बहराइच: समुदाय स्तर पर बच्चों में होने वाली निमोनिया की पहचान करना अब आशा बहुओं के लिए आसान हो जाएगा. इसके लिए चार्म (चिल्ड्रेन्स आटोमेटेड रिसप्रेटरी मॉनीटर) उपकरण आशा बहुओं की मदद करेगा. फिलिप्स कंपनी द्वारा बनाए गए इस उपकरण से पांच साल से छोटे बच्चों में सांस की गति नापने और निमोनिया का वर्गीकरण एवं उपचार करने में फ्रंट लाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मदद मिलेगी. इसके लिए मंगलवार को पयागपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में केजीएमयू के प्रोफेसरों ने आशा बहुओं को प्रशिक्षित किया.
प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ आयोजित
विश्वास परियोजना के तहत केजीएमयू, स्वास्थ्य विभाग और सेव द चिल्ड्रेन के साथ मिलकर जनपद के दो ब्लॉक पयागपुर और हुजूरपुर में चार्म मशीन के उपयोग को लेकर शोध कर रहा है. सेव द चिल्ड्रेन के प्रोग्राम मैनेजर अनिल तिवारी ने बताया कि कार्यक्रम के अंतर्गत पयागपुर की 35 आशा और एएनएम और हुजूरपुर की 35 आशा और एएनएम कार्यकर्ताओं का चयन कर उन्हें चार्म उपकरण वितरित कर प्रशिक्षित किया गया. प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ता क्षेत्र में पांच साल से कम उम्र के बच्चों के सांस की गति माप कर निमोनिया की पहचान करेंगी.
कैसे होगा चार्म उपकरण का प्रयोग
प्रशिक्षण के दौरान केजीएमयू कम्यूनिटी मेडिसिन की प्रोफेसर डॉ मोनिका अग्रवाल ने बताया कि चार्म उपकरण से सांसों की दर मापी जाती है. इसके लिए उपकरण को बच्चे के पेट और छाती के बीच में रख दिया जाता है. एक मिनट पश्चात यदि मशीन में लाल लाइट जलती है तो सांस की गति बढ़ी मानी जाएगी. वहीं यदि हरी लाइट प्रदर्शित हो तो सांस की गति ठीक मानी जाएगी. बढ़ी हुई सांस की गति निमोनिया का एक लक्षण है. ऐसे बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल रेफर किया जाएगा. उन्होने बताया कि प्रशिक्षण के उपरांत केजीएमयू की शोध टीम की सदस्य क्षेत्र में भ्रमण के दौरान देखेंगे कि क्या आशा इस उपकरण का प्रयोग अपने क्षेत्र में करने में सक्षम हैं. उपकरण के उपयोग के संबंध में आशाओं के अनुभव और विचारों को भी जाना जाएगा. इस मौके पर केजीएमयू लखनऊ से डॉ मोहित और डॉ दीप शिखा तथा सेव द चिल्ड्रेन एनजीओ से अभिषेक मिश्रा सहित आशा और एएनएम कार्यकर्ता मौजूद थीं.