अयोध्या: राम नगरी अयोध्या में होने वाले दीपोत्सव पर्व की पूरी पटकथा भगवान राम के जीवन से जुड़ी है. इसीलिए इस वर्ष दीपोत्सव कार्यक्रम में कई ऐसे नए प्रयोग किए जा रहे है, जिन्हें भगवान राम का प्रतीक माना जाता है. शास्त्रों भी इस बात का उल्लेख है कि दीपोत्सव की परंपरा का उद्गम स्थल अयोध्या ही है. इसीलिए अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम का विशेष महत्व है. यही वजह है कि योगी सरकार त्रेता युग की अयोध्या को कलियुग में प्रदर्शित करने के कांसेप्ट को लेकर अयोध्या में काम कर रही है.
अयोध्या में चौथा दीपोत्सव कार्यक्रम
11 नवंबर से 13 नवंबर के बीच अयोध्या में ऐसे कार्यक्रम का आयोजन होने जा रहा है, जिसका इंतजार पूरे देश को है. योगी सरकार द्वारा प्रायोजित अयोध्या में चौथे दीपोत्सव की तैयारियां अंतिम चरण में हैं. त्रेता युग की अयोध्या को कलियुग में प्रदर्शित करने की थीम को लेकर उत्तर प्रदेश का संस्कृति विभाग दिन रात मेहनत कर रहा है. दीपोत्सव कार्यक्रम बीते 4 वर्षों से अयोध्या में आयोजित हो रहा है, लेकिन पौराणिक शास्त्रीय मान्यता के अनुसार दीपोत्सव की परंपरा का उद्गम स्थल अयोध्या ही है. इसलिए अयोध्या के लिए ये आयोजन बेहद खास और महत्वपूर्ण है. ईटीवी भारत ने दीपोत्सव 2020 कार्यक्रम के शुरू होने के एक दिन पहले तैयारियों का जायजा लिया और अयोध्या के संतो से दीपोत्सव कार्यक्रम के शास्त्रीय महत्व के बारे में भी जाना.
सजावट की थीम है भगवान राम का शस्त्र धनुषबाण
इस बार दीपोत्सव के मौके पर अयोध्या में आयोजित होने वाले कार्यकम पिछले वर्ष से कहीं ज्यादा भव्य और आकर्षक होने वाला है. इस वर्ष कार्यक्रम की थीम भगवान राम के प्रिय शस्त्र धनुष बाण के आधार पर रखी गई है. पूरे आयोजन स्थल में जितने भी गेट बनाए जा रहे हैं. उनके ऊपर विशालकाय धनुष बाण दूर से ही दिखाई देगा. इसके अतिरिक्त राम कथा पार्क में राम दरबार जैसा दृश्य तैयार करने के लिए दिन-रात कलाकार काम कर रहे हैं. जिस मार्ग से भगवान राम को राम दरबार तक पहुंचना है. उस मार्ग के दोनों तरफ तोरण द्वार और विशेष सजावट की जा रही है. इस बार के आयोजन के महत्व को देखते हुए सजावट का काम दोगुने स्तर पर किया जा रहा है.
रामराज्य स्थापित होने पर मनाया जाता है दीपोत्सव
दीपोत्सव की परंपरा का पौराणिक महत्व राम नगरी अयोध्या से ही जुड़ा है. तिवारी मंदिर के महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने बताया कि 'जेहि दिन रामजन्म श्रुति गवाही तीरथ सकल तहाँ चली आवहिं' अर्थात 'जिस दिन भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ, उस दिन सारे तीर्थ अयोध्या में प्रकट हो गए थे. उसी प्रकार 'अवधपुरी प्रभु आवत जानी भयी सकल सौभाग्य ही जानी' भगवान राम ने जब रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी और अयोध्या लौटे थे, उस समय अयोध्या में राम राज्य की स्थापना हुई थी. सब नर-नारी खुशी से झूम रहे थे और भगवान राम के अयोध्या आगमन पर दीपों की श्रृंखला तैयार की गई थी. उन्हीं यादों को सजाने के लिए प्रत्येक वर्ष दीपावली और दीपोत्सव का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. इसलिए दीपोत्सव की परंपरा अयोध्या के लिए नई नहीं है, बल्कि इसका उद्गम स्थल है. हमारा सौभाग्य है कि हम अयोध्या के वासी हैं और इस दीपोत्सव का हिस्सा बनते हैं.
योगी सरकार का ये है कांसेप्ट
अयोध्या में होने वाले तीन दिवसीय दीपोत्सव कार्यक्रम में पहले दिन भगवान राम की लीला को डिजिटल स्क्रीन पर प्रदर्शित करने के साथ ही भगवान राम के जीवन से जुड़े 11 प्रसंगों की सजीव शोभायात्रा निकाली जाएगी. उसके बाद भगवान राम के पुष्पक विमान रूपी हेलीकॉप्टर से अयोध्या के सरयू तट पर उतारा जाएगा. सारा कुछ वैसा ही हो रहा है, जैसा त्रेता युग की कथा में हुआ था. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार त्रेता युग की अयोध्या को कलयुग में दिखाने के कांसेप्ट पर काम कर रही है. इस सरकार के पिछले प्रयास बेहद सफल रहे हैं. इस बार भी कुछ बेहतर करने के इरादे से अयोध्या में दिन रात मेहनत की जा रही है.