बहराइच: जिले में शासन के निर्देश के अनुसार गैर प्रांतों से आए श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा के तहत युद्ध स्तर पर कार्य कराया जा रहा है. इसमें तालाबों का सौंदर्यीकरण विकास के पथ पर मील का पत्थर साबित हो रहा है. तालाबों का जीर्णोद्धार होने से जहां गांवों की सुन्दरता में चार चांद लग रहे हैं. वहीं घर वापस आये प्रवासी कामगारों के हुनरमन्द हाथों का कमाल गांवों की सूरत बदल रहा है. साथ ही कामगारों के परिवारों की आर्थिक दशा भी सुधर रही है.
बहराइच में कोविड-19 के कारण उत्पन्न विषम परिस्थितियों में प्रभावी लॉकडाउन के कारण विभिन्न शहरों एवं प्रदेशों से लौटे प्रवासी कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से जनपद की सभी 1054 ग्राम पंचायतों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (मनरेगा) के तहत कार्य करा कर श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है. मनरेगा के अन्तर्गत 5,801 कार्य प्रारम्भ कराकर 1 लाख से अधिक गैर दक्ष श्रमिकों को रोजगार प्रदान किया गया है.
मनरेगा योजना के अन्तर्गत अगर ट्रेडवार कार्यों की चर्चा की जाए, तो तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए जनपद के सभी 14 विकास खण्डों के चयनित 402 तालाबों के सापेक्ष 291 तालाबों के जीर्णोद्धार का कार्य प्रगति पर है. वहीं अगर ब्लाकवार चयनित तालाबों में कार्य प्रगति के विवरण को देखा जाए, तो विकास खण्ड बलहा में चयनित 28 के सापेक्ष 09, चित्तौरा में 23 के सापेक्ष 16, हुजूरपुर में 23 के सापेक्ष 19, जरवल में 23 के सापेक्ष 16, कैसरगंज में 26 के सापेक्ष 24, महसी में 23 के सापेक्ष 17, मिहींपुरवा में 23 के सापेक्ष 18, नवाबगंज में 30 के सापेक्ष 18, फखरपुर में 30 के सापेक्ष 30, पयागपुर में 80 के सापेक्ष 71, रिसिया में 23 के सापेक्ष 08, शिवपुर में 23 के सापेक्ष 18, तजवापुर में 24 के सापेक्ष 04 और विशेश्वरगंज में 23 के सापेक्ष 23 तालाबों के जीर्णोद्धार का कार्य प्रगति पर है.
अब तक विकास खण्ड तजवापुर के 20, चित्तौरा और जरवल के 7-7, महसी के 6, मिहींपुरवा के 05, पयागपुर के 4 और हुजूरपुर में 1 यानी कुल 50 तालाबों के जीर्णोद्धार का कार्य पूर्ण भी कर लिया गया है.
हिमालय की तलहटी में घने वनों, नदियों, सुन्दर मनोहारी वन्य जीवों, पशु पक्षियों के कलरव से गुंजित भू-भाग पर फैले जनपद बहराइच के तालाबों का जीर्णोद्धार हो जाने से जहां एक ओर गांवों की सुन्दरता में इजाफा हो रहा है. वहीं दूसरी ओर महामारी जैसी विषम परिस्थितियों में घर लौटे प्रवासी श्रमिकों को काम मिलने से लोगों के चेहरे पर खुशी देखी जा सकती है.
तालाबों का जीर्णोद्धार होने से किसानों के साथ-साथ ग्रामवासियों और उनके मवेशियों के लिए प्रचुर मात्रा में जल की उपलब्धता से गांव-गांव में खुशहाली दस्तक तो देगी ही, इसके साथ गिरते हुए भू-गर्भीय जल स्तर की समस्या पर भी विराम लगेगा.