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आजमगढ़: महिला हेल्पलाइन 181 में कार्यरत महिलाओं का छलका दर्द, बोलीं- न घर के रहे, न घाट के

उत्तर प्रदेश सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा और उन्हें न्याय दिलाने के लिए शुरू की गई 181 महिला हेल्पलाइन सेवा को बंद करने का निर्णय लिया है. ऐसे में आजमगढ़ जिले में ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए महिला हेल्पलाइन में कार्यरत महिलाओं का दर्द छलक उठा. उनका कहना है कि अब हम न घर के रहे और न घाट के. हमारी सरकार से मांग है कि हमें रखा जाए. इस आपदा के समय हम कहां जाएंगे.

181 woman helpline service discontinue in azamgarh
आजमगढ़ में 181 हेल्पलाइन सेवा के बंद होने से महिलाओं में नाराजगी.
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Published : Jun 10, 2020, 3:54 PM IST

आजमगढ़: उत्तर प्रदेश सरकार ने महिलाओं को अपराध, हिंसा और उत्पीड़न से मुक्ति दिलाने के लिए 181 महिला हेल्पलाइन का गठन किया था. इसका मुख्य उद्देश्य था कि समाज में जो भी महिलाएं उत्पीड़न और हिंसा की शिकार होती हैं, उन्हें न्याय दिलाया जाए, जिससे उन्हें समाज की मुख्यधारा में जोड़ा जा सके. इसके तहत आजमगढ़ जनपद में 6 लोगों को नियुक्त किया गया था.

181 woman helpline service discontinue in azamgarh
181 हेल्पलाइन सेवा में कार्यरत महिलाओं का छलका दर्द.

24 जून 2017 को हुआ महिला हेल्पलाइन का गठन
प्रदेश में महिला हेल्पलाइन 181 के गठन के बाद 24 जून 2017 को आजमगढ़ जनपद में भी इसका गठन किया गया. इसके माध्यम से जनपद की हिंसा और उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को महिला हेल्पलाइन में कार्यरत महिलाएं न्याय दिलाती रहीं, पर आज जबकि प्रदेश सरकार ने 181 बंद करने का निर्णय लिया है तो यहां पर काम करने वाली महिलाओं को गहरा धक्का लगा है.

ईटीवी भारत से बातचीत में महिलाओं का छलका दर्द.

'हमें फिर से रखा जाए'
181 महिला हेल्पलाइन में काम करने वाली संध्या सिंह का कहना है, 'जिस तरह से सरकार ने 181 बंद करने का निर्णय लिया है, उससे हम लोग काफी दु:खी हैं. बच्चों के एडमिशन हो चुके हैं लेकिन बच्चे घर बैठ गए हैं. किराए के घर में रहते थे. मकान मालिक भी घर खाली करने को बोल रहे हैं. 1 वर्ष से वेतन नहीं मिला है. हम लोग वेतन की आस में थे पर सरकार ने जिस तरह से हम लोगों को निकालने का फैसला लिया, इससे हम लोग न घर के रहे, न घाट के रहे. हम लोगों को आर्थिक रूप से काफी परेशान होना पड़ रहा है. सरकार से हमारी मांग है कि हमें रखा जाए.'

'आपदा के समय हम लोग कहां जाएं'
महिला हेल्पलाइन में कार्यरत रंजना मिश्रा का कहना है, 'हर जगह समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में जिस तरह से सरकार ने 181 को बंद करने का निर्णय लिया है, निश्चित रूप से दु:खद है.' वहीं कामिनी सिंह का कहना है, 'हम लोगों ने उत्पीड़ित महिलाओं की मदद की. उन्हें उनके घर तक भिजवाया, लेकिन सरकार जिस तरीके से अब हम लोगों का उत्पीड़न कर रही है, ऐसे में हम लोग इस आपदा के समय कहां जाएं.'

आजमगढ़ में नहीं मिला रोजगार, महानगर वापस जाने को मजबूर हैं मजदूर

महिलाओं पर हो रहे हिंसा व उत्पीड़न को रोकने के लिए 181 महिला हेल्पलाइन का गठन किया गया था. लगभग 1 वर्ष से प्रदेश के सभी जनपदों में 181 महिला हेल्पलाइन में कार्यरत महिलाओं को वेतन भी नहीं दिया जा रहा था. ऐसे में सरकार ने जिस तरह से इन सभी को निकालने का फैसला लिया है, निश्चित रूप से दु:खद है. सरकार के इस फैसले से इन महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा है.

आजमगढ़: उत्तर प्रदेश सरकार ने महिलाओं को अपराध, हिंसा और उत्पीड़न से मुक्ति दिलाने के लिए 181 महिला हेल्पलाइन का गठन किया था. इसका मुख्य उद्देश्य था कि समाज में जो भी महिलाएं उत्पीड़न और हिंसा की शिकार होती हैं, उन्हें न्याय दिलाया जाए, जिससे उन्हें समाज की मुख्यधारा में जोड़ा जा सके. इसके तहत आजमगढ़ जनपद में 6 लोगों को नियुक्त किया गया था.

181 woman helpline service discontinue in azamgarh
181 हेल्पलाइन सेवा में कार्यरत महिलाओं का छलका दर्द.

24 जून 2017 को हुआ महिला हेल्पलाइन का गठन
प्रदेश में महिला हेल्पलाइन 181 के गठन के बाद 24 जून 2017 को आजमगढ़ जनपद में भी इसका गठन किया गया. इसके माध्यम से जनपद की हिंसा और उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को महिला हेल्पलाइन में कार्यरत महिलाएं न्याय दिलाती रहीं, पर आज जबकि प्रदेश सरकार ने 181 बंद करने का निर्णय लिया है तो यहां पर काम करने वाली महिलाओं को गहरा धक्का लगा है.

ईटीवी भारत से बातचीत में महिलाओं का छलका दर्द.

'हमें फिर से रखा जाए'
181 महिला हेल्पलाइन में काम करने वाली संध्या सिंह का कहना है, 'जिस तरह से सरकार ने 181 बंद करने का निर्णय लिया है, उससे हम लोग काफी दु:खी हैं. बच्चों के एडमिशन हो चुके हैं लेकिन बच्चे घर बैठ गए हैं. किराए के घर में रहते थे. मकान मालिक भी घर खाली करने को बोल रहे हैं. 1 वर्ष से वेतन नहीं मिला है. हम लोग वेतन की आस में थे पर सरकार ने जिस तरह से हम लोगों को निकालने का फैसला लिया, इससे हम लोग न घर के रहे, न घाट के रहे. हम लोगों को आर्थिक रूप से काफी परेशान होना पड़ रहा है. सरकार से हमारी मांग है कि हमें रखा जाए.'

'आपदा के समय हम लोग कहां जाएं'
महिला हेल्पलाइन में कार्यरत रंजना मिश्रा का कहना है, 'हर जगह समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में जिस तरह से सरकार ने 181 को बंद करने का निर्णय लिया है, निश्चित रूप से दु:खद है.' वहीं कामिनी सिंह का कहना है, 'हम लोगों ने उत्पीड़ित महिलाओं की मदद की. उन्हें उनके घर तक भिजवाया, लेकिन सरकार जिस तरीके से अब हम लोगों का उत्पीड़न कर रही है, ऐसे में हम लोग इस आपदा के समय कहां जाएं.'

आजमगढ़ में नहीं मिला रोजगार, महानगर वापस जाने को मजबूर हैं मजदूर

महिलाओं पर हो रहे हिंसा व उत्पीड़न को रोकने के लिए 181 महिला हेल्पलाइन का गठन किया गया था. लगभग 1 वर्ष से प्रदेश के सभी जनपदों में 181 महिला हेल्पलाइन में कार्यरत महिलाओं को वेतन भी नहीं दिया जा रहा था. ऐसे में सरकार ने जिस तरह से इन सभी को निकालने का फैसला लिया है, निश्चित रूप से दु:खद है. सरकार के इस फैसले से इन महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा है.

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