अयोध्याः रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन के बाद अयोध्या को विश्व स्तरीय पर्यटन सुविधाओं से जोड़ने का काम तेज कर दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की आकांक्षाओं के मुताबिक नये अयोध्या को बसाने की तैयारियां तेज कर दी गयी हैं.
1,193 एकड़ भूमि पर 28 सौ करोड़ रुपये किये जायेंगे खर्च
1,193 एकड़ भूमि पर 28 सौ करोड़ की लागत से उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद इसे बसाए जाने का काम कर रहा है. इसमें अयोध्या गोरखपुर हाईवे के एक ओर 182 एकड़ और दूसरी ओर 811 एकड़ भूमि अधिग्रहित की जानी है.
14 गाटा के 5 हजार किसानों से जमीन क्रय करने के लिए बातचीत
ये भूमि अयोध्या के माजा बरेहटा, माझा तिहुरा और माझा शाहनेवाजपुर में 1,193 एकड़ होगा. इसके लिए करीब 14 गाटा के 5 हजार किसानों से जमीन क्रय करने के लिए बातचीत चल रही है. हालांकि इस पर निर्णय पूरी तरह नहीं हो सका है, लेकिन आवास विकास परिषद ने योजना मंजूर हो जाने के बाद इस पर काम तेज कर दिया है.
आवास विकास परिषद अधिकारियों को भेज रहा अयोध्या आवास विकास परिषद अपने अधिकारियों को अयोध्या भेजकर इस योजना को आखिरी रूप देने के लिए किसानों से बातचीत करने में जुटा है. सूत्रों के मुताबिक दिसंबर महीने के पहले सप्ताह में लखनऊ से आला अफसरों की टीम अयोध्या आ सकती है, जो किसानों से बातचीत कर उनकी जमीने सीधे खरीदने का काम करेगी. फिलहाल अयोध्या के तीनों ग्राम सभाओं के किसानों से बातचीत शुरू कर दी गई है.
भारत के 25 राज्यों और पांच देशों के बनाये जायेंगे अतिथि गृह
अयोध्या में भारत के 25 राज्यों और 5 देशों के अतिथि गृह बनाए जाने हैं. इसके अलावा 30 से ज्यादा फाइव स्टार, थ्री स्टार होटल और धर्मशालाओं का निर्माण कार्य होना है. इस योजना को मंजूरी मिलने के बाद 18 मीटर चौड़ी सड़कें, अंडरग्राउंड बिजली सहित वाईफाई पर्यटन की आवश्यकताओं को उपलब्ध कराए जाने का खाका खींचा गया है.
सीएम को नई आयोध्या बनाने के भेजे थे प्रस्ताव
अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय ने करीब डेढ़ साल पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नई अयोध्या बसाने जाने का प्रस्ताव भेजा था. इसके संबंध में उपाध्याय ने बताया कि मांझा बरेटा, माझा तिहुरा और माझा शाहनवाजपुर में 1,193 एकड़ भूमि खरीदने के लिए किसानों से बातचीत चल रही है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि ये महायोजना अयोध्या के विश्व स्तरीय विकास में मील का पत्थर साबित होगी. जिसमें देशी-विदेशी श्रद्धालुओं और अतिथियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी. यहां रहकर वे सरयू किनारे की प्राकृतिक खूबसूरती का अनुभव के साथ ही आध्यात्मिकता का भरपूर आनंद ले सकेंगे.