अयोध्या: अपनी आवाज की चिरंतन सत्ता से श्रोता को मंत्रमुग्ध करने की महारत रखने वाले अयोध्या के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक गौरी शंकर महाराज किसी पहचान के मोहताज नहीं है. 90 वर्ष की आयु के गौरी शंकर महाराज को उनके जीवनकाल में उनकी इस कला के लिए इतने सम्मान मिल चुके हैं कि उनके 100 स्क्वायर फीट के कमरे में उन्हें रखने के लिए जगह नहीं है. तमाम सम्मान कबाड़ की तरह खराब हो चुके हैं और कुछ को उन्होंने अपने कमरे में सजा कर रखा है.
धर्म नगरी अयोध्या साधु संतों के साथ कला और संस्कृति की भी नगरी है. एक से बढ़कर एक विभूतियां यहां से निकलकर देश दुनिया में मशहूर हुई. लेकिन, इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि अयोध्या के तमाम ऐसे संत और कलाकार हैं जो अपने ही शहर में गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं. वैसे तो प्रदेश का संस्कृति विभाग कलाकारों के प्रोत्साहन को लेकर पूरे वर्षभर में लंबा चौड़ा बजट पेश करता है. लेकिन, अयोध्या के रहने वाले गौरी शंकर महाराज जैसे कलाकार आज भी दाने-दाने को मोहताज हैं. अगर अयोध्या में भोज भंडारे न हों तो ऐसे कलाकार भूख से दम तोड़ देंगे. ईटीवी भारत ने मुफलिसी और गुमनामी की जिंदगी जी रहे अयोध्या के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक गौरी शंकर महाराज से बातचीत करने की कोशिश की और उनके दर्द को साझा करने का छोटा सा प्रयास किया.
एक दशक पहले जब कंठ से निकलती थी आवाज तो ठहर जाते थे रास्ते से गुजर रहे लोगों के पांव
गौरी शंकर महाराज के बारे में कहा जाता है कि जब यह संगीत गाते थे तो तपती गर्मी और धूप में ठंडी हवा बहने लगती थी. लेकिन, हालात और मजबूरियों की वजह से आज उस ध्वनि को कोई सुनने वाला नहीं है और न ही कोई पूछने वाला. गौरी शंकर महाराज ने बताया कि राम जी का नाम लेकर पले बड़े हैं. संगीत के क्षेत्र में हैं. बाहर अब जा नहीं पाते, क्योंकि वृद्ध हो गए हैं. दोनों पैर में दिक्कत है. एक कोठरी में पड़े रहते हैं. सद्गुरू सदन गोलाघाट पाप मोचन घाट के पास रहते हैं. जब गाते थे तब और दिन था आज गा नहीं पा रहे हैं तो कुछ और दिन हैं. उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि अब बुड्ढे हो गए हैं अब कुछ नहीं कर पाते. अयोध्या में जन्म हुआ, अयोध्या में ही रह गए. जब शरीर में ताकत थी तब जुबान में सरस्वती जी का वास था. भावुक होते हुए उन्होंने बताया कि हमारे इतने शिष्य हैं जो आज देश दुनिया में नाम कमा रहे हैं. लेकिन, उनके पास इतना टाइम नहीं है कि अपने गुरु से भी मिल ले.