अयोध्या: श्रीराम नगरी में भगवान राम के उन सभी स्वरूपों को दर्शाने की भव्य तैयारी की जा रही है, जिसे वैश्विक समाज अलग-अलग रूप में मानता है. इस अनूठे प्रयास के जरिए विश्व को एक संदेश देने की योजना है. इस अद्भुत कार्य में देश के 20 चुनिंदा चित्रकार शामिल हो रहे हैं.
भगवान राम के विभिन्न स्वरूपों को किया जा रहा प्रदर्शित
राम नगरी में यह अनूठा प्रयास डॉ. राम मनोहर लोहिया की ओर से अवध विश्वविद्यालय की स्थापना दिवस के मौके पर किया जा रहा है. देश के कोने-कोने से आए 20 चुनिंदा चित्रकार डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के श्रीराम शोध पीठ में अपने कौशल के जरिए भगवान राम के विभिन्न स्वरूपों को प्रदर्शित करने का प्रयास कर रहे हैं. बड़े स्तर पर हो रहे इस चित्रकारी प्रतियोगिता में सरकारी और गैर सरकारी स्कूल व 7 संस्थाएं संयुक्त रूप से इस प्रयास में शामिल हो रहे हैं.
5 मार्च तक चलेगा यह राष्ट्रीय चित्रकार शिविर
'लोक में राम' शीर्षक आधारित यह राष्ट्रीय चित्रकार शिविर में ललित कला अकादमी नई दिल्ली, राष्ट्रीय कला संस्थान, संस्कृत मंत्रालय भारत सरकार, संस्कार भारती, नैमिषारण्य फाउंडेशन और डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है. 1 मार्च से शुरू हुआ राष्ट्रीय चित्रकार शिविर 5 मार्च तक चलेगा. इस राष्ट्रीय चित्रकार शिविर के माध्यम से यह दर्शाने का प्रयास किया जा रहा है कि भगवान राम को वैश्विक समाज सदियों से किसी न किसी रूप में मानता रहा है.
राम की सभी झलकियों को प्रदर्शित किया जा रहा
चित्रकार शिविर के साथ ही भगवान राम के चित्रों की उन सभी झलकियों को प्रदर्शित किया जा रहा है जो भारत के साथ अन्य देशों में देखने को मिलती हैं. प्राचीन भारत से लेकर मुगल काल और आधुनिक भारत तक सभी समय के भगवान राम के चित्रों को प्रदर्शित किया जा रहा है. राष्ट्रीय चित्रकार शिविर में देश की स्थित चुनिंदा चित्रकारों को शामिल किया गया है. यह चित्रकार राम के विभिन्न स्वरूपों पर आधारित पेंटिंग बना रहे हैं.
चित्र के जरिए दिया जा रहा संदेश
चित्रकार शिविर में पहुंचे हैदराबाद से चित्रकार भगवान राम और कृष्ण के दोनों स्वरूपों को एक ही पेंटिंग में पिरोकर अनोखा संदेश दिया है. इस पेंटिंग में दिखाने का प्रयास किया गया है कि अगर बेटा हो तो श्रीकृष्ण जैसा और पति हो तो भगवान राम जैसा. उत्तराखंड की पौड़ी गढ़वाल जिले में प्रचलित 500 वर्ष पुरानी रामायण परंपरा को भी चित्रकारी के जरिए प्रदर्शित किया गया है. इस परंपरा को आदिवासी समाज आज भी मनाता चला आ रहा है. राम और लक्ष्मण के अलावा अन्य देवी देवताओं के मुखौटे भी इस प्रमाण परंपरा का हिस्सा है, लेकिन इसका नाम राम के नाम पर ही पढ़ना, राम के प्रति लोगों की आस्था को प्रदर्शित करता है.
लोक में राम चित्रकारी शिविर के जरिए राम के विभिन्न आयामों को प्रदर्शित किया जा रहा है. इसमें चित्रकार अपनी कल्पना और समय के अनुरूप राम के स्वरूपों को प्रदर्शित करने का प्रयास कर रहा है. यह शिविर 5 मार्च तक चलेगा.
देवेंद्र कुमार त्रिपाठी, क्षेत्र सचिव, ललित कला अकादमी
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