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पालघर मॉब लिंचिंग से व्यथित है रामनगरी का संत समाज, CBI जांच की मांग - अयोध्या समाचार

पालघर मॉब लिंचिंग पर ईटीवी संवाददाता ने अयोध्या के नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास से खास बातचीत की. इस दौरान महंत रामदास ने कहा कि इस घटना से संत समाज व्यथित है. इस पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए.

palghar mob lynching
महंत रामदास.
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Published : Apr 23, 2020, 2:39 PM IST

अयोध्या: महाराष्ट्र के पालघर में हुई संतों की हत्या को लेकर संत समाज व्यथित है. इस मामले में सीआईडी जांच के बदले सीबीआई जांच की मांग की जा रही है. अयोध्या के संतों ने मामले में दोषी आरोपियों और पुलिसकर्मियों को शीघ्र सजा दिलाने की मांग की है. ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान अयोध्या के संत रामदास ने संतों की हत्या को निर्भया केस से कमतर न आंकने की हिदायत दी है.

ईटीवी भारत से संवाददाता से बात करते महंत रामदास.

महाराष्ट्रा के पालघर में दो संतों के साथ बर्बरता को लेकर आज पूरा संत समाज दुखी है. महाराष्ट्र कांदिवली से सूरत जा रहे दोनों संतों को अपने गुरु के अंतिम संस्कार में शामिल होना था. रास्ते में उन्हें एक संतरी ने रोक दिया. इस दौरान पुलिस की मौजूदगी में महाराष्ट्र के पालघर से सूरत जा रहे जूना अखाड़े के संत स्वामी कल्पवृक्ष गिरी, स्वामी सुशील गिरी और उनके ड्राइवर नीलेश तेगड़े की हत्या कर दी गई.

ये भी पढ़ें- बुलंदशहर: पालघर की घटना पर हिंदूवादी संगठन ने Email के जरिये पीएम को भेजा ज्ञापन

ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत के दौरान अयोध्या के नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि जिस प्रकार तीन से चार दिन तक स्थानीय स्तर पर प्रशासन और सरकार ने इस मामले को दबाया है, वह सवालों के घेरे में हैं. संतों का गुनाह बस इतना था कि वह अपने गुरु के अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे. इसके लिए उन्हें इतनी बड़ी सजा देना एक घृणित कार्य है.

महंत रामदास ने कहा कि इस घटना को दिल्ली के निर्भया कांड से कमतर नहीं आंकना चाहिए. उन्होंने कहा है कि मामले में दोषियों को एक साल के भीतर सजा दिलाने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए. महंत रामदास ने इसके लिए स्पेशल कोर्ट गठित करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि मामले की जांच सीबीआई से करानी चाहिए.

संतों के साथ बर्बरता पूर्ण व्यवहार को लेकर अयोध्या के संतों ने मामले में केंद्र और प्रदेश सरकार से निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा है कि शीघ्र ही दोषियों को सजा मिलनी चाहिए. घटना को लेकर अयोध्या के संत राजू दास, रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास, जनमेजय शरण, परशुराम दास और राजकुमार दास समेत कई प्रमुख संतों ने महाराष्ट्र सरकार और स्थानीय प्रशासन को सवालों के घेरे में लिया है.

अयोध्या: महाराष्ट्र के पालघर में हुई संतों की हत्या को लेकर संत समाज व्यथित है. इस मामले में सीआईडी जांच के बदले सीबीआई जांच की मांग की जा रही है. अयोध्या के संतों ने मामले में दोषी आरोपियों और पुलिसकर्मियों को शीघ्र सजा दिलाने की मांग की है. ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान अयोध्या के संत रामदास ने संतों की हत्या को निर्भया केस से कमतर न आंकने की हिदायत दी है.

ईटीवी भारत से संवाददाता से बात करते महंत रामदास.

महाराष्ट्रा के पालघर में दो संतों के साथ बर्बरता को लेकर आज पूरा संत समाज दुखी है. महाराष्ट्र कांदिवली से सूरत जा रहे दोनों संतों को अपने गुरु के अंतिम संस्कार में शामिल होना था. रास्ते में उन्हें एक संतरी ने रोक दिया. इस दौरान पुलिस की मौजूदगी में महाराष्ट्र के पालघर से सूरत जा रहे जूना अखाड़े के संत स्वामी कल्पवृक्ष गिरी, स्वामी सुशील गिरी और उनके ड्राइवर नीलेश तेगड़े की हत्या कर दी गई.

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ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत के दौरान अयोध्या के नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि जिस प्रकार तीन से चार दिन तक स्थानीय स्तर पर प्रशासन और सरकार ने इस मामले को दबाया है, वह सवालों के घेरे में हैं. संतों का गुनाह बस इतना था कि वह अपने गुरु के अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे. इसके लिए उन्हें इतनी बड़ी सजा देना एक घृणित कार्य है.

महंत रामदास ने कहा कि इस घटना को दिल्ली के निर्भया कांड से कमतर नहीं आंकना चाहिए. उन्होंने कहा है कि मामले में दोषियों को एक साल के भीतर सजा दिलाने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए. महंत रामदास ने इसके लिए स्पेशल कोर्ट गठित करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि मामले की जांच सीबीआई से करानी चाहिए.

संतों के साथ बर्बरता पूर्ण व्यवहार को लेकर अयोध्या के संतों ने मामले में केंद्र और प्रदेश सरकार से निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा है कि शीघ्र ही दोषियों को सजा मिलनी चाहिए. घटना को लेकर अयोध्या के संत राजू दास, रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास, जनमेजय शरण, परशुराम दास और राजकुमार दास समेत कई प्रमुख संतों ने महाराष्ट्र सरकार और स्थानीय प्रशासन को सवालों के घेरे में लिया है.

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