अयोध्या: यूपी सरकार ने भगवान श्री राम की अयोध्या में विश्व की सबसे ऊंची 251 मीटर की प्रतिमा लगाने की घोषणा पिछले साल ही दीपोत्सव के दौरान की थी. इसके बाद से ही जिला प्रशासन ने प्रतिमा को लगाने के लिए जमीन का चयन करना शुरू किया था, लेकिन लोगों के जमीन अधिग्रहण का विरोध करने के बाद प्रशासन बैकफुट पर आ गया. इसके बाद जिला प्रशासन ने दूसरी जमीन चयनित करते हुए हाईवे से सटे हुए माझा बरेटा क्षेत्र में प्रस्ताव भेजा था, जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया और 100 करोड़ रुपये का बजट भी जारी कर दिया.
वहीं किसानों ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि, हमारे गांव में ढाई सौ परिवार रहते हैं जिनमें से लगभग 50 परिवार ऐसे हैं, जिनके नाम पर जमीन अभी नहीं है, जिनके पास खेती भी नहीं है. ऐसे में वह गरीब परिवार कहां जाएंगे और सरकार किस तरह से उन्हें घर देगी या किस तरह से उन्हें मुआवजा मिलेगा.
ये भी पढ़ें: देश में एक मात्र हिंदूवादी पार्टी है शिवसेनाः आचार्य सतेंद्र दास
गांव वालों का आरोप है कि जिला प्रशासन ने बिना उन लोगों को जानकारी दिए सर्वे कराकर जमीन अधिग्रहण के लिए सूचना जारी कर दी. गांव के रहने वाले राम लाल यादव का कहना है कि हम भगवान राम की मूर्ति का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन जिला प्रशासन आकर हमसे बात करे. हमें बताए कि उन गरीब परिवारों का क्या होगा जिनके नाम पर जमीन नहीं है, जो छप्पर बनाकर के गांव में रहते हैं. जो सिर्फ मजदूरी पर ही जिंदा है वह कहां जाएंगे. वहीं ग्रामीण महिला शांति देवी का कहना है कि हम 3 पीढ़ियों से यहीं पर रह रहे हैं.
किसानों की मांगों को लेकर समाजवादी पार्टी ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है. समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री पवन पांडे ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि हमने किसानों की ओर से प्रस्ताव बनाकर सरकार को ज्ञापन सौंपा है. किसानों का सर्किल रेट बढ़ा करके उनको मुआवजा दिया जाए. मूर्ति का विरोध कोई नहीं कर रहा है.