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बहराइच: फॉल आर्मीवर्म से मक्के की फसल को भारी नुकसान की आशंका

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Published : Aug 13, 2020, 2:47 AM IST

बहराइच में फॉल आर्मीवर्म फसलों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसको देखते हुए कृषि विभाग ने एडवाइजरी जारी की है. इसमें कीड़ों की पहचान और इनसे बचाव के तरीके के बारे में भी बताया गया है. किसान जरूरत पड़ने पर एक्सपर्ट से राय भी ले सकते हैं.

Baharich news
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बहराइच: जिले में फाॅल आर्मीवर्म से मक्के की फसल को भारी नुकसान की आशंका को देखते हुए कृषि रक्षा अधिकारी ने मक्का किसानों को फसल की लगातार निगरानी करने की सलाह दी है. उन्होंने बताया कि यदि कीटों से बचाव का प्रयास नहीं किया तो उत्पादन प्रभावित होगा. कृषि रक्षा अधिकारी ने मक्का किसानों को सलाह दी है कि फॉल आर्मीवर्म से फसल को बचाने के लिए साइपरमैथ्रिन, क्लोरपायरीफॉस, नीम आयल, क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल अथवा इमामेक्टिम बेंजोएट का पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव करें.

इस तरह करें पहचान

वर्तमान समय में वातावरण की नमी और तापमान को देखते हुए मक्के की फसल में फाॅल आर्मीवर्म एवं तना भेदक कीट लगने की संभावना है. कृषि रक्षा अधिकारी आरडी वर्मा ने बताया कि फाॅल आर्मीवर्म मक्के की फसल में पौधौ के तनों एवं पत्तियों को काटकर बर्बाद कर देता है. इससे मक्के की फसल बहुत तेजी से नष्ट हो जाती है. मक्के की फसल पर लगने वाले फाॅल आर्मीवर्म की पहचान की जानकारी देते हुए वर्मा ने बताया कि कीट के सिर पर अंग्रेजी वर्णमाला से उल्टा वाई के आकार का चिन्ह बना होता है. उसके सिर के तरफ से आठवें खण्ड पर चार काले रंग के गोल चिन्ह होते हैं. इस कीट का प्रकोप होने से मक्के की पत्तियों व तनों पर लकड़ी के बुरादे जैसा पदार्थ दिखायी देता है तथा मक्के की फसल में लगने वाले तना छेदक सूडी जैसा लारवा भी दिखाई देता है.

हालात पर पूरी नजर

कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि कीट के प्रकोप को देखते हुए जनपद के समस्त विकास खण्ड में सहायक विकास अधिकारी (कृषि रक्षा) के नेतृत्व में टीम बनाकर लगातार निगरानी का कार्य किया जा रहा है. उनके द्वारा स्वयं भी क्षेत्र भ्रमण के माध्यम से प्रतिदिन निगरानी की जा रही है. मक्का की सुरक्षा के दृष्टिगत उन्होंने कहा कि किसान भाई फसल में कीट लगने अथवा लक्षण दिखाई देने की दशा में तत्काल सम्बन्धित विकास खण्ड के कृषि रक्षा इकाई अथवा जिला कृषि रक्षा अधिकारी के दूरभाष नं0 9339206867 पर सम्पर्क करें.

इनके छिड़काव से होगा बचाव

उन्होंने बताया कि फाॅल आर्मीवर्म के नियंत्रण के लिए साइपरमेथ्रिन 25 प्रति. 1मिली/ली. पानी अथवा क्लोरपायरीफाॅस 50 प्रति 2-3 मिली/ली. पानी अथवा नीम आयल 4-5 मिली/ली. पानी अथवा क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 प्रति एस.सी. 0.4 मिली/प्रति लीटर पानी अथवा इमामेक्टिम बेनजोएट 0.4 ग्राम/ली. पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव करें. इसके अतिरिक्त 35-40 फेरोमेन ट्रेप प्रति हेक्टेयर या यांत्रिक विधि के तौर पर प्रकाश प्रपंच का प्रयोग भी किया जा सकता है.

इस तरह ले सकते हैं एक्सपर्ट की मदद

कृषि रक्षा अधिकारी ने किसानों को सलाह दी कि उक्त कीट के लगने की दशा में रोगग्रस्त फसल/पौधे के फोटो के साथ विभागीय पीसीएसआरएस. मो.नं 9452247111 एवं 9452257111 पर व्हाटसएप अथवा मैसेज के माध्यम से शिकायत कर सकते हैं. सभी किसानों से यह भी अपेक्षा की गयी है कि समस्या लिखते समय अपना पूरा नाम व ग्राम, विकास खण्ड एवं तहसील आदि के नाम सहित पूरा पता भी अवश्य अंकित करें. उन्होंने बताया कि समस्या का समाधान 48 घंटे के भीतर कर दिया जाएगा.

बहराइच: जिले में फाॅल आर्मीवर्म से मक्के की फसल को भारी नुकसान की आशंका को देखते हुए कृषि रक्षा अधिकारी ने मक्का किसानों को फसल की लगातार निगरानी करने की सलाह दी है. उन्होंने बताया कि यदि कीटों से बचाव का प्रयास नहीं किया तो उत्पादन प्रभावित होगा. कृषि रक्षा अधिकारी ने मक्का किसानों को सलाह दी है कि फॉल आर्मीवर्म से फसल को बचाने के लिए साइपरमैथ्रिन, क्लोरपायरीफॉस, नीम आयल, क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल अथवा इमामेक्टिम बेंजोएट का पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव करें.

इस तरह करें पहचान

वर्तमान समय में वातावरण की नमी और तापमान को देखते हुए मक्के की फसल में फाॅल आर्मीवर्म एवं तना भेदक कीट लगने की संभावना है. कृषि रक्षा अधिकारी आरडी वर्मा ने बताया कि फाॅल आर्मीवर्म मक्के की फसल में पौधौ के तनों एवं पत्तियों को काटकर बर्बाद कर देता है. इससे मक्के की फसल बहुत तेजी से नष्ट हो जाती है. मक्के की फसल पर लगने वाले फाॅल आर्मीवर्म की पहचान की जानकारी देते हुए वर्मा ने बताया कि कीट के सिर पर अंग्रेजी वर्णमाला से उल्टा वाई के आकार का चिन्ह बना होता है. उसके सिर के तरफ से आठवें खण्ड पर चार काले रंग के गोल चिन्ह होते हैं. इस कीट का प्रकोप होने से मक्के की पत्तियों व तनों पर लकड़ी के बुरादे जैसा पदार्थ दिखायी देता है तथा मक्के की फसल में लगने वाले तना छेदक सूडी जैसा लारवा भी दिखाई देता है.

हालात पर पूरी नजर

कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि कीट के प्रकोप को देखते हुए जनपद के समस्त विकास खण्ड में सहायक विकास अधिकारी (कृषि रक्षा) के नेतृत्व में टीम बनाकर लगातार निगरानी का कार्य किया जा रहा है. उनके द्वारा स्वयं भी क्षेत्र भ्रमण के माध्यम से प्रतिदिन निगरानी की जा रही है. मक्का की सुरक्षा के दृष्टिगत उन्होंने कहा कि किसान भाई फसल में कीट लगने अथवा लक्षण दिखाई देने की दशा में तत्काल सम्बन्धित विकास खण्ड के कृषि रक्षा इकाई अथवा जिला कृषि रक्षा अधिकारी के दूरभाष नं0 9339206867 पर सम्पर्क करें.

इनके छिड़काव से होगा बचाव

उन्होंने बताया कि फाॅल आर्मीवर्म के नियंत्रण के लिए साइपरमेथ्रिन 25 प्रति. 1मिली/ली. पानी अथवा क्लोरपायरीफाॅस 50 प्रति 2-3 मिली/ली. पानी अथवा नीम आयल 4-5 मिली/ली. पानी अथवा क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 प्रति एस.सी. 0.4 मिली/प्रति लीटर पानी अथवा इमामेक्टिम बेनजोएट 0.4 ग्राम/ली. पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव करें. इसके अतिरिक्त 35-40 फेरोमेन ट्रेप प्रति हेक्टेयर या यांत्रिक विधि के तौर पर प्रकाश प्रपंच का प्रयोग भी किया जा सकता है.

इस तरह ले सकते हैं एक्सपर्ट की मदद

कृषि रक्षा अधिकारी ने किसानों को सलाह दी कि उक्त कीट के लगने की दशा में रोगग्रस्त फसल/पौधे के फोटो के साथ विभागीय पीसीएसआरएस. मो.नं 9452247111 एवं 9452257111 पर व्हाटसएप अथवा मैसेज के माध्यम से शिकायत कर सकते हैं. सभी किसानों से यह भी अपेक्षा की गयी है कि समस्या लिखते समय अपना पूरा नाम व ग्राम, विकास खण्ड एवं तहसील आदि के नाम सहित पूरा पता भी अवश्य अंकित करें. उन्होंने बताया कि समस्या का समाधान 48 घंटे के भीतर कर दिया जाएगा.

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