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...थंडर ताले की चाबी ने खोला था अमर सिंह की किस्मत का ताला

दिग्गज राजनेता और सपा के राज्य सभा सांसद अमर सिंह का सिंगापुर में इलाज के दौरान निधन हो गया. ईटीवी भारत ने अमर सिंह के चाचा प्रेमचंद्र सिंह से बातचीत की. उन्होंने बताया कि राजनीति में आने से पहले अमर सिंह ताले का व्यवसाय करते थे.

राज्य सभा सांसद अमर सिंह का सिंगापुर में इलाज के दौरान निधन
राज्य सभा सांसद अमर सिंह का सिंगापुर में इलाज के दौरान निधन.
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Published : Aug 3, 2020, 10:17 AM IST

आजमगढ़: जिले के तरवां में रहने वाले राज्यसभा सांसद दिवंगत नेता अमर सिंह की किस्मत का ताला थंडर ताले की चाबी ने खोला था. अमर सिंह के पिता हरीश चंद्र सिंह थंडर ताले का व्यवसाय करते थे. अमर सिंह भी कोलकाता पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाने जाया करते थे. कोलकाता में ही अमर सिंह की मुलाकात तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह से हुई, जहां से अमर सिंह की किस्मत बदलनी शुरू हो गई.

अमर सिंह के चाचा प्रेमचंद्र सिंह से बातचीत.
ताले के व्यवसाय से राजनेता बनने का सफर

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अमर सिंह के चाचा प्रेमचंद्र सिंह ने बताया कि अमर सिंह के पिता हरीश चंद्र सिंह थंडर ताले का व्यवसाय करते थे. इसी व्यवसाय के सिलसिले में उनका कोलकाता आना-जाना होता था. अमर सिंह भी जब बड़े होने लगे, तो अपने पिता हरीश चंद्र सिंह के व्यवसाय में हाथ बटाना शुरू कर दिया. अपने पिता के साथ वह भी कोलकाता आने-जाने लगे.

तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह से हुई मुलाकात

व्यापार के सिलसिले में कोलकाता आने-जाने के दौरान अमर सिंह की मुलाकात तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह से कोलकाता में हुई. इसके बाद वीर बहादुर सिंह ने अमर सिंह को लखनऊ बुलाया और फिर अमर सिंह की किस्मत बदलने लगी. धीरे-धीरे अमर सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, माधवराव सिंधिया के भी करीबी हो गए. इसके साथ ही बड़े-बड़े उद्योगपतियों में भी अमर सिंह की पहचान हो गई. यही कारण है कि जब 2008 में अमर सिंह के पिता हरिश्चंद्र सिंह का निधन हुआ तो उनकी तेरहवीं में राजनीति और फिल्म इंडस्ट्री का कोई भी नेता और अभिनेता ऐसा नहीं था, जो आजमगढ़ ना आया हो.

चाचा प्रेमचंद्र सिंह का कहना है कि आजमगढ़ के विकास में अमर सिंह का बहुत योगदान है. आजमगढ़ जनपद में चाहे पीजीआई के निर्माण का मामला हो या सौ शैय्या अस्पताल के निर्माण का मामला हो. एयरपोर्ट और महिला अस्पताल के साथ-साथ सड़कों का निर्माण भी कराया. अमर सिंह के भतीजे बृजेश सिंह का कहना है कि अमर सिंह के जाने के बाद हम लोग अनाथ हो गए हैं. तरवां में बिजली-पानी अस्पताल सब उन्हीं की देन है. अब ऐसे में जब वह इस दुनिया में नहीं हैं, तो हम लोग चाहते हैं कि भगवान उनकी आत्मा को शांति दे.

आजमगढ़ जनपद के तरवां के रहने वाले अमर सिंह का सिंगापुर में इलाज के दौरान निधन हो गया. अमर सिंह का विगत 6 माह से सिंगापुर में इलाज चल रहा था. अमर सिंह के निधन से उनके परिजनों के साथ जनपदवासी भी काफी दुखी हैं.

आजमगढ़: जिले के तरवां में रहने वाले राज्यसभा सांसद दिवंगत नेता अमर सिंह की किस्मत का ताला थंडर ताले की चाबी ने खोला था. अमर सिंह के पिता हरीश चंद्र सिंह थंडर ताले का व्यवसाय करते थे. अमर सिंह भी कोलकाता पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाने जाया करते थे. कोलकाता में ही अमर सिंह की मुलाकात तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह से हुई, जहां से अमर सिंह की किस्मत बदलनी शुरू हो गई.

अमर सिंह के चाचा प्रेमचंद्र सिंह से बातचीत.
ताले के व्यवसाय से राजनेता बनने का सफर

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अमर सिंह के चाचा प्रेमचंद्र सिंह ने बताया कि अमर सिंह के पिता हरीश चंद्र सिंह थंडर ताले का व्यवसाय करते थे. इसी व्यवसाय के सिलसिले में उनका कोलकाता आना-जाना होता था. अमर सिंह भी जब बड़े होने लगे, तो अपने पिता हरीश चंद्र सिंह के व्यवसाय में हाथ बटाना शुरू कर दिया. अपने पिता के साथ वह भी कोलकाता आने-जाने लगे.

तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह से हुई मुलाकात

व्यापार के सिलसिले में कोलकाता आने-जाने के दौरान अमर सिंह की मुलाकात तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह से कोलकाता में हुई. इसके बाद वीर बहादुर सिंह ने अमर सिंह को लखनऊ बुलाया और फिर अमर सिंह की किस्मत बदलने लगी. धीरे-धीरे अमर सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, माधवराव सिंधिया के भी करीबी हो गए. इसके साथ ही बड़े-बड़े उद्योगपतियों में भी अमर सिंह की पहचान हो गई. यही कारण है कि जब 2008 में अमर सिंह के पिता हरिश्चंद्र सिंह का निधन हुआ तो उनकी तेरहवीं में राजनीति और फिल्म इंडस्ट्री का कोई भी नेता और अभिनेता ऐसा नहीं था, जो आजमगढ़ ना आया हो.

चाचा प्रेमचंद्र सिंह का कहना है कि आजमगढ़ के विकास में अमर सिंह का बहुत योगदान है. आजमगढ़ जनपद में चाहे पीजीआई के निर्माण का मामला हो या सौ शैय्या अस्पताल के निर्माण का मामला हो. एयरपोर्ट और महिला अस्पताल के साथ-साथ सड़कों का निर्माण भी कराया. अमर सिंह के भतीजे बृजेश सिंह का कहना है कि अमर सिंह के जाने के बाद हम लोग अनाथ हो गए हैं. तरवां में बिजली-पानी अस्पताल सब उन्हीं की देन है. अब ऐसे में जब वह इस दुनिया में नहीं हैं, तो हम लोग चाहते हैं कि भगवान उनकी आत्मा को शांति दे.

आजमगढ़ जनपद के तरवां के रहने वाले अमर सिंह का सिंगापुर में इलाज के दौरान निधन हो गया. अमर सिंह का विगत 6 माह से सिंगापुर में इलाज चल रहा था. अमर सिंह के निधन से उनके परिजनों के साथ जनपदवासी भी काफी दुखी हैं.

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