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हर साल कुंवारे रह जाते हैं आजमगढ़ के बुढ़वा, नहीं मिलती दुल्हनियां

आजमगढ़ जिले में हर साल की तरह इस साल भी बजरंग गोला दल अखाड़ा के बिहारी जी मंदिर से बुढ़वा की बारात निकली गई. हर बार की तरह इस बार भी बुढ़वा कुंवारे रह गए. इस दौरान बुढ़वा की बारात को देखने के लिए सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा.

जानकारी देते समाजसेवी संत प्रकाश अग्रवाल.
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Published : Mar 21, 2019, 6:26 AM IST

आजमगढ़:होलिकादहन के दिन पूरेआजमगढ़ शहर मेंबजरंग गोला दल अखाड़ा केबिहारी जी मंदिर से बुढ़वा की बारात निकली.इस दौरानबारात में शामिलयुवा डीजे के गानों पर जमकर थिरके. इस दौरान सभी ने एक-दूसरे पर जमकर गुलाल उड़ाया.बुढ़वा की बारात में ग्रामीण अंचलों की परंपरागत झांकियां भी निकाली जाती हैं.

जानकारी देते समाजसेवी संत प्रकाश अग्रवाल.


ईटीवी भारत से बातचीत में समाजसेवी संत प्रकाश अग्रवाल ने बताया कि श्री बिहारी जी के मंदिर से निकलने वाली बुढ़वा कीबरात शहर के लाल दिग्गी पुरानी कोतवाली दलाल घाट सहित प्रमुख बाजारों से होते हुए पुनः बिहारी जी के मंदिर पर समाप्त होती है.उन्होंने बताया कि बारात में बना दूल्हा हर वर्ष बारात निकलने के बाद भी कुंवारा ही रह जाता है.दूल्हा बनेमंगरु दुल्हन की आस में सज-धजकर सड़कों पर निकलते हैं, लेकिन पूरेशहर के चक्कर लगाने के बाद भी उन्हें दुल्हन नसीब नहीं होती.

बुढ़वा को हर होली में दुल्हन की आस रहती है, लेकिन उन्हें दुल्हनिया नहीं मिल पाती हैं.पूरे रास्ते भर बुढ़वाको आसपास के लोग कमेंट करते रहते हैं.बुढ़वा की इस बारात को देखने के लिएपूरे शहर का मेला जुटता है. बुढ़वा कि यह बारात हर वर्ष निकाली जाती है. बारात में देवी-देवताओं की लगी झांकी आकर्षण का केंद्र रहती है.वहीं देवी-देवताओं के पीछे चल रहे दूल्हे की गाड़ी लोगों का खूब मनोरंजन करती है.

आजमगढ़:होलिकादहन के दिन पूरेआजमगढ़ शहर मेंबजरंग गोला दल अखाड़ा केबिहारी जी मंदिर से बुढ़वा की बारात निकली.इस दौरानबारात में शामिलयुवा डीजे के गानों पर जमकर थिरके. इस दौरान सभी ने एक-दूसरे पर जमकर गुलाल उड़ाया.बुढ़वा की बारात में ग्रामीण अंचलों की परंपरागत झांकियां भी निकाली जाती हैं.

जानकारी देते समाजसेवी संत प्रकाश अग्रवाल.


ईटीवी भारत से बातचीत में समाजसेवी संत प्रकाश अग्रवाल ने बताया कि श्री बिहारी जी के मंदिर से निकलने वाली बुढ़वा कीबरात शहर के लाल दिग्गी पुरानी कोतवाली दलाल घाट सहित प्रमुख बाजारों से होते हुए पुनः बिहारी जी के मंदिर पर समाप्त होती है.उन्होंने बताया कि बारात में बना दूल्हा हर वर्ष बारात निकलने के बाद भी कुंवारा ही रह जाता है.दूल्हा बनेमंगरु दुल्हन की आस में सज-धजकर सड़कों पर निकलते हैं, लेकिन पूरेशहर के चक्कर लगाने के बाद भी उन्हें दुल्हन नसीब नहीं होती.

बुढ़वा को हर होली में दुल्हन की आस रहती है, लेकिन उन्हें दुल्हनिया नहीं मिल पाती हैं.पूरे रास्ते भर बुढ़वाको आसपास के लोग कमेंट करते रहते हैं.बुढ़वा की इस बारात को देखने के लिएपूरे शहर का मेला जुटता है. बुढ़वा कि यह बारात हर वर्ष निकाली जाती है. बारात में देवी-देवताओं की लगी झांकी आकर्षण का केंद्र रहती है.वहीं देवी-देवताओं के पीछे चल रहे दूल्हे की गाड़ी लोगों का खूब मनोरंजन करती है.

Intro:anchor: आजमगढ़। होली के दिन पुर आजमगढ़ शहर के बजरंग गोला दल अखाड़ा के बिहारी जी के मंदिर से बुढ़वा की बारात निकलती है। इस बारात में शामिल युवा डीजे के गानों पर थिरकते चारों तरफ रंग उड़ आते चलते हैं। बुढ़वा की बारात में ग्रामीण अंचलों की परंपरागत झांकियां भी निकाली जाती हैं।


Body:वीओ: 1 ईटीवी भारत से बातचीत में समाजसेवी संत प्रकाश अग्रवाल ने बताया कि श्री बिहारी जी के मंदिर से निकलने वाली बुढ़वा किया बरात शहर के लाल दिग्गी पुरानी कोतवाली दलाल घाट सहित प्रमुख बाजारों को होते हुए पुनः बिहारी जी के मंदिर पर ही समाप्त होती है। उन्होंने बताया कि इस बारात में बना दूल्हा हर वर्ष बारात निकलने के बाद भी कुंवारा ही रह जाता है। दूल्हा मने बहु मंगरु दुल्हन की आस में सरधर कर सड़कों पर निकलते हैं लेकिन पूरा शहर चक्कर लगाने के बाद भी उन्हें दुल्हन नसीब नहीं होती। हरवंश गुरु को अगले होली में दुल्हन की आस रहती है लेकिन उन्हें दुल्हनिया नहीं मिल पाती हैं। पूरे रास्ते भर गुरु को आसपास के लोग कमेंट करते रहते हैं। बुढ़वा किस बारात को देखने पूरे शहर का मेला जुटता है।


Conclusion:वीओ: 2 बताते चलें कि बुढ़वा कि यह बारात हर वर्ष निकाली जाती है लेकिन इसके बावजूद भी दूल्हा कुंवारा रहता है। बुढ़वा की बारात में देवी देवताओं की लगी झांकी आकर्षण का केंद्र भी रहती है वहीं देवी देवताओं के पीछे चल रहे दूल्हे की गाड़ी बरबस ही लोगों को हंसा देती है।

बाइट संत प्रकाश अग्रवाल समाजसेवी
अजय कुमार मिश्रा आजमगढ़ 94 537 66 900
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