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अयोध्या: मंदिर निर्माण में प्रयोग होने वाले पत्थर अब राम जन्मभूमि परिसर में ही तराशे जाएंगे - राम मंदिर अयोध्या

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर में लगने वाले पत्थरों को अब जन्मभूमि परिसर में ही कार्यशाला बनाकर तराशा जाएगा, जिससे पत्थरों को तराशने के बाद उन्हें उठाने और ले जाने में वह क्षतिग्रस्त न हों. इसके लिए पत्थरों की नाप का काम शुरू हो गया है.

राम मंदिर में लगने वाले पत्थर.
राम मंदिर में लगने वाले पत्थर.
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Published : Sep 23, 2020, 10:19 AM IST

अयोध्या: राम नगरी में भव्य राम मंदिर निर्माण को लेकर कार्यदाई संस्था लार्सन एंड टूब्रो के इंजीनियर टेस्ट पाइलिंग का काम तेजी से कर रहे हैं. अभी तक टेस्टिंग के लिए बुनियाद को गलाने का काम किया जा रहा है. मजबूती की जांच रिपोर्ट आने के बाद नवरात्र के प्रथम सप्ताह में सभी 1200 खंभों के लिए खुदाई का काम शुरू किया जाएगा. इसी बीच मंदिर निर्माण के लिए कारसेवक पुरम कार्यशाला में तराश कर रखे गए पत्थरों को परिसर में पहुंचाने की कवायद भी तेज हो गई है. इसके लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है. इतना ही नहीं मंदिर के दूसरे तल के लिए जिन पत्थरों को तराशने का काम होना है, उन्हें भी रामसेवक पुरम कार्यशाला से राम जन्मभूमि परिसर ले जाने की योजना है, जहां पर इन्हें तराशा जाएगा. इसके लिए पत्थरों की नाप का काम शुरू हो गया है.

संकरे मोड़ और पतले रास्तों की वजह से लिया गया निर्णय
मिली जानकारी के मुताबिक अब पत्थरों को तराशने का काम राम जन्मभूमि परिसर में ही कार्यशाला बनाकर किया जाएगा. जिससे पत्थरों को तराशने के बाद उन्हें उठाने और ले जाने में वह क्षतिग्रस्त न हों. अभी तक राम मंदिर निर्माण के लिए पहले तल के लिए आवश्यक करीब सवा लाख घनफुट पत्थरों की तराशी का काम किया जा चुका है. इसके बाद रामसेवक पुरम में करीब 40,000 घनफुट पत्थर रखे हैं, जिन्हें राम जन्मभूमि परिसर में बनाई जाने वाली कार्यशाला में तराशा जाएगा. बता दें कि राम जन्मभूमि परिसर से कारसेवक पुरम कार्यशाला की दूरी करीब 2 किलोमीटर की है और इस रास्ते में कई संकरे मोड़ और पतले रास्ते हैं. यह रास्ता शहर के बेहद व्यस्ततम इलाके से होकर गुजरता है. ऐसे में इस मुख्य मार्ग से विशालकाय पत्थरों को कारसेवक पुरम कार्यशाला से राम जन्मभूमि परिसर ले जाना भी बड़ी चुनौती है. इसे देखते हुए अब से पत्थर तराशने का काम राम जन्मभूमि परिसर में ही किए जाने का निर्णय लिया गया है.

अयोध्या: राम नगरी में भव्य राम मंदिर निर्माण को लेकर कार्यदाई संस्था लार्सन एंड टूब्रो के इंजीनियर टेस्ट पाइलिंग का काम तेजी से कर रहे हैं. अभी तक टेस्टिंग के लिए बुनियाद को गलाने का काम किया जा रहा है. मजबूती की जांच रिपोर्ट आने के बाद नवरात्र के प्रथम सप्ताह में सभी 1200 खंभों के लिए खुदाई का काम शुरू किया जाएगा. इसी बीच मंदिर निर्माण के लिए कारसेवक पुरम कार्यशाला में तराश कर रखे गए पत्थरों को परिसर में पहुंचाने की कवायद भी तेज हो गई है. इसके लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है. इतना ही नहीं मंदिर के दूसरे तल के लिए जिन पत्थरों को तराशने का काम होना है, उन्हें भी रामसेवक पुरम कार्यशाला से राम जन्मभूमि परिसर ले जाने की योजना है, जहां पर इन्हें तराशा जाएगा. इसके लिए पत्थरों की नाप का काम शुरू हो गया है.

संकरे मोड़ और पतले रास्तों की वजह से लिया गया निर्णय
मिली जानकारी के मुताबिक अब पत्थरों को तराशने का काम राम जन्मभूमि परिसर में ही कार्यशाला बनाकर किया जाएगा. जिससे पत्थरों को तराशने के बाद उन्हें उठाने और ले जाने में वह क्षतिग्रस्त न हों. अभी तक राम मंदिर निर्माण के लिए पहले तल के लिए आवश्यक करीब सवा लाख घनफुट पत्थरों की तराशी का काम किया जा चुका है. इसके बाद रामसेवक पुरम में करीब 40,000 घनफुट पत्थर रखे हैं, जिन्हें राम जन्मभूमि परिसर में बनाई जाने वाली कार्यशाला में तराशा जाएगा. बता दें कि राम जन्मभूमि परिसर से कारसेवक पुरम कार्यशाला की दूरी करीब 2 किलोमीटर की है और इस रास्ते में कई संकरे मोड़ और पतले रास्ते हैं. यह रास्ता शहर के बेहद व्यस्ततम इलाके से होकर गुजरता है. ऐसे में इस मुख्य मार्ग से विशालकाय पत्थरों को कारसेवक पुरम कार्यशाला से राम जन्मभूमि परिसर ले जाना भी बड़ी चुनौती है. इसे देखते हुए अब से पत्थर तराशने का काम राम जन्मभूमि परिसर में ही किए जाने का निर्णय लिया गया है.

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