अयोध्या: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस मामले पर 17 नवंबर तक निर्णय आने की पूरी संभावनाएं हैं. वहीं अयोध्या के साधु-संतों ने इस बार श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र के विवादित परिसर में 51,000 दीप जलाने की परमिशन मांगी थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट से अब तक कोई परमिशन या किसी प्रकार का कोई जवाब नहीं मिलने पर संतों में आक्रोश बना हुआ है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए श्रीराम जन्मभूमि न्यास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने बताया कि हम किसी प्रकार का कोई टकराव सुप्रीम कोर्ट से अथवा किसी भी नियम अथवा न्यायिक क्षेत्र में नहीं चाहते हैं. यही कारण है कि हमने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नियुक्त रिसीवर से मिलकर अपना आवेदन दिया था, लेकिन किसी प्रकार का कोई जवाब नहीं मिला. अतः अब हम श्रीराम जन्मभूमि परिसर में जितना हिस्सा रामकोट का है, वहां सवा लाख दीप प्रज्वलित करने का निर्णय कर चुके हैं और यह क्षेत्रीय जनता की भी आवाज है.
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महंत कमल नयन दास ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट हमें श्रीराम लला के दरबार और टेंट में भी परमिशन नहीं दे रहा तो कोई बात नहीं, लेकिन हम इस बार श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र में दीप प्रज्वलित जरूर करेंगे. हमने अब तक इंतजार किया, जिससे कोई टकराव की स्थिति न आए. उन्होंने कहा कि हम शांतिप्रिय ढंग से अपना दीप प्रज्ज्वलन कार्यक्रम करना चाहते हैं और वह निश्चित तौर पर होगा, क्योंकि यह लोगों की मांग है. इसमें किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं है और किसी को कोई दिक्कत भी नहीं होगी.
बता दें कि एक दिन पहले ही सभी संगठनों के लिए केंद्रीय स्तर से किसी प्रकार का कोई धरना प्रदर्शन या खुशी जाहिर करने पर रोक लगाई गई थी. वहीं संतों की बैठक के बाद न्यास समिति के अध्यक्ष ने इस फैसले को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस के लिए एक नई मुसीबत बढ़ा दी है. ऐसे में यदि श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र में सवा लाख दीप जलाने के लिए लोग आगे आते हैं, तो निश्चित तौर पर इसे एक साथ संभाल पाना मुश्किल होगा, क्योंकि 26 अक्टूबर को देव दीपावाली के उपलक्ष्य में सरकार का बहुत बड़ा कार्यक्रम दीपोत्सव भी प्रस्तावित है.