अयोध्या: रामनगरी में 11 नवंबर से मनाए जाने वाले तीन दिवसीय भव्य दीपोत्सव समारोह में इस बार दीपों की संख्या बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही घाटों का विस्तार करके तीन गुना स्थान दीपोत्सव के लिए आरक्षित कर लिया गया है. इस समारोह के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के समन्वयक निश्चल आहोट यहां पहुंच चुके हैं.
घाटों की संख्या बढ़कर हुई 28
इस बारे में निश्चल आहोट ने बताया कि इस दीपोत्सव के लिए घाटों की संख्या बढ़ाकर 12 से 28 कर दी गई है. स्थान भी तीन गुना बढ़ा दिया गया है. उन्होंने बताया कि दीपोत्सव में दीप जलाने के दौरान कोविड-19 के नियमों का पूरी तरह ध्यान रखा जा रहा है. इसके लिए करीब 10,000 स्वयंसेवी तैयार किए गए हैं. इनमें से 8000 स्वयंसेवी दीप प्रज्वलित करेंगे, जबकि 2000 स्वयंसेवियों को आरक्षित रखा गया है. उन्होंने बताया कि इस बार 5,50,000 दीपक जलाए जाने हैं, जबकि व्यवस्था 6,00,000 दीपक जलाए जाने की गई है. सभी दीपों को 20 से 25 मिनट के अंदर जलाया जाना है. इन्हें जलाने के बाद स्वयंसेवी वहां से हट जाएंगे। इसके बाद मैनुअल ड्रोन के जरिए दीपों की गिनती कर वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए प्रस्तुत किया जाएगा.
3 ड्रोन करेंगे प्रज्वलित दीपों की गिनती
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के समन्वयक निश्चल आहोट ने बताया कि इस बार 1 की बजाए 3 ड्रोन के जरिए प्रज्वलित दीपों की गिनती की जाएगी. जलाए गए दीपक कम से कम 5 मिनट तक जलेंगे. 5.30 लाख दीपक जलाने का रिकॉर्ड बन सके, इसके लिए 6,00,000 दीपक जलाए जाने की व्यवस्था की गई है. राम दरबार सहित अन्य कलाकृतियों को उकेर कर उनके ऊपर दीप प्रज्वलन की व्यवस्था की जा रही है.
साधु-सतों में विशेष उत्साह
श्रीरामजन्मभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद पहली बार दीपोत्सव मनाया जाना है. इसको लेकर न केवल प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विशेष उत्साहित हैं, बल्कि साधु-संतों में जबरदस्त उत्साह है. इसलिए कोविड-19 की चुनौतियों के बावजूद न केवल दीपों की संख्या बढ़ाई गई हैं, बल्कि समारोह में लोगों के बैठने के लिए कुर्सी लगाने में भी कोविड नियमों को खास तवज्जो दी गई है. समारोह में एक कुर्सी से दूसरे के बीच दो गज की दूरी रखकर इस उल्लास को सुरक्षित रखने का हर प्रयास किया गया है.