बागपत: नए कृषि कानून लाए जाने का विरोध अब दिल्ली से विदेशों तक पहुंच गया है. 8 दिसंबर को भारत बंद के एलान के बाद किसानों के समर्थन में हर वर्ग आने लगा है. चाहे सामाजिक कार्यकर्ता हो या फिर पार्टियों के नेता सभी एक साथ एक सुर में नए कृषि कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. राष्ट्रीय लोकदल पहले ही 8 दिसंबर को भारत बंद का पूर्ण रूप से समर्थन करने के साथ जनपद के प्रमुख चौराहों पर कब्जा करने की बात कह चुका है.
सोमवार को खाप चौधरी सुरेन्द्र सिंह के आवास पर विपक्षी पार्टियों के नेताओं और किसानों ने बैठक की और भारत बंद को सफल बनाने की रणनीति बनाई. किसानों के साथ अब व्यापारी भी खड़े होते हुए नजर आ रहे हैं. इस पंचायत में राष्ट्रीय जाट महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित जाखड़ भी पहुंचे और किसानों से बंद को सफल बनाने के लिए चर्चा की.
'किसान न मजलूम न ही मजबूर'
खाप चौधरी सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत बंद को सम्पूर्ण रूप से सफल बनाने के लिए सभी गांवों से, घरों से इस आंदोलन में लोग शामिल होंगे. किसानों के आंदोलन को हम सम्पूर्ण मजबूती प्रदान करेंगे, क्योंकि यह आंदोलन भविष्य के बचाव का आंदोलन है. इस आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए हम हरसंभव प्रयास करेंगे. सरकार यह समझ ले कि किसान न मजलूम है न ही मजबूर. किसान जब अपने हकों के लिए खड़ा होता है तो कानून नहीं तोड़ता वह सरकारों को बदल देता है. सरकार से किसानों की जो मांगें हैं, वह मानी जाएं. इस कृषि कानून को वापस लिया जाए, क्योंकि यह कृषि कानून अडानी, अम्बानी को बड़ा पूंजीपति बनाने के लिए है, न कि किसान के हित के लिए.