आजमढ़: मदरसा पोर्टल पर अपलोड मदरसों के सत्यापन के दौरान मानक के विपरीत संचालित हो रहे 313 मदरसों की जांच कराई गई थी. इनमें से 219 अस्तित्वहीन मदरसों के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा करके मान्यता देने, जांच से संबंधित दस्तावेजों को गायब करने और मदरसा आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत भुगतान करके शासकीय धन का गबन किया गया था. एसआईटी ने जांच में पाया कि आजमगढ़ में 39 अस्तित्वहीन मदरसों ने शासकीय धन का गबन किया है. साथ ही, समस्त 219 अस्तित्वहीन मदरसों को मान्यता देने में विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने घोर लापरवाही और अनियमितता बरती है.
जांच के दायरे में आए मदरसों को दिए गये मानदेय का पूरा विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया. इस पूरे मामले में अधिकारियों व कर्मचारियों ने घोर लापरवाही बरती. शासन ने इस मामले में एसआईटी को दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद एसआईटी ने दोषी आजमगढ़ के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के रजिस्ट्रार जावेद असलम, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी लालमन, अकील अहमद व प्रभात कुमार, लिपिक सरफराज, वक्फ निरीक्षक मुन्नर राम, लिपिक वक्फ ओमप्रकाश पांडेय व अज्ञात अधिकारी एवं कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया.
वहीं, इस पूरे मामले पर अल्पसंख्यक विभाग के प्रभारी वरिष्ठ लिपिक मनोज राय ने बताया कि इन लोगों को लखनऊ में मुकदमा दर्ज किए जाने की जानकारी मिली है. SIT ने डिटेल में जांच की थी. इस मामले में आजमगढ़ में 7 लोगों पर मुकदमा दर्ज होने की सूचना मिली है. वह अलग-अलग समय में आजमगढ़ में तैनात रहे हैं. वर्तमान में एक अल्पसंख्यक अधिकारी रिटायर भी हो चुके हैं और एक की मृत्यु हो चुकी है.
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