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अयोध्या विवाद की जड़ में आस्था कम राजनीति ज्यादा है: शीतला सिंह

अयोध्या भूमि विवाद मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कभी भी आ सकता है. इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

अयोध्या मामले पर वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत.
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Published : Nov 8, 2019, 10:43 AM IST

Updated : Nov 8, 2019, 12:44 PM IST

अयोध्या: सुप्रीम कोर्ट अयोध्या भूमि विवाद मामले पर कभी भी फैसला सुना सकता है. अयोध्या भूमि विवाद मामले पर स्थानीय वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह ने बताया कि इस विवाद की जड़ में आस्था कम राजनीति ज्यादा दिखती है.

अयोध्या मामले पर वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत.

लंबे समय से यहां सांप्रदायिकता का जहर घोलने का प्रयास किया जाता रहा है, लेकिन अयोध्या में हिंदू और मुस्लिमों के बीच का सौहार्द्र इतना मजबूत था कि उसे कोई डिगा नहीं सका. लिहाजा मंदिर और मस्जिद विवाद करके धर्म के आधार पर सांप्रदायिकता फैलाने और राजनीति करने का प्रयास किया गया. यह प्रयास अयोध्या के लिए घातक साबित हुआ. इसके बावजूद सौहार्द की जड़ें इतनी मजबूत थी कि वह एक बार डिगी तो लेकिन फिर उसने पूरी तरह से जमीनी मजबूती पकड़ी और वह आज तक कायम है. शीतला सिंह कहते हैं कि किस प्रकार मंदिर-मस्जिद विवाद को राजनीति के लिए इस्तेमाल किया गया यह होते उन्होंने अपनी आंखों से देखा है.

पढ़ें- अयोध्या : CJI ने डीजीपी और मुख्य सचिव को किया तलब

पत्रकार शीतला सिंह कहते हैं कि वर्ष 1934 को छोड़ दिया जाए तो उसके बाद अयोध्या में कभी भी सौहार्द बिगड़ने की नौबत नहीं आई. यह तब हुआ था जब अलवर के राजा वहां से निकाले गए थे और उन्होंने फैजाबाद में आकर शरण ली थी. यह वह दौर था, जब वर्चस्व को लेकर राजाओं में तकरार हुआ करती थी, लेकिन इसके बाद अयोध्या का माहौल कभी नहीं बिगड़ा. जब विवादित ढांचे को गिराया गया उसके बाद जो स्थितियां उत्पन्न हुई वह शायद अयोध्या ने पहली बार देखा था. यह सब अयोध्या वासियों ने बर्दाश्त किया. माहौल बेहद खराब होने के बावजूद भी सांप्रदायिकता यहां मजबूत नहीं हो सकी और सौहार्द कायम रहा. लिहाजा राजनीति होती रही, लेकिन जनमानस के व्यवहार में कोई विशेष बदलाव नहीं आया. शीतला सिंह कहते हैं कि अयोध्या विवाद का फैसला कुछ भी हो यहां की जनता बड़े से बड़े विवाद को झेल सकती है तो इस फैसले से सामाजिक सौहार्द बिल्कुल भी बिगड़ने वाला नहीं है.

अयोध्या: सुप्रीम कोर्ट अयोध्या भूमि विवाद मामले पर कभी भी फैसला सुना सकता है. अयोध्या भूमि विवाद मामले पर स्थानीय वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह ने बताया कि इस विवाद की जड़ में आस्था कम राजनीति ज्यादा दिखती है.

अयोध्या मामले पर वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत.

लंबे समय से यहां सांप्रदायिकता का जहर घोलने का प्रयास किया जाता रहा है, लेकिन अयोध्या में हिंदू और मुस्लिमों के बीच का सौहार्द्र इतना मजबूत था कि उसे कोई डिगा नहीं सका. लिहाजा मंदिर और मस्जिद विवाद करके धर्म के आधार पर सांप्रदायिकता फैलाने और राजनीति करने का प्रयास किया गया. यह प्रयास अयोध्या के लिए घातक साबित हुआ. इसके बावजूद सौहार्द की जड़ें इतनी मजबूत थी कि वह एक बार डिगी तो लेकिन फिर उसने पूरी तरह से जमीनी मजबूती पकड़ी और वह आज तक कायम है. शीतला सिंह कहते हैं कि किस प्रकार मंदिर-मस्जिद विवाद को राजनीति के लिए इस्तेमाल किया गया यह होते उन्होंने अपनी आंखों से देखा है.

पढ़ें- अयोध्या : CJI ने डीजीपी और मुख्य सचिव को किया तलब

पत्रकार शीतला सिंह कहते हैं कि वर्ष 1934 को छोड़ दिया जाए तो उसके बाद अयोध्या में कभी भी सौहार्द बिगड़ने की नौबत नहीं आई. यह तब हुआ था जब अलवर के राजा वहां से निकाले गए थे और उन्होंने फैजाबाद में आकर शरण ली थी. यह वह दौर था, जब वर्चस्व को लेकर राजाओं में तकरार हुआ करती थी, लेकिन इसके बाद अयोध्या का माहौल कभी नहीं बिगड़ा. जब विवादित ढांचे को गिराया गया उसके बाद जो स्थितियां उत्पन्न हुई वह शायद अयोध्या ने पहली बार देखा था. यह सब अयोध्या वासियों ने बर्दाश्त किया. माहौल बेहद खराब होने के बावजूद भी सांप्रदायिकता यहां मजबूत नहीं हो सकी और सौहार्द कायम रहा. लिहाजा राजनीति होती रही, लेकिन जनमानस के व्यवहार में कोई विशेष बदलाव नहीं आया. शीतला सिंह कहते हैं कि अयोध्या विवाद का फैसला कुछ भी हो यहां की जनता बड़े से बड़े विवाद को झेल सकती है तो इस फैसले से सामाजिक सौहार्द बिल्कुल भी बिगड़ने वाला नहीं है.

Intro:अयोध्या: यह अयोध्या है, जिसने अंग्रेजों का दौर देखा उसके बाद मुगलों की बर्बरता बर्दाश्त की. अपने ही सपूतों को अपने आंखों के आगे मरते करते भी देखा. मंदिर- मस्जिद विवाद देखा, जिसने अयोध्या से सब कुछ छीन लिया. अगर कुछ नहीं छिना तो वह है अयोध्या का सौहार्द. अयोध्या में कार्तिक मेला है. मेले में लाखों लोगों की भीड़ है, लेकिन एक अनोखा सा सूनापन है. यह खामोशी कुछ वैसी ही है जैसे कुरुक्षेत्र में महाविनाश के बाद सत्य की विजय हुई थी.


Body:हम कितना भी सच को छुपा ले लेकिन अतीत पीछा नहीं छोड़ता. शायद इसी का परिणाम अयोध्या विवाद और अयोध्यावासियों को अरसे से झेलना पड़ा. कभी अवध प्रांत की राजधानी रही अयोध्या एक विकसित शहर हुआ करता था. लेकिन यहां के एक विवाद ने इस शहर की तरक्की को इस प्रकार प्रभावित किया कि यहां के लोग रोजी रोटी के लिए तरसने लगे. यह सब यूं ही नहीं हुआ. इसके लिए पीछे एक राजनीतिक साजिश की भी बू आती है. हकीकत को जानने के लिए जब ईटीवी भारत में स्थानीय वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह से बात की तो जमीनी हकीकत का पता चला.

उन्होंने बताया इस विवाद की जड़ में आस्था कम राजनीति ज्यादा दिखती है. लंबे समय से यहां सांप्रदायिकता का जहर घोलने का प्रयास किया जाता रहा है लेकिन अयोध्या में हिंदू और मुस्लिमों के बीच का सौहार्द इतना मजबूत था कि उसे कोई डिगा नहीं सका. लिहाजा मंदिर और मस्जिद विवाद करके धर्म के आधार पर सांप्रदायिकता फैलाने और राजनीति करने का प्रयास किया गया. या प्रयास अयोध्या के लिए घातक साबित हुआ इसके बावजूद सौहार्द की जड़ें इतनी मजबूत थी कि वह एक बार डिग्गी दो लेकिन फिर उसने पूरी तरह से जमीनी मजबूती पकड़ी और वह आज तक कायम है. शीतला सिंह कहते हैं कि किस प्रकार मंदिर मस्जिद विवाद को राजनीति के लिए इस्तेमाल किया गया यह होते उन्होंने अपनी आंखों से देखा है.








Conclusion:ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान पत्रकार शीतला सिंह कहते हैं कि वर्ष 1934 को छोड़ दिया जाए तो उसके बाद अयोध्या में कभी भी सौहार्द बिगड़ने की नौबत नहीं आई. यह तब हुआ था जब अलवर की राजा वहां से निकाले गए थे और उन्होंने फैजाबाद में आकर शरण ली थी. यह वह दौर था जब वर्चस्व को लेकर राजाओं में तकरार हुआ करती थी. लेकिन इसके बाद अयोध्या का माहौल कभी नहीं बिगड़ा. जब विवादित ढांचे को गिराया गया उसके बाद जो स्थितियां उत्पन्न हुई वह शायद अयोध्या ने पहली बार देखा था. यह सब अयोध्या वासियों ने बर्दाश्त किया. माहौल बेहद खराब होने के बावजूद भी सांप्रदायिकता यहां मजबूत नहीं हो सकी और सौहार्द कायम रहा. लिहाजा राजनीति होती रही लेकिन जनमानस के व्यवहार में कोई विशेष बदलाव नहीं आया. शीतला सिंह कहते हैं कि अयोध्या विवाद का फैसला कुछ भी हो यहां की जनता बड़े से बड़े विवाद को झेल सकती है तो इस फैसले से सामाजिक सौहार्द बिल्कुल भी बिगड़ने वाला नहीं है.

शीतला सिंह, वरिष्ठ पत्रकार
Last Updated : Nov 8, 2019, 12:44 PM IST
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