आजमगढ़ः उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सत्ताधारी बीजेपी की नज़र पूर्वांचल के आजमगढ़ पर टिकी हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी योजना है कि अगर समाजवादी पार्टी के किले आजमगढ़ को भेद दिया, तो पूरे पूर्वांचल को साधना और भी आसान हो जाएगा.
बीजेपी की पूर्वांचल को साधने की योजना देख समाजवादी पार्टी भी अपनी रणनीति बनाने में व्यस्त है. वो भी ठीक उसी दिन सीएम योगी के अभेद्य कहे जाने वाले किले गोरखपुर में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करना चाहते हैं. हालांकि आजमगढ़ को लेकर बीजेपी की योजना से वो भयभीत जरूर हैं. तभी तो वो रह-रहकर अपने बयानों में इसका जिक्र करते भी देखे जा रहे हैं.
गृहमंत्री अमित शाह 12 और 13 नवंबर को फिर से उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में आ रहे हैं. जिसमें वाराणसी, आजमगढ़ और गोरखपुर का दौरा शामिल है. वे सबसे पहले वाराणसी में प्रदेश बीजेपी की संगठनात्मक तैयारियों का जायजा लेंगे. इसके बाद पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देंगे. जिसके बाद वे आजमगढ़ के लिए रवाना हो जाएंगे. जहां 13 नवंबर को वो यशपालपुर आजमबांध, आजमगढ़ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, इस जिले को स्टेट यूनिवर्सिटी की सौगात देंगे. जिसकी घोषणा सीएम योगी ने शपथ लेने के बाद ही दे दी थी. लेकिन सही जगह पर जमीन न मिलने से इसमें लेट-लटीफी हुई. बहरहाल अब जिलेवासियों की काफी सालों की मांग पूरी होने जा रही है. इसके बाद मंदूरी एयरपोर्ट और पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की भी बीजेपी आजमगढ़ को सौगात देगी.
दरअसल, ये यूनिवर्सिटी इसलिए भी आजमगढ़ जिले के लिए अहम है क्यों कि इसकी काफी सालों से मांग की जा रही थी. साल 2012 में जब समाजवादी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी. तो एसपी ने यहां की 10 विधानसभा सीटों में 9 पर फतह हासिल की थी. लेकिन सरकार बनने के बाद अपने किये गए यूनिवर्सिटी के वादे से अखिलेश मुकर गए. जबकि यहां के सांसद खुद उनके पिता मुलायम सिंह यादव थे. नतीजा ये हुआ कि इस बार फिर से इस जिले ने अपने को छला सा महसूस किया.
हालांकि इसके बावजूद साल 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां की जनता ने अखिलेश को पिता की जगह सांसद चुना. लेकिन एसपी मुखिया अखिलेश ने इस जिले के लिए अभी तक कुछ खास नहीं किया है. जिसका फायदा सीएम योगी इस बार के विधानसभा चुनाव में लेना चाहते हैं. वे इस जिले की हर उस मांग को पूरी करने में लगे हैं. जो यहां पर सालों से स्थानीय लोग करते आए हैं.
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2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने यहां अखिलेश यादव के खिलाफ भोजपुरी एक्टर दिनेश लाल निरहुआ को चुनाव मैदान में उतारा था. नतीजा बहुत ही कम दिनों में चुनाव मैदान में कूदे दिनेश लाल यादव निरहुआ ने एसपी सुप्रीमो को कड़ी टक्कर दी थी. हालांकि सीएम फेस होने की वजह से अखिलेश को यहां की जनता ने निराश नहीं किया. लेकिन बात विधान सभा चुनाव की करें, तो यहां 1996 से लगातार समाजवादी पार्टी के विधायक दुर्गा प्रसाद यादव का कब्जा बना हुआ है. हालांकि विकास के मामले में इनका रिपोर्ट कार्ड भी जीरो ही रहा है.
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स्थानीय लोगों के मुताबिक विधायक दुर्गा यादव की उपलब्धि इस पूरे विधानसभा में देखी जाए, तो एक भी ऐसा काम नहीं होगा, जो उनके खाते में जाता हो, जिसे हम और आप बड़ी उपलब्धि बता सकते हों. अगर यहां की जनता का वोट प्रतिशत देखा जाए, तो करीब 45 फीसदी यादव और मुस्लिम मतदाता है और करीब 24 फीसदी अगड़ी जातियां हैं. जबकि 30 फीसदी के आस-पास दलित जाति भी है. इसी को देखते हुए बीजेपी आजमगढ़ के राजनीतिक समीकरण को बदलने में जी-जान से लगी हुई है.
वहीं भारतीय जनता पार्टी के श्रम विभाग के जिला संयोजक ओंकार नाथ तिवारी ने कहा है कि बीजेपी ने आजमगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वांचल में विकास का काम किया है, यहां की सालों से यूनिवर्सिटी की मांग को बीजेपी पूरा करने जा रही है, साथ ही मंदूरी एयरपोर्ट और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की सौगात जिलेवासियों को मिलने जा रही है. जिसे देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में योगी सरकार दोबारा चुनकर आ रही है.