों को भारी नुकसान हुआ है. जमीन पर फैलने वाली सब्जी जैसे कद्दू, तरोई, लौकी, लोबिया और परवल आदि फसलें पानी में डूब जाने के कारण खराब हो गई हैं. यही नहीं बाढ़ के कारण अन्य सब्जियों को भारी नुकसान हुआ है.

सब्जियों के दामों में वृद्धि का दूसरा कारण लॉकडाउन के कारण सब्जियों के क्षेत्रफल में कमी आना है. दस रुपये किलो बिकने वाली लौकी बीस रुपये किलो, 12 से 15 रुपये किलो बिकने वाली तो तरोई चालीस रुपये किलो तथा कद्दू वर्गीय सब्जियों के दाम भी चालीस रुपये किलो तक पहुंच गए हैं. इतना ही नहीं हरी मिर्च के भाव भी 80 से सौ रुपये किलो हो गए हैं, जिसके चलते आम आदमी काफी परेशान है.

जिला उद्यान विभाग सब्जी के दामों में बेतहाशा वृद्धि के लिए बाढ़ को जिम्मेदार ठहरा रहा है. उनका कहना है कि लॉकडाउन के कारण सब्जी के उत्पादन क्षेत्र में कमी आई है और सब्जी उत्पादन का क्षेत्र घटा है. बाढ़ से जिले के सैकड़ों गांव बाढ़ से प्रभावित हैं, जिसके चलते सब्जी की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. इसके साथ ही कम पैदावार के कारण सब्जी के दामों में काफी उछाल आया है.

सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उद्यान विभाग द्वारा विभिन्न प्रजाति के सब्जी के पौधे तैयार किए गए हैं, जिन्हें सस्ती दरों पर सब्जी उत्पादकों को उपलब्ध कराया जाएगा. उम्मीद है कि सब्जी उत्पादन में वृद्धि होगी और बढ़ी हुई कीमतें नियंत्रित होंगी.
आरके वर्मा, उद्यान सलाहकार

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