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एलोपैथ V/S आयुर्वेद विवाद: अयोध्या के संतों में नाराजगी, दोनों पक्षों को दी नसीहत

रामदेव और आईएमए के विवाद (baba ramdev and ima dispute) में अयोध्या के साधु-संत भी मुखर हो गए हैं. अयोध्या के संतों ने जहां बाबा रामदेव को अपने बयान को वापस लेने के लिए कहा है, वहीं आईएमए को भी संयम बरतने की नसीहत दी है.

एलोपैथ V/S आयुर्वेद विवाद
एलोपैथ V/S आयुर्वेद विवाद
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Published : May 30, 2021, 1:21 AM IST

अयोध्या: योग गुरु बाबा रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) के बीच आयुर्वेद और एलोपैथ को लेकर छिड़ी जुबानी जंग (Allopathy VS Ayurveda Controversy) को अयोध्या के साधु संतों ने बेहद गलत बताया है. इस विवाद में अयोध्या के साधु-संतों ने जहां बाबा रामदेव (baba ramdev) से अपना बयान वापस लेने की मांग की है. वहीं आईएमए (IMA) को भी संयम बरतने की नसीहत दी है. साधु-संतों ने कहा कि देश में जिस तरह से कोरोनावायरस ने तबाही मचा रखी है, उसे देखते हुए चिकित्सा की जितनी भी पद्धतियां हैं उससे जुड़े हुए लोगों को मानव कल्याण के लिए काम करना चाहिए न कि एक दूसरे को नीचा दिखाना चाहिए. साधु संतों ने कहा कि मानव जीवन के कल्याण के लिए जो भी प्रयास किए जा रहे हैं, वह सराहनीय और स्वागत योग्य हैं. मानव जीवन की रक्षा के लिए चिकित्सा की सभी पद्धतियां बेहद आवश्यक हैं किसी को कम नहीं कहा जाना चाहिए.

एलोपैथ V/S आयुर्वेद विवाद पर संतों में नाराजगी.
'विदेशी फंडिंग से चलने वाले संगठन ने कमजोर की है हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति
'
हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि जिस प्रकार से एलोपैथ और आयुर्वेद का झगड़ा (Allopathy VS Ayurveda Controversy) बहुत ही तेजी के साथ फैलता जा रहा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. आयुर्वेद आज की नहीं अनादि काल की चिकित्सा पद्धति है. लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी परंपरा है और उसके अंतर्गत ही एलोपैथ की व्यवस्था रही है. आज के समय में एलोपैथ का किसी भी प्रकार का कोई विरोध नहीं है. इस महामारी काल में जिस प्रकार से लोगों ने संघर्ष किया है, स्वागत योग्य है, लेकिन जिस प्रकार से योग और आयुर्वेद को नकारा जा रहा है ऐसी मानसिकता भी गलत है. इससे समाज का नुकसान होगा. स्वामी रामदेव ने जो बयान दिया वह गलत नहीं है, लेकिन वर्तमान परिवेश को देखते हुए इस समय ऐसी बयानबाजी उचित नहीं है. इस समय सिर्फ सभी को मानव कल्याण के लिए बेहतर चिकित्सा व्यवस्था पर काम करना चाहिए.

महंत राजू दास ने आरोप लगाया कि एक संत के प्रति जो एक संगठन जो विदेशी फंडिंग से चल रहा है, वह योग और हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति को अपमानित करने का काम कर रहा है यह नहीं होना चाहिए. एलोपैथ के जरिए भी लोगों की जीवन रक्षा हुई है यह सत्य है, लेकिन हमारी प्राचीन काल की चिकित्सा पद्धति भी कहीं से कमजोर नहीं है.

इसे भी पढ़ें- रामदेव के बयान के विरोध में एक जून को काला दिवस मनाएंगे डॉक्टर

'अपना बयान वापस लें बाबा रामदेव'
तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा कि वैसे तो आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति दुनिया की सर्वप्रथम चिकित्सा पद्धति है और सर्वोच्च चिकित्सा है, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति में एलोपैथिक चिकित्सा व्यवस्था से गंभीर मरीजों का इलाज किया गया है और उन्हें जीवनदान मिला है, लेकिन इसका कतई मतलब नहीं है कि हम अपनी प्राचीन चिकित्सा पद्धति को भुला दें. वर्तमान स्थिति को देखते हुए स्वामी रामदेव का बयान उचित नहीं है, उन्हें अपना बयान वापस लेना चाहिए. महंत परमहंस दास ने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति का सम्मान करते हुए बेवजह अनर्गल बयानबाजी से बचना चाहिए और इस समय सिर्फ मानव सेवा पर ध्यान देना चाहिए.

इसे भी पढ़ें- डॉक्टर बोले- जब मुश्किल में थे तब हम ही थे, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की एलोपैथ से बची थी जान

अयोध्या: योग गुरु बाबा रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) के बीच आयुर्वेद और एलोपैथ को लेकर छिड़ी जुबानी जंग (Allopathy VS Ayurveda Controversy) को अयोध्या के साधु संतों ने बेहद गलत बताया है. इस विवाद में अयोध्या के साधु-संतों ने जहां बाबा रामदेव (baba ramdev) से अपना बयान वापस लेने की मांग की है. वहीं आईएमए (IMA) को भी संयम बरतने की नसीहत दी है. साधु-संतों ने कहा कि देश में जिस तरह से कोरोनावायरस ने तबाही मचा रखी है, उसे देखते हुए चिकित्सा की जितनी भी पद्धतियां हैं उससे जुड़े हुए लोगों को मानव कल्याण के लिए काम करना चाहिए न कि एक दूसरे को नीचा दिखाना चाहिए. साधु संतों ने कहा कि मानव जीवन के कल्याण के लिए जो भी प्रयास किए जा रहे हैं, वह सराहनीय और स्वागत योग्य हैं. मानव जीवन की रक्षा के लिए चिकित्सा की सभी पद्धतियां बेहद आवश्यक हैं किसी को कम नहीं कहा जाना चाहिए.

एलोपैथ V/S आयुर्वेद विवाद पर संतों में नाराजगी.
'विदेशी फंडिंग से चलने वाले संगठन ने कमजोर की है हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति
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हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि जिस प्रकार से एलोपैथ और आयुर्वेद का झगड़ा (Allopathy VS Ayurveda Controversy) बहुत ही तेजी के साथ फैलता जा रहा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. आयुर्वेद आज की नहीं अनादि काल की चिकित्सा पद्धति है. लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी परंपरा है और उसके अंतर्गत ही एलोपैथ की व्यवस्था रही है. आज के समय में एलोपैथ का किसी भी प्रकार का कोई विरोध नहीं है. इस महामारी काल में जिस प्रकार से लोगों ने संघर्ष किया है, स्वागत योग्य है, लेकिन जिस प्रकार से योग और आयुर्वेद को नकारा जा रहा है ऐसी मानसिकता भी गलत है. इससे समाज का नुकसान होगा. स्वामी रामदेव ने जो बयान दिया वह गलत नहीं है, लेकिन वर्तमान परिवेश को देखते हुए इस समय ऐसी बयानबाजी उचित नहीं है. इस समय सिर्फ सभी को मानव कल्याण के लिए बेहतर चिकित्सा व्यवस्था पर काम करना चाहिए.

महंत राजू दास ने आरोप लगाया कि एक संत के प्रति जो एक संगठन जो विदेशी फंडिंग से चल रहा है, वह योग और हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति को अपमानित करने का काम कर रहा है यह नहीं होना चाहिए. एलोपैथ के जरिए भी लोगों की जीवन रक्षा हुई है यह सत्य है, लेकिन हमारी प्राचीन काल की चिकित्सा पद्धति भी कहीं से कमजोर नहीं है.

इसे भी पढ़ें- रामदेव के बयान के विरोध में एक जून को काला दिवस मनाएंगे डॉक्टर

'अपना बयान वापस लें बाबा रामदेव'
तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा कि वैसे तो आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति दुनिया की सर्वप्रथम चिकित्सा पद्धति है और सर्वोच्च चिकित्सा है, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति में एलोपैथिक चिकित्सा व्यवस्था से गंभीर मरीजों का इलाज किया गया है और उन्हें जीवनदान मिला है, लेकिन इसका कतई मतलब नहीं है कि हम अपनी प्राचीन चिकित्सा पद्धति को भुला दें. वर्तमान स्थिति को देखते हुए स्वामी रामदेव का बयान उचित नहीं है, उन्हें अपना बयान वापस लेना चाहिए. महंत परमहंस दास ने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति का सम्मान करते हुए बेवजह अनर्गल बयानबाजी से बचना चाहिए और इस समय सिर्फ मानव सेवा पर ध्यान देना चाहिए.

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