अयोध्या: पंचखंड पीठाधीश्वर और विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के वरिष्ठ सदस्य आचार्य धर्मेंद्र के निधन को विश्व हिंदू परिषद ने सामाजिक और धार्मिक जीवन मूल्यों की अपूर्णीय क्षति बताया है. विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि आचार्य धर्मेंद्र के बेबाक और ओजस्वी वक्तव्यों से मंदिर आंदोलन को व्यापक गति प्राप्त हुई है.
मालूम हो कि 1990 के दशक में आचार्य धर्मेंद्र को सभाओं और भाषणों से व्यापक पहचान मिली. सोमवार को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद 80 साल की आयु में उनका निधन हो गया. आचार्य धर्मेंद्र के निधन पर विहिप (विश्व हिंदू परिषद) के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय प्रबंध समिति के वरिष्ठ सदस्य पुरुषोत्तम नारायण सिंह ने दुख जताया. उन्होंने कहा कि आचार्य ने श्रीराम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रहकर अपना अहम योगदान दिया था. वो राममंदिर मुद्दे पर बड़ी ही बेबाकी से बोलते थे.
पुरुषोत्तम नारायण सिंह ने कहा कि आचार्य धर्मेंद्र विश्व हिंदू परिषद से लंबे समय से जुड़े थे. इस दौरान वो काफी चर्चा में रहे. आचार्य का जन्म 9 जनवरी 1942 को गुजरात के मालवाडा में हुआ. आज वो इस दुनिया से विदा ले लिए. उनका बेबाक व्यक्तित्व हमेशा जीवित रहेगा.
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विश्व हिंदू परिषद के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि महाराज श्री का स्नेह समय-समय पर हमेशा प्राप्त होता रहा है. उनका निधन सामाजिक धार्मिक जीवन मूल्यों की अपूर्णीय क्षति है. मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने स्मरण करते हुए कहा कि आचार्य धर्मेंद्र का विचार आक्रामक और तथ्यों से परिपूर्ण रहता था. बेखौफ और समर्पण के कारण ही वह आज भी स्मरणीय हैं. उनका साकेतवास दुखद है.
महंत कौशल किशोर दास महाराज ने कहा कि आचार्य धर्मेंद्र हमेशा अयोध्या सहित देश भर में मंदिर आंदोलन को गति देने के लिए तैयार हो जाते थे. मंचों पर उनकी उपस्थिति से सभा ओजस्वी हो जाती थी. आज उनके निधन पर बड़ी क्षति हुई है. वहीं अयोध्या के तमाम वरिष्ठ संतो ने भी आचार्य धर्मेंद्र के निधन को संत समाज की बड़ी क्षति बताया है.
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