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बहराइच: अब गांवों में विकसित होगी अनुभव आधारित शिक्षा

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Published : Aug 2, 2019, 7:29 AM IST

यूपी के बहराइच में अनुभव आधारित शिक्षा की कार्यशाला लगाई गई. इसमें मंडल के चारों जिलों के शिक्षाविदों को आमंत्रित किया गया. केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत गांवों में अनुभव आधारित शिक्षा को विकसित करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया.

प्रशिक्षण कार्यक्रनई शिक्षा निती की कार्यशाला.म.

बहराइच: मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा तय की गई रूपरेखा के तहत जिले में अनुभव आधारित शिक्षा की कार्यशाला शुरू की गई. यह कार्यशाला महात्मा गांधी राष्ट्रीय शिक्षा परिषद के बैनर तले आयोजित हुई. कार्यशाला में देवीपाटन मंडल के सभी जिलों के शिक्षाविदों को आमंत्रित किया गया. सभी शिक्षाविदों को अनुभव आधारित शिक्षा को प्रसारित करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है.

कार्यक्रम समन्वयक ने दी जानकारी.

नई शिक्षा नीति की कार्यशाला

  • केंद्र सरकार ने अनुभव आधारित शिक्षा को विकसित करने के लिए नई शिक्षा नीति तैयार की है.
  • इसके आधार पर अनुभव आधारित शिक्षा भारत के गांवों में विकसित की जाएगी.
  • देवीपाटन मंडल के सभी जिलों के शिक्षाविदों को प्रशिक्षित किया जा रहा है.
  • कार्यक्रम में मंडल के चारों जिलों के शिक्षा शास्त्र, बीएड विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर, किसान महाविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग के प्रभारी डॉ. शिवम श्रीवास्तव और बीएड विभाग के प्रभारी डॉ. ओपी सोनी उपस्थित रहे.

प्राइमरी स्कूल के बच्चों के बीच जब शिक्षा की नई विधा का प्रदर्शन किया गया, तो बच्चों में नया उत्साह देखा गया. परंपरागत शिक्षा से हटकर इस नई शिक्षा में बच्चे विशेष रुचि ले रहे हैं. जिस तरह से बच्चे गौर से इस नई शिक्षा विधा को महसूस कर रहे हैं, उससे लगता है कि यदि इस प्रकार की शिक्षा प्राइमरी विद्यालयों में संचालित की गई तो विद्यार्थियों को स्कूल में प्रवेश कराने के लिए किसी जागरूकता अभियान की आवश्यकता नहीं होगी. बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान कराया जाना आवश्यक होता है, जिससे वह सामाजिक परिस्थितियों का दृढ़तापूर्वक मुकाबला कर सकें.
-डॉ. विजय प्रताप सिंह, कार्यक्रम समन्वयक

बहराइच: मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा तय की गई रूपरेखा के तहत जिले में अनुभव आधारित शिक्षा की कार्यशाला शुरू की गई. यह कार्यशाला महात्मा गांधी राष्ट्रीय शिक्षा परिषद के बैनर तले आयोजित हुई. कार्यशाला में देवीपाटन मंडल के सभी जिलों के शिक्षाविदों को आमंत्रित किया गया. सभी शिक्षाविदों को अनुभव आधारित शिक्षा को प्रसारित करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है.

कार्यक्रम समन्वयक ने दी जानकारी.

नई शिक्षा नीति की कार्यशाला

  • केंद्र सरकार ने अनुभव आधारित शिक्षा को विकसित करने के लिए नई शिक्षा नीति तैयार की है.
  • इसके आधार पर अनुभव आधारित शिक्षा भारत के गांवों में विकसित की जाएगी.
  • देवीपाटन मंडल के सभी जिलों के शिक्षाविदों को प्रशिक्षित किया जा रहा है.
  • कार्यक्रम में मंडल के चारों जिलों के शिक्षा शास्त्र, बीएड विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर, किसान महाविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग के प्रभारी डॉ. शिवम श्रीवास्तव और बीएड विभाग के प्रभारी डॉ. ओपी सोनी उपस्थित रहे.

प्राइमरी स्कूल के बच्चों के बीच जब शिक्षा की नई विधा का प्रदर्शन किया गया, तो बच्चों में नया उत्साह देखा गया. परंपरागत शिक्षा से हटकर इस नई शिक्षा में बच्चे विशेष रुचि ले रहे हैं. जिस तरह से बच्चे गौर से इस नई शिक्षा विधा को महसूस कर रहे हैं, उससे लगता है कि यदि इस प्रकार की शिक्षा प्राइमरी विद्यालयों में संचालित की गई तो विद्यार्थियों को स्कूल में प्रवेश कराने के लिए किसी जागरूकता अभियान की आवश्यकता नहीं होगी. बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान कराया जाना आवश्यक होता है, जिससे वह सामाजिक परिस्थितियों का दृढ़तापूर्वक मुकाबला कर सकें.
-डॉ. विजय प्रताप सिंह, कार्यक्रम समन्वयक

Intro:एंंकर- अब विकसित होगी अनुभव आधारित शिक्षा . केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति का चार्टर तैयार किया है . जिसके आधार पर अनुभव आधारित शिक्षा भारत के गांव में विकसित की जाएगी . मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा तय की गई रूपरेखा के तहत बहराइच में अनुभव आधारित शिक्षा की कार्यशाला शुरू की गई है . महात्मा गांधी राष्ट्रीय शिक्षा परिषद के बैनर तले आयोजित कार्यशाला में देवीपाटन मंडल के सभी जिलों के शिक्षाविदों को आमंत्रित किया गया है . सभी शिक्षाविदों को अनुभव आधारित शिक्षा को प्रसारित करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है .


Body:वीओ-1- कार्यक्रम समन्वयक डॉ विजय प्रताप सिंह ने बताया कि अनुभव आधारित शिक्षा को विकसित करने के लिए देवीपाटन मंडल के सभी जिलों के शिक्षाविदों को प्रशिक्षित किया जा रहा है . उन्होंने बताया कि प्राइमरी स्कूल के बच्चों के बीच जब शिक्षा की नई विधा का प्रदर्शन किया गया . तो बच्चों में नया उत्साह देखा गया . परंपरागत शिक्षा से हटकर इस नई शिक्षा में बच्चे विशेष रुचि ले रहे हैं . उन्होंने बताया कि जिस तरह से बच्चे गौर से इस नई शिक्षा की विधा को महसूस कर रहे हैं . उससे ऐसा लगता है कि यदि इस प्रकार की शिक्षा प्राइमरी विद्यालयों में संचालित की गई . तो विद्यार्थियों को स्कूल में प्रवेश कराने के लिए किसी जागरूकता अभियान की आवश्यकता नहीं होगी . उन्होंने बताया कि प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का बौद्धिक स्तर कान्वेंट के बच्चों से कहीं अच्छा होता है . यहां बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान कराया जाना आवश्यक होता है . जिससे वह सामाजिक परिस्थितियों का दृढ़ता पूर्वक मुकाबला कर सके . कार्यक्रम में मंडल के चारों जिलों के शिक्षा शास्त्र विभाग तथा बीएड विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर सहायक प्रोफेसर और किसान महाविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग के प्रभारी डॉ शिवम श्रीवास्तव B.Ed विभाग के प्रभारी डॉ ओपी सोनी उपस्थित रहे .
बाइट-1-डा.विजय प्रताप सिंह कार्यक्रम समन्वयक


Conclusion: सैयद मसूद कादरी
94 15 15 1963
बहराइच
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