अयोध्या: श्री राम मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय मासिक बैठक रविवार की शाम अयोध्या के सर्किट हाउस परिसर में समाप्त हुई. इस दौरान पहले दिन जहां निर्माण कार्य स्थल पर कार्य की प्रगति की समीक्षा की गई. वहीं दूसरे दिन रविवार को कार्यदाई संस्था के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ आगे के निर्माण कार्य पर विचार विमर्श हुआ. जिसमें चार प्रमुख बिंदुओं पर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने कार्यदाई संस्था लार्सन एंड टूब्रो और तकनीकी सलाहकार टाटा कंसलटेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों से विचार विमर्श किया.
रामलला को अर्पित सोने-चांदी की परखेगी 'मिन्ट'
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि अभी परकोटे का काम शुरू नहीं हो पाया है. लैंडस्कैपिंग पर विचार विमर्श किया जा रहा है, जिसके बाद परकोटे का काम शुरू होगा. इसके बाद सड़क और पार्क बनाने की योजना पर भी काम होगा. आज के बैठक में दूसरा विषय यह रहा कि भारी मात्रा में सोने चांदी और अन्य धातु रामलला को अर्पित किए गए हैं. इन्हें आखिर कब तक ट्रस्ट अपने पास रखेगा. इसके उपयोग के लिए भारत सरकार की संस्था मिन्ट के अधिकारियों से बातचीत चल रही है. वह सोने चांदी की धातुओं को गला कर आवश्यकता के अनुसार उनका निर्माण करेंगे, इस पर विचार विमर्श किया गया है.
चंपत राय ने बताया कि मंदिर निर्माण के साथ-साथ जब तक प्रकाश की समुचित व्यवस्था नहीं होगी, तब तक मंदिर की सुंदरता निखर कर नहीं आएगी. मंदिर के अंदर प्रकाश की व्यवस्था करना अलग विषय है और बाहर की व्यवस्था देखना अलग विषय है. इसे ध्यान में रखते हुए मंदिर के बाहरी परिसर को प्रकाशित करने के लिए फसाड लाइट (फॉर्च्यूनअर्ट एलईडी लाइटिंग) लगाने पर विचार विमर्श हुआ है, जिससे पर्याप्त मात्रा में रोशनी मंदिर के बाहरी हिस्से पर पड़े. उन्होंने कहा कि हमें इतना प्रकाश नहीं करना है जितना किसी नुमाइश में होता है. आवश्यकता के अनुसार ही प्रकाश की व्यवस्था करनी है. इसके अलावा इस विचार पर भी चर्चा हुई कि क्या वर्ष के 365 दिन उतनी ही रोशनी की आवश्यकता है या विशेष अवसरों पर अतिरिक्त प्रकाश की व्यवस्था की जानी चाहिए.
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परिक्रमा पथ पर छाया करने की योजना
चंपत राय ने बताया कि मंदिर के अंदरूनी हिस्से में छाया की पूरी व्यवस्था है. लेकिन परिक्रमा पथ पर छाया की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में श्रद्धालुओं को गर्मी के सीजन में पांव जलने की समस्या होगी और बरसात में फिसलन की समस्या भी हो सकती है. इसे दृष्टिगत रखते हुए परिक्रमा पथ पर छाया की व्यवस्था को लेकर भी तकनीकी विशेषज्ञों से बातचीत हुई है और उसका प्रेजेंटेशन किया गया है. रिटेनिंग वॉल के एक हिस्से का काम हुआ है, जिसके अंदर मिट्टी भरने का काम चल रहा है. इसके बाद रिटर्निंग वाल को और ऊंचा किया जाएगा और परकोटे का निर्माण होगा. इस परकोटे की कुल लंबाई लगभग 1 किलोमीटर होगी. इसके अलावा इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि परकोटे के निर्माण के समय इस तरह का निर्माण हो कि पानी गिरने पर श्रद्धालु फिसलने से बचे रहें और उनके पांव भी न जले.
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