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ये हौसलों की उड़ान है: मां करती है मजदूरी, बेटी बनी स्टेट चैम्पियन - हैमर थ्रो स्टेट चैम्पियनशिप

दिल में कुछ कर गुजरने की चाहत है तो सामने आने वाली बाधाएं भी दम तोड़ देती हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बागपत जिले की होनहार नेहा यादव ने. नेहा ने यूपी स्टेट चैम्पियनशिप में हैमर थ्रो गेम में गोल्ड मेडल जीतकर अपने गांव का ही नहीं, बल्कि पूरे जनपद का नाम रोशन किया है. देखिए ये खास रिपोर्ट...

बागपत की बिटिया बनी स्टेट चैम्पियन
बागपत की बिटिया बनी स्टेट चैम्पियन
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Published : Jan 25, 2021, 1:52 PM IST

बागपत: अगर किसी के भी मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो उसके हौंसलों के सामने कोई भी कठिन कार्य मुश्किल नहीं होता है. ऐसा ही कर दिखाया है बागपत जिले की नेहा यादव ने. बागपत की बिटिया नेहा यादव ने यूपी स्टेट चैम्पियनशिप में हैमर थ्रो गेम में गोल्ड मेडल जीतकर अपने गांव का ही नहीं, बल्कि पूरे जनपद का नाम रोशन किया है. इसके साथ ही उसने लोगों को आईना भी दिखाया है कि गरीबी के सामने कभी घुटने नहीं टेकने चाहिए.

स्पेशल रिपोर्ट.

टूटे-फूटे घर में रहने को मजबूर

जिले के थाना बालैनी क्षेत्र के बालैनी गांव में रहने वाली आशा देवी के पति का निधन 8 साल पहले हो चुका था. आशा ने गरीबी हालत में लोगों के घरों में मजदूरी कर अपनी बेटी नेहा ओर बेटे का पालन-पोषण किया. गरीबी की हालत इतनी है कि उनका घर भी टूटा-फूटा हुआ है, कमरे की छत भी टूटी है. बरसात के दिनों में बारिश का पानी कमरे में घुस जाता है.

मां करती है मजदूरी

कक्षा 12 में पढ़ने वाली नेहा हैमर थ्रो गेम की खिलाड़ी हैं. उन्होंने हाल ही में 10 जनवरी को कौशाम्बी में आयोजित स्टेट चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है. अभी वह नेशनल गेम में खेलने की तैयारी कर रही हैं. नेहा ने बताया कि उनके सामने बहुत सी समस्याएं हैं. मां खेतों में और लोगों के घर में मजदूरी कर उन्हें पालती हैं. नेहा चाहती हैं कि उनकी अच्छी नौकरी लग जाए, ताकि वो अपने परिवार को खुशी दे सकें. गेम पर फोकस कर मां और देश का नाम रोशन करना चाहती हैं.

टूटे घर में रहने को मजबूर.
टूटे घर में रहने को मजबूर.

बचपन में हो गया था पिता का निधन

हैमर थ्रो गेम में गोल्ड मेडल जीतने वाली नेहा को शुरू से ही परेशानियों का सामना करना पड़ा. बचपन में ही सिर से पिता का साया उठ गया. तंगहाली में उनकी मां ने घरों में मजदूरी कर पालन-पोषण की जिम्मेदारी उठाई. हालात इतने खराब है कि बरसात का पानी कमरों में घुस जाता था, लेकिन जीवन में कठिनाइयों को पार कर जीत का परचम लहराया.

घर को सही कराने की लगाई गुहार

नेहा की मां आशा यादव ने बताया कि घर में कोई कमाने वाला नहीं है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान के लिए ग्राम प्रधान से कहा गया, लेकिन प्रधान ने यह कहकर मना कर दिया कि उनके घर में ईंट है, इसलिए उनका मकान नहीं बनेगा. अगर ईंट नहीं होती तो मरम्मत कराया जा सकता था. वहीं एडीएम बागपत ने खिलाड़ी लड़कियों को पुरुस्कार दिलाने व अन्य सहायता दिलाने के लिए जांच कराये जाने की बात कही है.

नेहा की मां आशा यादव ने बताया कि बचपन से ही नेहा पढ़ने में बहुत अच्छी रही है. अब खेलों में भी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. बहुत सी समस्याओं से लड़ते हुए नेहा ने अपना मुकाम हासिल किया है, इसके लिए उन्हें अपनी बच्ची पर गर्व है. उनका कहना है कि अब बस सरकार से घर की दरख्वास्त है, ताकि सिर पर छत हो सके.

एडीएम अमित कुमार सिंह ने बताया कि जिले की चार बेटियों के स्टेट में जीतने की जानकारी मिली है. यह जिले के लिए बहुत गर्व की बात है. लड़कियों को पुरस्कार या सहायता देने के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी. साथ ही स्पोर्ट से भी उन्हें सहायता मुहैया कराने का प्रयास किया जाएगा.

बागपत: अगर किसी के भी मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो उसके हौंसलों के सामने कोई भी कठिन कार्य मुश्किल नहीं होता है. ऐसा ही कर दिखाया है बागपत जिले की नेहा यादव ने. बागपत की बिटिया नेहा यादव ने यूपी स्टेट चैम्पियनशिप में हैमर थ्रो गेम में गोल्ड मेडल जीतकर अपने गांव का ही नहीं, बल्कि पूरे जनपद का नाम रोशन किया है. इसके साथ ही उसने लोगों को आईना भी दिखाया है कि गरीबी के सामने कभी घुटने नहीं टेकने चाहिए.

स्पेशल रिपोर्ट.

टूटे-फूटे घर में रहने को मजबूर

जिले के थाना बालैनी क्षेत्र के बालैनी गांव में रहने वाली आशा देवी के पति का निधन 8 साल पहले हो चुका था. आशा ने गरीबी हालत में लोगों के घरों में मजदूरी कर अपनी बेटी नेहा ओर बेटे का पालन-पोषण किया. गरीबी की हालत इतनी है कि उनका घर भी टूटा-फूटा हुआ है, कमरे की छत भी टूटी है. बरसात के दिनों में बारिश का पानी कमरे में घुस जाता है.

मां करती है मजदूरी

कक्षा 12 में पढ़ने वाली नेहा हैमर थ्रो गेम की खिलाड़ी हैं. उन्होंने हाल ही में 10 जनवरी को कौशाम्बी में आयोजित स्टेट चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है. अभी वह नेशनल गेम में खेलने की तैयारी कर रही हैं. नेहा ने बताया कि उनके सामने बहुत सी समस्याएं हैं. मां खेतों में और लोगों के घर में मजदूरी कर उन्हें पालती हैं. नेहा चाहती हैं कि उनकी अच्छी नौकरी लग जाए, ताकि वो अपने परिवार को खुशी दे सकें. गेम पर फोकस कर मां और देश का नाम रोशन करना चाहती हैं.

टूटे घर में रहने को मजबूर.
टूटे घर में रहने को मजबूर.

बचपन में हो गया था पिता का निधन

हैमर थ्रो गेम में गोल्ड मेडल जीतने वाली नेहा को शुरू से ही परेशानियों का सामना करना पड़ा. बचपन में ही सिर से पिता का साया उठ गया. तंगहाली में उनकी मां ने घरों में मजदूरी कर पालन-पोषण की जिम्मेदारी उठाई. हालात इतने खराब है कि बरसात का पानी कमरों में घुस जाता था, लेकिन जीवन में कठिनाइयों को पार कर जीत का परचम लहराया.

घर को सही कराने की लगाई गुहार

नेहा की मां आशा यादव ने बताया कि घर में कोई कमाने वाला नहीं है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान के लिए ग्राम प्रधान से कहा गया, लेकिन प्रधान ने यह कहकर मना कर दिया कि उनके घर में ईंट है, इसलिए उनका मकान नहीं बनेगा. अगर ईंट नहीं होती तो मरम्मत कराया जा सकता था. वहीं एडीएम बागपत ने खिलाड़ी लड़कियों को पुरुस्कार दिलाने व अन्य सहायता दिलाने के लिए जांच कराये जाने की बात कही है.

नेहा की मां आशा यादव ने बताया कि बचपन से ही नेहा पढ़ने में बहुत अच्छी रही है. अब खेलों में भी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. बहुत सी समस्याओं से लड़ते हुए नेहा ने अपना मुकाम हासिल किया है, इसके लिए उन्हें अपनी बच्ची पर गर्व है. उनका कहना है कि अब बस सरकार से घर की दरख्वास्त है, ताकि सिर पर छत हो सके.

एडीएम अमित कुमार सिंह ने बताया कि जिले की चार बेटियों के स्टेट में जीतने की जानकारी मिली है. यह जिले के लिए बहुत गर्व की बात है. लड़कियों को पुरस्कार या सहायता देने के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी. साथ ही स्पोर्ट से भी उन्हें सहायता मुहैया कराने का प्रयास किया जाएगा.

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