अयोध्या/कुशीनगरः जनपद में 8 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर सरयू स्नान के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंच चुके हैं. हालांकि इस बार भक्तों को राम लला (Lord Shri Ram Lalla) के दर्शन नहीं हो सकेंगे. इसकी वजह चंद्रग्रहण. सुबह से ही सूतक लग जाने के कारण रामलला के पट बंद हो जाएंगे. शाम 6.19 बजे चंद्रग्रहण खत्म होने के बाद ही भक्तों को रामलला के दर्शन मिल सकेंगे.
बड़ी संख्या में भक्त भगवान श्री राम लला (Lord Shri Ram Lalla) का दर्शन करने पहुंच चुके हैं. हालांकि श्रद्धालु भगवान श्री राम लला का दर्शन नहीं कर सकेंगे. पुजारी के अनुसार यह पहला अवसर होगा जब कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) पर भगवान के मंदिर को बंद रखा जाएगा क्योंकि 8 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा को 5:10 मिनट पर चंद्र ग्रहण लग रहा है जो कि 6:19 मिनट पर समाप्त होगी.
धार्मिक नगरी अयोध्या में पहली बार कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर भी ग्रहण का साया मंडरा रहा है. इसबार कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान श्री राम लला का दर्शन करने पहुंचे लाखों कि संख्या में श्रद्धालु श्री रामलला का दर्शन नहीं कर सकेंगे. बता दें कि 8 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा ( Kartik Purnima in Ayodhya) को 5:10 मिनट पर चंद्र ग्रहण लग रहा है जो कि 6:19 मिनट पर समाप्त होगा. हिंदू विधाओं के अनुसार चंद्र ग्रहण के 9 घंटे पहले ही सूतक प्रारंभ हो जाएगा. सुबह 8:10 बजे सूतक प्रारंभ हो रहा है. इसके कारण राम जन्मभूमि पर विराजमान भगवान श्री रामलला के गर्भगृह सहित अन्य मंदिरों को भी दर्शनार्थियों के लिए बंद कर दिया जाएगा. मंदिरों के कपाट बंद होने से इसबार श्री रामलला का दर्शन करने में श्रद्धालुओं को निराशा हाथ लगेगी.
1 घंटे तक ही मिलेंगे राम भक्तों को रामलला के दर्शन
श्री राम जन्म भूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास (Chief Priest Acharya Satyendra Das) का कहना है कि ग्रहण का सूतक लगते ही मंदिर बंद हो जाएगा. जब ग्रहण समाप्त होगा तभी दोबारा फिर से मंदिर खुलेगा. इस दौरान इस थोड़े समय में पूजन अर्चन समय हो जाएगा लेकिन दर्शनार्थियों के लिए समस्या बनेगी. श्रद्धालु रामलला का दर्शन नहीं कर सकेंगे. उन्होंने बताया कि सुबह 8:10 मिनट पर सूतक लग रहा है. उन्होंने बाताय कि 5ः10 पर ग्रहण प्रारंभ होगा और 6:19 पर यह ग्रहण मोक्ष प्राप्त होगा. उसके बाद राम जन्मभूमि परिसर में भगवान श्री रामलला का स्नान कर विधि विधान से पूजन अर्चन किया जाएगा.
कुशीनगर में कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के लिए पहुंची भीड़
जनपद के बिहार सीमा पर स्थित बांसी नदी में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मंगलवार को लाखों श्रद्धालु डुबकी लगाएंगे. बांसी नदी की मान्यता ऐतिहासिक है. जिसमें कहते हैं कि "सौ बार काशी एक बार बांसी" यानि कि वाराणसी में स्नान का जितना महत्व होता है. उतना ही महत्व एक बार बांसी नदी (Bansi River Kushinagar) में स्नान करने का होता है. बांसी नदी की मान्यता हैं इस नदी का ऐतिहासिक इतिहास भगवान श्री राम से जुड़ा हुआ. वहीं बांसी नदी के किनारे घाट को रामघाट का नाम भी दिया गया है. इलाके की मान्यता है कि भगवान श्रीराम जब नेपाल के जनकपुर से बारात लेकर माता सीता के साथ अयोध्या बारातियो के साथ लौट रहे थे. तो इसी बांसी नदी के तट पर भगवान राम ने एक रात बिताई थी. रामघाट पर मंगलवार को लगने वाले मेले और भक्तों की भीड़ को लेकर प्रशासन अलर्ट है.
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