अयोध्या : तीर्थाटन के उद्देश्य से राम नगरी अयोध्या पहुंचे आगरा के सिकंदरा थाना क्षेत्र के 4 परिवारों के लिए उनकी यह यात्रा बेहद खौफनाक रही. इन चार परिवारों के 15 सदस्यों में से 6 ने एक दूसरे को बचाने के प्रयास में अपनी जान गवां दी जबकि 5 लोग सुरक्षित बचा लिए गए हैं. चार अभी भी लापता हैं. इस पूरी घटना में छोटी सी मानवीय चूक बड़े हादसे का कारण बन गई.
बताया जाता है कि जब इस परिवार के लोग प्रमुख सरयू घाट को छोड़कर एक सुनसान घाट पर नाव से उतरकर पानी में अठखेलियां कर रहे थे, तभी हादसे का शिकार हो गए. लखनऊ और बलरामपुर से आई एनडीआरएफ की टीम नदी की गहराइयों में खो चुके आगरा के इस परिवार के चार सदस्यों की अभी भी तलाश कर रही है.
आगरा से आए सतीश की आंखों के सामने पत्नी और तीन बेटियां डूब गए
हादसे में जिंदा बचे परिवार के चश्मदीद सतीश इस हादसे में अपनी पत्नी और बेटियों को गंवा चुके हैं. हादसे में उनके परिवार के कई अन्य सदस्य भी लापता हैं.
सतीश ने बताया कि अयोध्या के संत तुलसीदास घाट पर परिवार के सभी सदस्य चार पहिया वाहन से उतरे और स्नान किया. उसके बाद नाव पर सवार हो गए. नाविक ने गुप्तार घाट तक घुमाने का लालच देकर सभी से पैसे तय किए और अयोध्या से 6 किलोमीटर दूर गुप्तार घाट तक नाव से सभी ने यात्रा की.
उसके बाद घाट पर नाव से उतरकर नदी के किनारे लोग अठखेलियां कर रहे थे. इसी दौरान परिवार की एक महिला का पैर फिसला और वह गहरे पानी में डूबने लगी. उस महिला को बचाने के लिए एक के बाद एक परिवार के 15 सदस्य नदी में उतर गए.
इनमें से तीन पुरुषों ने खुद को बचा लिया और बाहर आ गए जबकि 12 लोग एक के बाद एक नदी की तेज धारा में बहने लगे. जहां यह घटना हुई, वह मुख्य गुप्तार घाट से काफी दूर का घाट था. सुनसान जगह होने से डूब रहे लोगों तक जब तक मदद पहुंचती, तब तक सभी लोग पानी में बह चुके थे.
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6 किलोमीटर के दायरे में हो रही है नदी में डूबे लोगों की तलाश
घटना की सूचना पाकर तत्काल स्थानीय प्रशासन मौके पर पहुंच गया. अयोध्या नगर निगम के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय भी दल बल के साथ सरयू घाट के किनारे पहुंचे. बताया कि सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन द्वारा राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया. गुप्तार घाट से लेकर अयोध्या के संत तुलसीदास घाट तक डूबे हुए लोगों की तलाश की जा रही है.
जिस स्टीमर से गोताखोर कर रहे थे डूबे हुए लोगों की तलाश उसमें खत्म हो गया पेट्रोल
इस पूरे घटना क्रम में शर्मनाक स्थिति तब पैदा हो गई जब गोताखोरों को ले जा रही टीम की स्टीमरबोट का पेट्रोल खत्म हो गया. आलम यह था कि घाट के किनारे मौजूद गोताखोर पत्रकारों की मोटरसाइकिल से और स्थानीय नागरिकों की मोटरसाइकिल से पेट्रोल निकालते नजर आए.
वहीं, घटना के बाद मौके पर पहुंचे डीएम अनुज कुमार झा और एसएसपी शैलेश पांडे ने मोर्चा संभाला. स्वयं एसएसपी शैलेश पांडे नदी में उतर पड़े और डूबे हुए लोगों की तलाश शुरू कर दी. वहीं, डीएम अनुज कुमार झा घाट के किनारे एंबुलेंस की व्यवस्था और अन्य व्यवस्थाओं को देखते नजर आए.
डीएम अनुज कुमार झा ने बताया कि राहत और बचाव दल के सदस्यों ने बेहतर काम किया है. 4 लोगों को जीवित बाहर निकाल लिया गया है, शेष की तलाश जारी है. गोताखोरों की टीम लगातार नदी में कांबिंग कर रही है. प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जीवित नदी से बाहर निकाल लिया जाए. लखनऊ और बलरामपुर से एनडीआरएफ की टीम आ चुकी है. नदी में डूबे लोगों की तलाश की जा रही है.
इन्होंने गंवाई हादसे में अपनी जान
हादसे के शिकार सभी लोग आगरा जनपद के सिकंदरा थाना क्षेत्र के ए ब्लॉक शास्त्रीपुरम के रहने वाले हैं. इनमें ललित पुत्र अशोक उम्र 40 वर्ष, पंकज पुत्र अशोक उम्र 25 वर्ष, श्रुति पुत्री देवेंद्र कुमार 20 वर्ष समेत कुल पांच लोगों की मौत हो चुकी है.
वहीं, सतीश पुत्र जगमोहन 40 वर्ष, नमन पुत्र सतीश उम्र 7 वर्ष, अशोक पुत्र नेमीचंद्र उम्र 65 वर्ष,आरती पत्नी सतीश 35 वर्ष, धैर्या पुत्री ललित 7 वर्ष, गौरी पुत्री अशोक 28 वर्ष को जीवित बाहर निकाल लिया गया है जबकि 4 लोग अभी भी लापता हैं.
बोटिंग कराने वाले नाविक भी हैं घटना के लिए जिम्मेदार
इस पूरी घटना में सबसे अहम कड़ी अयोध्या के संत तुलसीदास घाट से 6 किलोमीटर दूर गुप्तार घाट तक बोट को लाने वाला नाविक है. इतनी दूर सफर करने के बाद जब श्रद्धालु सुनसान जगह पर नाव से उतरने लगे, उस समय भी नाव चलाने वाले व्यक्ति ने इन्हें सतर्क नहीं किया. जबकि घाट के किनारे रहने वाले नाविकों को अच्छे से इस बात की जानकारी होती है कि किस स्थान पर पानी की गहराई ज्यादा है.
सुनसान जगह पर नाव नदी के किनारे लगाने पर भी नाविक ने कोई एतराज नहीं किया. सुनसान जगह पर हादसा होने के कारण डूब रहे लोगों की मदद नहीं हो सकी. वहीं, आपातकालीन व्यवस्थाएं भी हलकान और परेशान नजर आईं. इसके कारण भी राहत और बचाव कार्य में देरी हुई.