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श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र में भाई चारे की अनोखी मिसाल, 25 साल से नहीं बदला मुस्लिम पार्षद

उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में स्थित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद सदियों से विवाद का विषय बनी हुई है. इसके बावजूद अयोध्या के हिंदू बाहुल्य क्षेत्र वार्ड नं. 18 में पांच बार से एक मुस्लिम पार्षद को जनता चुन रही है. इसकी बड़ी वजह से यहां का सौहार्दपूर्ण वातावरण.

अयोध्या
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Published : Nov 20, 2019, 6:32 PM IST

अयोध्या: अयोध्या में आपको कई सारी विशेषताएं देखने को मिल जाएंगी, जो इस शहर को खास बनाती हैं. अगर आपको सामाजिक सौहार्द की मिसाल देखना है तो अयोध्या जरूर आना चाहिए. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि जिस अयोध्या विवाद को सांप्रदायिकता का परिणाम बताया जाता है, उसी अयोध्या में आपको हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिलेगी. शहर का वार्ड नंबर 18, जहां श्रीराम जन्मभूमि स्थल है. यहां के पार्षद हैं हाजी असद.

हाजी असद मुस्लिम समुदाय से हैं, लेकिन अयोध्या के लिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है. हाजी असद कहते हैं कि बिना सभी के सहयोग के उनका वार्ड नं. 18 से विजयी होना संभव नहीं है. वह ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि वार्ड में महज 395 वोटर मुस्लिम समुदाय से हैं, बाकी 1800 मत हिंदुओं के हैं.

पार्षद हाजी असद से खास बातचीत.

हर बार उनके अलावा कोई न कोई एक अन्य उम्मीदवार उनके ही समुदाय से खड़ा हो जाता है, जिससे उनका वोट बंट जाता है. असद कहते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र के निवासियों में सौहार्द कोई नई बात नहीं है. आपस में मिलजुल कर रहना यहां के लोगों की संस्कृति में शामिल है. हाजी असद 25 साल से वार्ड संख्या 18 के पार्षद हैं.

इसे भी पढ़ें- अयोध्या निवासी करते हैं फैसले का सम्मान, अब भव्य मंदिर की तैयारी: सांसद लल्लू सिंह

हाजी असद का कहना है कि हर बार यहां स्थानीय चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार लड़ाए जाते हैं, लेकिन किसी की जीत नहीं होती. उनका कहना है कि उन्हें मुस्लिम समाज के साथ हिंदू समाज से भी भरपूर समर्थन मिलता है. इसी का नतीजा है कि वह पिछले 5 बार से लगातार चुनाव जीत रहे हैं.

सामाजिक सौहार्द के बारे में हाजी असद कहते हैं कि अयोध्या हमेशा से शांतिप्रिय शहर रहा है. यहां लोग मिलजुल कर रहते हैं. कुछ लोग हैं, जो सांप्रदायिकता की बात करके अपनी राजनीतिक रोटियां सेकते हैं. इस मामले को अयोध्या से बाहर मुद्दा बनाया जाता है. इसके बाद इसका राजनीतिकरण करके लाभ लिया जाता है.

अयोध्या: अयोध्या में आपको कई सारी विशेषताएं देखने को मिल जाएंगी, जो इस शहर को खास बनाती हैं. अगर आपको सामाजिक सौहार्द की मिसाल देखना है तो अयोध्या जरूर आना चाहिए. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि जिस अयोध्या विवाद को सांप्रदायिकता का परिणाम बताया जाता है, उसी अयोध्या में आपको हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिलेगी. शहर का वार्ड नंबर 18, जहां श्रीराम जन्मभूमि स्थल है. यहां के पार्षद हैं हाजी असद.

हाजी असद मुस्लिम समुदाय से हैं, लेकिन अयोध्या के लिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है. हाजी असद कहते हैं कि बिना सभी के सहयोग के उनका वार्ड नं. 18 से विजयी होना संभव नहीं है. वह ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि वार्ड में महज 395 वोटर मुस्लिम समुदाय से हैं, बाकी 1800 मत हिंदुओं के हैं.

पार्षद हाजी असद से खास बातचीत.

हर बार उनके अलावा कोई न कोई एक अन्य उम्मीदवार उनके ही समुदाय से खड़ा हो जाता है, जिससे उनका वोट बंट जाता है. असद कहते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र के निवासियों में सौहार्द कोई नई बात नहीं है. आपस में मिलजुल कर रहना यहां के लोगों की संस्कृति में शामिल है. हाजी असद 25 साल से वार्ड संख्या 18 के पार्षद हैं.

इसे भी पढ़ें- अयोध्या निवासी करते हैं फैसले का सम्मान, अब भव्य मंदिर की तैयारी: सांसद लल्लू सिंह

हाजी असद का कहना है कि हर बार यहां स्थानीय चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार लड़ाए जाते हैं, लेकिन किसी की जीत नहीं होती. उनका कहना है कि उन्हें मुस्लिम समाज के साथ हिंदू समाज से भी भरपूर समर्थन मिलता है. इसी का नतीजा है कि वह पिछले 5 बार से लगातार चुनाव जीत रहे हैं.

सामाजिक सौहार्द के बारे में हाजी असद कहते हैं कि अयोध्या हमेशा से शांतिप्रिय शहर रहा है. यहां लोग मिलजुल कर रहते हैं. कुछ लोग हैं, जो सांप्रदायिकता की बात करके अपनी राजनीतिक रोटियां सेकते हैं. इस मामले को अयोध्या से बाहर मुद्दा बनाया जाता है. इसके बाद इसका राजनीतिकरण करके लाभ लिया जाता है.

Intro:अयोध्या: राम नगरी में अयोध्या विवाद की जड़ में सांप्रदायिक ताकतें प्रभावी रहीं. इसके बावजूद राम जन्मभूमि परिसर के आसपास के क्षेत्र में इसका विशेष असर नहीं हुआ. यहां अनोखा सौहार्द दशकों से इस बात का प्रमाण है.


Body:उच्चतम न्यायालय के अयोध्या विवाद पर निर्णय के बाद राम नगरी में मंदिर बनने और इसके लिए बनाए जाने वाले ट्रस्ट पर लोगों की निगाहें टिकी हैं. ट्रस्ट में शामिल होने को लेकर अयोध्या के संतों में कुछ तथाकथित विवाद भी सामने आया है. जिसके बाद तपसी छावनी के महंत रहे परमहंस दास को पद से निष्कासित कर दिया गया है. वहीं राम जन्मभूमि परिसर में दशकों से सौहार्द की हवा निरंतर बह रही है. अयोध्या में आपको अनेकों विशेषताएं देखने को मिल जाएंगी जो इस शहर को खास बनाती हैं. अगर आपको सामाजिक सौहार्द की मिशाल देखना है तो अयोध्या आना जरूरी है. यह हम इसलिए कह रहे हैं कि जिस अयोध्या विवाद को सांप्रदायिकता का परिणाम बताया जाता है, उसके ही नाक के नीचे आपको हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिलेगी. जिस वार्ड में रामजन्म भूमि स्थल है वह शहर का वार्ड नंबर 18 है. जहां के पार्षद हाजी असद हैं. वे मुस्लिम समुदाय से हैं. अयोध्या में यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है. लेकिन अचंभा तब होता है जब वह कहते हैं कि बिना सब के सहयोग के हमारा वार्ड से विजयी होना संभव नहीं है. वह ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि वार्ड में महाजी 395 मुस्लिम समुदाय से हैं. बाकी 1800 मत हिंदुओं के हैं. हर बार उनके अलावा कोई ना कोई एक अन्य उम्मीदवार उनके ही समुदाय से खड़ा हो जाता है, जिससे उनका ओर बंट जाता है. असद कहते हैं कि राम जन्मभूमि क्षेत्र के निवासियों में सौहार्द कोई नई बात नहीं है. मिलजुल मिल जुल कर रहना यहां के लोगों की संस्कृति में शामिल है. हाजी असद 25 साल से हैं अयोध्या वार्ड संख्या 18 के पार्षद ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत के दौरान पार्षद हाजी असद का कहना है कि हर बार यहां स्थानीय चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार लड़ाई जाते हैं. लेकिन किसी की जीत नहीं होती. पार्षद का कहना है कि उन्हें मुस्लिम समाज के साथ हिंदू समाज से भी भरपूर समर्थन मिलता है. इसी का नतीजा है कि वह पिछले 5 वर्ष से लगातार वार्ड चुनाव जीत रहे हैं. पिछली बार 2 मुस्लिम वोटर से कुल मिलाकर 8 लोग चुनाव चुनावी मैदान में थे, इसके बावजूद हाजी असद की जीत हुई थी.


Conclusion:सामाजिक सौहार्द के आगे अयोध्या विवाद भी फीका हाजी असद कहते हैं कि अयोध्या हमेशा से शांतिप्रिय शहर रहा है. यह लोग मिल जुल कर रहते हैं कुछ लोग हैं, जो सांप्रदायिकता की बात करके अपनी राजनीतिक रोटियां सेकते हैं. इस मामले को अयोध्या से बाहर मुद्दा बनाया जाता है. इसके बाद इसका राजनीतिकरण कर के लाभ लिया जाता है. बाइट- हाजी असद, पार्षद, अयोध्या
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