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आजमगढ़: इस यज्ञ कुंड में कूदकर सती ने दी थी प्राणों की आहूति

कई धारावाहिकों में आपने देखा होगा कि सती अपने पिता के यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दे देती हैं, लेकिन वह कुंड कहां है, यह आज भी कई लोगों को नही पता है.

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Published : Feb 17, 2019, 7:39 PM IST

जानकारी देते मंदिर के पुजारी

आजमगढ़: सती और शिव से जुड़ी पौराणिक कहानियां सुनने के बाद आप सभी के मन मे यह जिज्ञाषा उत्पन होती होगी कि आखिर राजा दक्ष का वह यज्ञ कुंड कहां है जिसमें कूदकर सती ने अपने प्राण त्याग दिए थे. बता दें कि, वह यज्ञ कुंड आजमगढ़ में स्थापित है और इसका अपना अलग महत्व है.

इस यज्ञ कुंड में कूदकर सती ने त्यागे थे अपने प्राण

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तमाम धार्मिक धारावाहिकों में आपने देखा होगा कि सती अपने पिता के यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दे देती है लेकिन वह कुंड कहां है यह आज भी कई लोगों को नही पता है. आपको बता दें कि यह कुंड आजमगढ़ के महाराजगंज में भैरो बाबा के नाम से विख्यात है. यहां हर रविवार और मंगलवार को भक्तों की काफी भीड़ देखने को मिलती है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिया गया. इससे नाराज सती अपने पिता से मिलने यज्ञ स्थल पर पहुंची और निमंत्रण ना देने का कारण पूछा. जिसके बाद राजा दक्ष ने वहां मौजूद तमाम देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों के सामने उनके पति यानी शिव की आलोचना करनी शुरू कर दी. इससे नाराज हो सती ने उसी यज्ञ कुंड की प्रज्वलित अग्नि में कूद अपने प्राणों की आहुति दे दी.

मंदिर के पंडित बताते हैं कि भगवान शिव को सती के अग्नि कुंड में कूदने की बात पता चली तो वह राजा दक्ष के यज्ञ स्थल पर पहुंचे और अपनी जटाओं से काल भैरव की उत्पत्ति की जिसके बाद दक्ष के यज्ञ का विध्वंस किया गया. यहां भैरव के दो रूप स्थापित है- एक काल भैरव और दूसरा वीरभद्र भैरव. पुजारी ने बताया कि यहीं पर राजा दक्ष का महल था और यहा 365 गहरे कुएं थे. वहीं, इस स्थान से सटकर सरयू नदी भी बहती है. पुजारी के अनुसार इतना महत्वपूर्ण स्थान होने के बाद भी यहां का कोई समुचित विकास नही किया गया.

आजमगढ़: सती और शिव से जुड़ी पौराणिक कहानियां सुनने के बाद आप सभी के मन मे यह जिज्ञाषा उत्पन होती होगी कि आखिर राजा दक्ष का वह यज्ञ कुंड कहां है जिसमें कूदकर सती ने अपने प्राण त्याग दिए थे. बता दें कि, वह यज्ञ कुंड आजमगढ़ में स्थापित है और इसका अपना अलग महत्व है.

इस यज्ञ कुंड में कूदकर सती ने त्यागे थे अपने प्राण

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तमाम धार्मिक धारावाहिकों में आपने देखा होगा कि सती अपने पिता के यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दे देती है लेकिन वह कुंड कहां है यह आज भी कई लोगों को नही पता है. आपको बता दें कि यह कुंड आजमगढ़ के महाराजगंज में भैरो बाबा के नाम से विख्यात है. यहां हर रविवार और मंगलवार को भक्तों की काफी भीड़ देखने को मिलती है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिया गया. इससे नाराज सती अपने पिता से मिलने यज्ञ स्थल पर पहुंची और निमंत्रण ना देने का कारण पूछा. जिसके बाद राजा दक्ष ने वहां मौजूद तमाम देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों के सामने उनके पति यानी शिव की आलोचना करनी शुरू कर दी. इससे नाराज हो सती ने उसी यज्ञ कुंड की प्रज्वलित अग्नि में कूद अपने प्राणों की आहुति दे दी.

मंदिर के पंडित बताते हैं कि भगवान शिव को सती के अग्नि कुंड में कूदने की बात पता चली तो वह राजा दक्ष के यज्ञ स्थल पर पहुंचे और अपनी जटाओं से काल भैरव की उत्पत्ति की जिसके बाद दक्ष के यज्ञ का विध्वंस किया गया. यहां भैरव के दो रूप स्थापित है- एक काल भैरव और दूसरा वीरभद्र भैरव. पुजारी ने बताया कि यहीं पर राजा दक्ष का महल था और यहा 365 गहरे कुएं थे. वहीं, इस स्थान से सटकर सरयू नदी भी बहती है. पुजारी के अनुसार इतना महत्वपूर्ण स्थान होने के बाद भी यहां का कोई समुचित विकास नही किया गया.
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एंकर- सती और शिव से जुड़ी पौराणिक कहानिया सुनने के बाद आप सभी के मन मे यह जिज्ञाषा उत्पन होती होगी कि आखिर राजा दक्ष का वह यज्ञ कुंड कहा है जिसमे कूद सती ने अपने प्राण त्याग दिए थे। वह यज्ञ कुंड आज़मगढ़ में स्थापित है और इसका अपना अलग महत्व है।


Body:वीवो 1- तमाम धार्मिक धारावाहिको में आपने देखा होगा कि सती अपने पिता के यज्ञ कुंड में कूद अपने प्राणों की आहुति दे देती है लेकिन वह कुंड कहां है यह आज भी कई लोगो को नही पता है तो आपको बता दें कि यह कुंड आजमगढ़ के महाराजगंज में भैरो बाबा के नाम से विख्यात है। यहां हर रविवार को मंगलवार को भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था जिसमे शिव को निमंत्रण नहीं दिया तो उससे नाराज सती अपने पिता से मिलने यज्ञ स्थल पर पहुंची और निमंत्रण ना देने का कारण पूछा जिसके बाद राजा दक्ष ने वहां मौजूद तमाम देवी देवताओं व ऋषि मुनियों के सामने उनके पति यानी शिव की आलोचना करना शुरू कर दी जिससे नाराज हो सती ने उसी यज्ञ कुंड की प्रज्वलित अग्नि में कूद अपने प्राणों की आहुति दे दी।

वीवो 2- मंदिर के पंडित बताते हैं कि भगवान शिव को सती के अग्नि कुंड में कूदने की बात पता चली तो वह राजा दक्ष के यज्ञ स्थल पर पहुंचे और अपनी जटाओं से काल भैरव की उत्पत्ति की जिसके पास दक्ष के यज्ञ का विध्वंस किया गया। यहां भैरव के दो रूप स्थापित है एक काल भैरव और दूसरा वीरभद्र भैरव । पुजारी ने बताया कि यही पर राजा दक्ष का महल था और यहा 365 गहरे कुए थे वही इस स्थान से सटे ही सरयू नदी भी बहती है। पुजारी के अनुसार इतना महत्वपूर्ण स्थान होने के बाद भी यह का कोई समुचित विकाश नही किया गया ।



Conclusion:प्रत्युष सिंह
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