अयोध्या: हरिद्वार में अयोध्या मामले पर विहिप व संतों की बैठक हुई. इसके बाद तपस्वी छावनी के महंत स्वामी परमहंस दास ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बहुसंख्यक जनता ने नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रचंड जनादेश के साथ प्रधानमंत्री बनाया है. इसलिए सरकार का कर्तव्य बनता है कि उनके इस भरोसे पर खरे उतरे और राम मंदिर के निर्माण के लिए 2019 में ही शिलान्यास करे.
- विहिप, आरएसएस और बजरंग दल ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर दिन-रात एक कर के भाजपा को प्रचंड बहुमत दिया है.
- मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से आग्रह करता हूं कि विहिप की भावनाओं का आदर किया जाना चाहिए.
- राम मंदिर पर हम लोग धैर्य धारण किए हुए बैठे हैं, लेकिन अब हमारे धैर्य की सीमा टूट चुकी है.
- विहिप के कहने का पर्याय भी यही है कि 2019 में आप राम जन्मभूमि का शिलान्यास कर दीजिए, तभी 2022 तक यह निर्माण कार्य पूरा हो पाएगा.
- राम मंदिर कोई छोटा-मोटा मंदिर नहीं है, पूरे विश्व की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं.
- यदि 2019 में राम जन्मभूमि का शिलान्यास हो जाता है तो 2022 में राम मंदिर बनकर खड़ा हो पाएगा.
- समझौता कराने का काम सुप्रीम सर्वोच्च न्यायालय का नहीं है.
- सर्वोच्च न्यायालय का काम साक्ष्य और सबूतों के आधार पर अपने तथ्य को रखना हैं.
- हम चाहते हैं कि किसी भी कीमत पर 2019 में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो.
जिस तरह से सोमनाथ मंदिर का निर्माण कानून बनाकर सरदार वल्लभभाई पटेल ने करवाया था, उसी तरह से अयोध्या राम जन्मभूमि पर दिव्य राम जन्मभूमि का निर्माण प्रधानमंत्री कानून बनाकर शुरू करें. जिस दिन विहिप, आरएसएस, बजरंग दल, बहुसंख्यक समाज, संत, महंत और धर्माचार्य सड़क पर उतर जाएगा तो उन्हें फिर दुनिया की कोई भी ताकत रोक नहीं पाएगी.
-स्वामी परमहंस दास, पीठाधीश्वर, तपस्वी छावनी पीठ