अयोध्या: सरयू तट ने अयोध्या की हर दशा और दिशा नजदीकी से साथ देखा है. राम नगरी में बहुत कुछ बदला. समय के साथ अयोध्या वासियों की प्राथमिकताओं में परिवर्तन हुआ, लेकिन राम मंदिर की मांग 500 वर्षों से बनी रही. अयोध्या वासियों के साथ भगवान राम के नेत्रों से निकलने वाली मां सरयू भी रामलला के जन्मस्थान पर भव्य मंदिर की प्रतीक्षा करती रहीं.
अयोध्या के बनते-बिगड़ते अतीत का गवाह सरयू तट - सरयू तट
अयोध्या में ऐतिहासिक राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को भूमिपूजन किया जाएगा. वहीं इसको लेकर ईटीवी भारत के साथ अंजनेय सेवा संस्थान द्वारा आयोजित हो रही नित्य सरयू महाअरती के अध्यक्ष शशिकांत दास ने बातचीत की. इस दौरान उन्होंने सरयू तट की पौराणिक महत्व को बताया.
सरयू तट की पौराणिक महत्व
अयोध्या: सरयू तट ने अयोध्या की हर दशा और दिशा नजदीकी से साथ देखा है. राम नगरी में बहुत कुछ बदला. समय के साथ अयोध्या वासियों की प्राथमिकताओं में परिवर्तन हुआ, लेकिन राम मंदिर की मांग 500 वर्षों से बनी रही. अयोध्या वासियों के साथ भगवान राम के नेत्रों से निकलने वाली मां सरयू भी रामलला के जन्मस्थान पर भव्य मंदिर की प्रतीक्षा करती रहीं.
राम नगरी के पौराणिक मंदिरों के सामने से बहने वाली पवित्र नदी सरयू का उद्गम भगवान राम के अश्रु से माना जाता है. इसे वैदिक कालीन नदी माना जाता है. ऋग्वेद में इस नदी का उल्लेख मिलता है. माना जाता है इंद्र के द्वारा दो आर्यों का वध इसी नदी के तट पर किया गया था. रामायण की कथा में सरयू अयोध्या से होकर बहती है. राजा दशरथ की राजधानी अयोध्या की सीमा का निर्धारण इसी नदी से होता है.
वाल्मीकि रामायण के कई प्रसंगों में सरयू नदी का उल्लेख है. भगवान राम को शिक्षा देने के लिए अयोध्या से लेकर गंगा के संगम तक ऋषि विश्वामित्र इसी नदी से होकर गए थे. बौद्ध ग्रंथों में इसे शराब के नाम से जाना जाता है.माना जाता है कि भगवान राम वन जाते समय सरयू से होकर गए थे, जब भगवान ने अपनी लीला समाप्त की तो गुप्तार घाट पर उन्होंने विष्णु रूप धारण किया.
सरयू नदी के गुप्तार घाट पर स्थिति गुप्त हरि मंदिर इसी मान्यता के चलते स्थापित हुआ. इस मंदिर में भगवान की अपनी लीला को समाप्त करने से पहले और बाद दोनों रूपों को दिखाया गया है.आज जब अयोध्या में लंबे संघर्ष के बाद राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है तो सभी राम मंदिर समर्थकों में उत्साह है. ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान अंजनेय सेवा संस्थान द्वारा आयोजित हो रही नित्य सरयू महाअरती के अध्यक्ष शशिकांत दास का कहना है कि राम मंदिर निर्माण से चारों तरफ उत्साह का माहौल है.
492 वर्षों के संघर्ष के बाद भगवान राम के जन्म स्थान पर मंदिर बनने जा रहा है. सरयू तट अयोध्या में होने वाले प्रत्येक घटनाक्रम और पल की साक्षी रही हैं. सरयू जल के बिना अयोध्या के किसी मंदिर के कपाट तक नहीं खुलते. अयोध्या में राम मंदिर बनने के साथ विकास को भी गति मिलेगी.
राम नगरी के पौराणिक मंदिरों के सामने से बहने वाली पवित्र नदी सरयू का उद्गम भगवान राम के अश्रु से माना जाता है. इसे वैदिक कालीन नदी माना जाता है. ऋग्वेद में इस नदी का उल्लेख मिलता है. माना जाता है इंद्र के द्वारा दो आर्यों का वध इसी नदी के तट पर किया गया था. रामायण की कथा में सरयू अयोध्या से होकर बहती है. राजा दशरथ की राजधानी अयोध्या की सीमा का निर्धारण इसी नदी से होता है.
वाल्मीकि रामायण के कई प्रसंगों में सरयू नदी का उल्लेख है. भगवान राम को शिक्षा देने के लिए अयोध्या से लेकर गंगा के संगम तक ऋषि विश्वामित्र इसी नदी से होकर गए थे. बौद्ध ग्रंथों में इसे शराब के नाम से जाना जाता है.माना जाता है कि भगवान राम वन जाते समय सरयू से होकर गए थे, जब भगवान ने अपनी लीला समाप्त की तो गुप्तार घाट पर उन्होंने विष्णु रूप धारण किया.
सरयू नदी के गुप्तार घाट पर स्थिति गुप्त हरि मंदिर इसी मान्यता के चलते स्थापित हुआ. इस मंदिर में भगवान की अपनी लीला को समाप्त करने से पहले और बाद दोनों रूपों को दिखाया गया है.आज जब अयोध्या में लंबे संघर्ष के बाद राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है तो सभी राम मंदिर समर्थकों में उत्साह है. ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान अंजनेय सेवा संस्थान द्वारा आयोजित हो रही नित्य सरयू महाअरती के अध्यक्ष शशिकांत दास का कहना है कि राम मंदिर निर्माण से चारों तरफ उत्साह का माहौल है.
492 वर्षों के संघर्ष के बाद भगवान राम के जन्म स्थान पर मंदिर बनने जा रहा है. सरयू तट अयोध्या में होने वाले प्रत्येक घटनाक्रम और पल की साक्षी रही हैं. सरयू जल के बिना अयोध्या के किसी मंदिर के कपाट तक नहीं खुलते. अयोध्या में राम मंदिर बनने के साथ विकास को भी गति मिलेगी.
Last Updated : Aug 2, 2020, 4:21 PM IST