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कोरोना काल में लावारिस शवों को कंधा दे रहे समाजसेवी रितेश मिश्रा - last rites of unclaimed dead bodies

अयोध्या जिले में कोरोना काल में समाजसेवी रितेश मिश्रा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने में जुटे हुए हैं. रितेश के सेवा कार्यों को देखते हुए उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने उन्हें सम्मानित किया था.

philanthropist ritesh mishra
समाजसेवी रितेश मिश्रा.
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Published : May 10, 2021, 7:10 AM IST

अयोध्या : गोवंशों की सेवा के लिए समर्पित समाजसेवी रितेश मिश्रा कोरोना महामारी में लावारिस शवों को कंधा दे रहे हैं. शवों को लकड़ी देने, घाट पर लाने और कंधा देने के लिए वे हर वक्त मौजूद रहते हैं. बिना किसी प्रलोभन के करीब 5 वर्षो से यह युवा समाजसेवा के लिए इस कदर समर्पित है कि जानने वाले आश्चर्य में डूब जाते हैं.

समाजसेवी के कार्यों की हर कोई कर रहा प्रशंसा.

शिक्षा के साथ नागेश्वर नाथ मंदिर में शुरू की सेवक की नौकरी
करीब 20 वर्षीय रितेश के पिता बाल्यावस्था में ही उन्हें छोड़ स्वर्गवासी हो गए. माता मंजू देवी के पालन पोषण से रितेश ने जब होश संभाला तो उन्होंने शिक्षा के साथ नागेश्वर नाथ मंदिर में सेवक की नौकरी भी शुरू कर दी. इस दौरान वे राम की पैड़ी व सरयू तट पर गोवंशों की सेवा और शवों का अंतिम संस्कार करने लगे. रितेश गोसेवा के साथ दुर्घटनाग्रस्त लोगों व जानवरों को अस्पताल भी पहुंचाते हैं. वहीं जब किसी के घर में सांप निकलता है तो वह उसे मारने नहीं देते. वहीं हिरण व घायल मोर आदि की भी सेवा कर रहे हैं.

philanthropist ritesh mishra
समाजसेवी रितेश मिश्रा.
बेसहारा लोगों के लिए किसी भगवान से कम नहीं रितेश
सेवा के लिए समर्पित रितेश मिश्रा को गोसेवा के लिए उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है. कोरोना काल में रितेश बेसहारा लोगों के लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं. जब सारी व्यवस्था फेल है, वह शवों को कंधा देने से लेकर अंतिम संस्कार तक करा रहे हैं. रितेश 143 शवों के लिए रामाय सेवा ट्रस्ट के लकड़ी बैंक से निःशुल्क लकड़ी दिला चुके हैं.


ये भी पढ़ें : पश्चिम बंगाल हिंसा के विरोध में परमहंसाचार्य ने किया चिता पूजन, 25 मई को आत्मदाह की घोषणा

समाजसेवी रितेश मिश्रा कहते हैं कि उनके अन्दर सेवा का भाव है. भगवान नागेश्वरनाथ की कृपादृष्टि से ही यह संभव हो पा रहा है. वे कहते हैं कि सेवा का कोई निर्धारित समय नहीं है. जब सूचना मिली, चल पड़ते हैं.

अयोध्या : गोवंशों की सेवा के लिए समर्पित समाजसेवी रितेश मिश्रा कोरोना महामारी में लावारिस शवों को कंधा दे रहे हैं. शवों को लकड़ी देने, घाट पर लाने और कंधा देने के लिए वे हर वक्त मौजूद रहते हैं. बिना किसी प्रलोभन के करीब 5 वर्षो से यह युवा समाजसेवा के लिए इस कदर समर्पित है कि जानने वाले आश्चर्य में डूब जाते हैं.

समाजसेवी के कार्यों की हर कोई कर रहा प्रशंसा.

शिक्षा के साथ नागेश्वर नाथ मंदिर में शुरू की सेवक की नौकरी
करीब 20 वर्षीय रितेश के पिता बाल्यावस्था में ही उन्हें छोड़ स्वर्गवासी हो गए. माता मंजू देवी के पालन पोषण से रितेश ने जब होश संभाला तो उन्होंने शिक्षा के साथ नागेश्वर नाथ मंदिर में सेवक की नौकरी भी शुरू कर दी. इस दौरान वे राम की पैड़ी व सरयू तट पर गोवंशों की सेवा और शवों का अंतिम संस्कार करने लगे. रितेश गोसेवा के साथ दुर्घटनाग्रस्त लोगों व जानवरों को अस्पताल भी पहुंचाते हैं. वहीं जब किसी के घर में सांप निकलता है तो वह उसे मारने नहीं देते. वहीं हिरण व घायल मोर आदि की भी सेवा कर रहे हैं.

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समाजसेवी रितेश मिश्रा.
बेसहारा लोगों के लिए किसी भगवान से कम नहीं रितेश
सेवा के लिए समर्पित रितेश मिश्रा को गोसेवा के लिए उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है. कोरोना काल में रितेश बेसहारा लोगों के लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं. जब सारी व्यवस्था फेल है, वह शवों को कंधा देने से लेकर अंतिम संस्कार तक करा रहे हैं. रितेश 143 शवों के लिए रामाय सेवा ट्रस्ट के लकड़ी बैंक से निःशुल्क लकड़ी दिला चुके हैं.


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समाजसेवी रितेश मिश्रा कहते हैं कि उनके अन्दर सेवा का भाव है. भगवान नागेश्वरनाथ की कृपादृष्टि से ही यह संभव हो पा रहा है. वे कहते हैं कि सेवा का कोई निर्धारित समय नहीं है. जब सूचना मिली, चल पड़ते हैं.

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