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बहराइच में उफान पर घाघरा, नदी किनारे कटान से दहशत - घाघरा नदी का जलस्तर

लगातार बारिश से उत्तर प्रदेश के बहराइच में बहने वाली घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है. जलस्तर बढ़ने के साथ ही तटवर्ती गांवों में कटान शुरू हो गई है. कटान के चलते 4 घर और 10 बीघे जमीन नदी में समाहित हो चुके हैं.

ghaghra River Bank Erosion
घाघरा नदी किनारे कटान से दहशत
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Published : Jun 17, 2021, 6:22 PM IST

बहराइच : जिले के फखरपुर ब्लॉक के मंझारा तौकली में लगातार उठ रही घाघरा नदी की लहरों को देखकर ग्रामीण सहम गए हैं. घाघरा नदी का जलस्तर पिछले 24 घंटे में तेजी से बढ़ा है. बुधवार सुबह मंझारा तौकली गांव में कटान के कारण नदी ने चार मकानों को आगोश में ले लिया. वहीं अबतक 10 बीघा जमीन भी नदी में समाहित हो चुकी है. रोज खेती योग्य भूमि का एक बड़ा भू-भाग नदी में समाता देख किसान चिंतित हैं.

घाघरा नदी का जलस्तर पिछले 24 घंटे में तेजी से बढ़ा है

पिछले वर्ष घाघरा ने लगभग 20 घर निगल लिए थे. बचे हुए घरों को फिर से घाघरा ने निगलना शुरू कर दिया है. सहमें ग्रामीणों ने अपनी गृहस्ती समेट कर सुरक्षित स्थान पर पलायन करना शुरू कर दिया है. बेबस ग्रामीण अपने ही बनाए हुए घरों को उजाड़ने पर मजबूर हैं. बाढ़ क्षेत्र इलाके में रहने वाला प्रत्येक ग्रामीण इस बात से हर बरसात में सहम जाता है कि उसका आशियाना अब उजड़ जाएगा.

इसे भी पढ़ें- महराजगंज में बाढ़ जैसे हालात, गंडक सहित तीन नदियां खतरे के निशान से ऊपर

मोहन, सोहन बुधु, श्याम नरायन और संकर का घर व स्यामदेव गोबिंद की कृषि योग्य 10 बीघा जमीन घाघरा नदी में समाहित हो गई. लगभग 12 घर कटान के मुहाने पर हैं. एसडीएम महेस कुमार कैथल ने बताया कि "मामले में लेखपाल को आदेश दे दिया गया है. मैं स्वयं मौका मौयना करने निकल रहा हूं."

बहराइच : जिले के फखरपुर ब्लॉक के मंझारा तौकली में लगातार उठ रही घाघरा नदी की लहरों को देखकर ग्रामीण सहम गए हैं. घाघरा नदी का जलस्तर पिछले 24 घंटे में तेजी से बढ़ा है. बुधवार सुबह मंझारा तौकली गांव में कटान के कारण नदी ने चार मकानों को आगोश में ले लिया. वहीं अबतक 10 बीघा जमीन भी नदी में समाहित हो चुकी है. रोज खेती योग्य भूमि का एक बड़ा भू-भाग नदी में समाता देख किसान चिंतित हैं.

घाघरा नदी का जलस्तर पिछले 24 घंटे में तेजी से बढ़ा है

पिछले वर्ष घाघरा ने लगभग 20 घर निगल लिए थे. बचे हुए घरों को फिर से घाघरा ने निगलना शुरू कर दिया है. सहमें ग्रामीणों ने अपनी गृहस्ती समेट कर सुरक्षित स्थान पर पलायन करना शुरू कर दिया है. बेबस ग्रामीण अपने ही बनाए हुए घरों को उजाड़ने पर मजबूर हैं. बाढ़ क्षेत्र इलाके में रहने वाला प्रत्येक ग्रामीण इस बात से हर बरसात में सहम जाता है कि उसका आशियाना अब उजड़ जाएगा.

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मोहन, सोहन बुधु, श्याम नरायन और संकर का घर व स्यामदेव गोबिंद की कृषि योग्य 10 बीघा जमीन घाघरा नदी में समाहित हो गई. लगभग 12 घर कटान के मुहाने पर हैं. एसडीएम महेस कुमार कैथल ने बताया कि "मामले में लेखपाल को आदेश दे दिया गया है. मैं स्वयं मौका मौयना करने निकल रहा हूं."

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