बदायूं: थाना जरीफनगर इलाके के एक गांव में 10 साल के बच्चे को पेड़ से फांसी का फंदा डालकर लटका दिया गया था, जिससे उसकी हालत गंभीर बनी हुई थी. परिजनों ने पुलिस से शिकायत की, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की और पूरा मामला दबाने में लगी रही. केवल एनसीआर दर्ज कर कागजी कार्रवाई की गई.
पीड़ित परिजनों ने किशोर को गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. किशोर केवल ऑक्सीजन से ही सांस ले पा रहा था. जरीफनगर थाना पुलिस ने किशोर का न तो बयान लिया और न ही उसकी स्थिति के बारे में जानना चाहा. किशोर की जिला अस्पताल में तीसरे दिन मौत हो गई. अब पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई करने की बात कहके पल्ला झाड़ रही है.
मामला थाना जरीफनगर इलाके के गांव जरैठा का है. गांव के महेंद्र का 12 वर्षीय पुत्र प्रमोद सोमवार को जंगल में बकरी चराने गया था. उसका कुछ लोगों से खेत में बकरी घुसने को लेकर विवाद हुआ था. उन्होंने प्रमोद को पीटा था. कुछ देर बाद परिजनों को सूचना मिली कि वह फंदे पर लटका हुआ है. परिजन उसे गंभीर हालत में फंदे से उतारकर सहसवान ले गए, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया.
परिजनों की तहरीर पर उस वक्त पुलिस ने एनसीआर दर्ज कर ली थी जबकि परिवार वालों का आरोप था कि गांव के ही नेतराम, शेरसिंह, दीपा और शीला ने उनके बेटे को पीटकर फंदे पर लटका कर मारने की कोशिश की. वहीं मृतक के पिता ने बताया कि उनके पुत्र का वीरपाल से मामूली बात को लेकर खेल-खेल में झगड़ा हो गया. झगड़ा बढ़ने पर महेंद्र के बड़े पुत्र नेतराम ने दोनों लोगों को डांट दिया और झगड़ा शांत करा दिया. उसके बाद लड़ाई शांत हो गई, लेकिन आरोपी पक्ष इन लोगों से दुश्मनी मानने लगा.
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नेतराम और प्रमोद बकरियां चराने जंगल में गए तो आरोपी पक्ष ने प्रमोद को बबूल के पेड़ से गले में फंदा डालकर लटका दिया. आनन-फानन में ग्रामीणों ने प्रमोद को उतारा, लेकिन तब तक उसकी हालत खराब हो चुकी थी.