आजमगढ़ः एक तरफ जहां कोरोना वायरस से पूरा विश्व परेशान हैं. वहीं जनपद के हरिहरपुर घराने के बच्चे इस समय का सदुपयोग कर रहे हैं. वह अपने गांव में संगीत का घंटों रियाज कर रहे हैं, जिससे देश दुनिया में हरिहरपुर घराने का नाम रोशन कर सकें.
निशुल्क दे रहे संगीत की शिक्षा
संगीत की शिक्षा लेने वाले बच्चों की भीड़ सुबह-शाम दोनों समय जुटती है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए लगभग 70 वर्षों से बच्चों को शिक्षा दे रहे 85 वर्षीय कृष्ण मुरारी मिश्रा का कहना है कि इस विपदा की घड़ी में बच्चों को संगीत की विभिन्न विधाएं सिखाई जा रही हैं. यह सारी विधाएं निशुल्क सिखाई जाती हैं. गांव के बच्चों को राग रागिनी के साथ-साथ संगीत की विभिन्न विधाएं इसलिए सिखाई जा रही हैं कि लॉकडाउन में बच्चे समय का सदुपयोग करें.
4 से 5 घंटे तक होता है रियाज
कृष्ण मुरारी कहते है कि लॉकडाउन से पूर्व जहां बच्चे दो घंटे सीखने आते थे. वहीं इस समय 4 से 5 घंटे से अधिक का समय संगीत सीखने में दे रहे हैं. कृष्ण मुरारी मिश्रा का कहना है कि हमारी उम्र हो चुकी है. ऐसे में संगीत का हुनर बच्चों में बांटना चाहते हैं, जिससे इस घराने की संगीत की परंपरा को यह बच्चे आगे बढ़ा सकें.
घराने का नाम रोशन करना चाहते हैं बच्चे
संगीत सीख रहे विवेक मिश्रा का कहना है कि पहले हम लोगों को सीखने का समय नहीं मिलता था और अब जबकि समय मिला है तो दिन भर हम लोग संगीत सीखते हैं. विवेक का कहना है कि सभी की अपनी रुचि है जैसे कोई खेलता है. इसी तरह से हम लोगों की रुचि संगीत में है और हम लोग संगीत दोनों समय बाबा से सीखते हैं.
संगीत सीखने वाले पुष्कर मिश्रा का कहना है कि इसी गांव के हमारे बाबा जो छन्नूलाल मिश्रा हैं जिन्हें 26 जनवरी को केंद्र सरकार ने पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा है. ऐसे में इस घराने का नाम और आगे बढ़ाएं. इसीलिए हम लोग इस समय ज्यादा से ज्यादा रियाज कर रहे हैं और अपने आपको संगीत में मजबूत कर रहे हैं, जिससे इस गांव को देश-दुनिया में एक नई पहचान मिल सके.
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पंडित छन्नूलाल मिश्रा का हरिहरपुर घराने से है संबंध
बताते चलें कि आजमगढ़ जनपद के हरिहरपुर घराने से ताल्लुक रखने वाले पंडित छन्नूलाल मिश्रा को अभी 26 जनवरी को केंद्र सरकार ने पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा था.पंडित छन्नूलाल मिश्रा इसी हरिहरपुर घराने से ताल्लुक रखते हैं और अभी भी इनका पैतृक घर हरिहरपुर गांव में है. छन्नूलाल महाराज को संगीत की शिक्षा उनके पिता उद्री महाराज से मिली. ऐसे में इस गांव के बच्चे संगीत के क्षेत्र में काफी रुचि रखते हैं.