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लॉकडाउन: राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने का काम प्रभावित, कार्यशाला में छाया सन्नाटा - राम जन्मभूमि

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में लॉकडाउन का असर राम मंदिर निर्माण कार्यशाला पर भी पड़ा है. यहां सन्नाटा छाया हुआ है. पत्थर तराशने वाले कारीगरों को उनके घर भेज दिया गया है. फिलहाल, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट स्थितियां सामान्य होने का इंतजार कर रहा है.

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अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में छाया सन्नाटा.
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Published : May 1, 2020, 2:37 PM IST

अयोध्या: लॉकडाउन से पहले राम जन्मभूमि पर रामलला का भव्य मंदिर बनाने की तैयारी चल रही थी. राम मंदिर में लगने वाले प्रथम तल के पत्थर तैयार भी हो चुके थे. वहीं अब मंदिर निर्माण कार्यशाला में पूरी तरह सन्नाटा छाया हुआ है. कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी में छूट होने के बावजूद कार्यशाला में रौनक कब लौटेगी, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है.

लॉकडाउन की वजह से रुका पत्थर तराशने का काम.

1992 में शुरू हुआ पत्थर तराशने का काम
रामनगरी में तत्कालीन विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद विश्व हिंदू परिषद की ओर से वर्ष 1992 में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने का काम शुरू किया गया था. शुरुआत में यहां मंदिर के लिए पत्थर तराशने का काम बहुत तेजी से शुरू किया गया. बाद में कोर्ट के आदेश के बाद यह कार्य बंद कर दिया गया. अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद विवाद पूरी तरह से समाप्त हो गया है.

'मंदिर निर्माण कार्यशाला में सन्नाटा'
आमतौर पर अयोध्या पहुंचने वाले श्रद्धालु राम मंदिर निर्माण कार्यशाला पहुंचते थे. यहां वह मंदिर निर्माण के लिए रखे पत्थरों और राम शिलाओं को देखते थे. अक्सर यहां छेनी और हथौड़ी की आवाज सुनाई देती थी, लेकिन लॉकडाउन में अब यहां पूरी तरह सन्नाटा है.

'कारीगरों को भेजा गया घर'
राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कार्यशाला में पत्थर तराशने का काम देखने वाले कारीगर व सुपरवाइजर अन्नू भाई सोमपुरा का कहना है कि कार्यशाला में पत्थर तराशने के लिए जो भी कारीगर यहां थे, सभी को उनके घर भेज दिया गया है. मौजूदा समय में पत्थर तराशने का काम बंद है. अब लॉकडाउन खुलने और ट्रस्ट के आदेश की प्रतीक्षा की जा रही है.

अयोध्या: संत की मौत को लेकर फेक न्यूज मामले में पुलिस ने शुरू की जांच

वीएचपी के मॉडल पर ऐसे बनेगा राम मंदिर
विश्व हिंदू परिषद की ओर से राम मंदिर के लिए जो मॉडल बनवाया गया था, उसी मॉडल पर राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा. मॉडल के अनुरूप बनने वाले संपूर्ण मंदिर में कुल 1 लाख 75 हजार घनफुट पत्थर लगने हैं. मंदिर के प्रथम तल पर लगने वाले कुल 106 खंभे तैयार हो चुके हैं. प्रथम मंदिर के प्रथम तल के सिंहद्वार, नित्य मंडप और रंग मंडप के लिए पत्थर तराशने का कार्य पूरा हो गया है.

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लॉकडाउन की वजह से रुका पत्थर तराशने का काम.

1992 में शुरू हुआ पत्थर तराशने का काम
रामनगरी में तत्कालीन विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद विश्व हिंदू परिषद की ओर से वर्ष 1992 में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने का काम शुरू किया गया था. शुरुआत में यहां मंदिर के लिए पत्थर तराशने का काम बहुत तेजी से शुरू किया गया. बाद में कोर्ट के आदेश के बाद यह कार्य बंद कर दिया गया. अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद विवाद पूरी तरह से समाप्त हो गया है.

'मंदिर निर्माण कार्यशाला में सन्नाटा'
आमतौर पर अयोध्या पहुंचने वाले श्रद्धालु राम मंदिर निर्माण कार्यशाला पहुंचते थे. यहां वह मंदिर निर्माण के लिए रखे पत्थरों और राम शिलाओं को देखते थे. अक्सर यहां छेनी और हथौड़ी की आवाज सुनाई देती थी, लेकिन लॉकडाउन में अब यहां पूरी तरह सन्नाटा है.

'कारीगरों को भेजा गया घर'
राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कार्यशाला में पत्थर तराशने का काम देखने वाले कारीगर व सुपरवाइजर अन्नू भाई सोमपुरा का कहना है कि कार्यशाला में पत्थर तराशने के लिए जो भी कारीगर यहां थे, सभी को उनके घर भेज दिया गया है. मौजूदा समय में पत्थर तराशने का काम बंद है. अब लॉकडाउन खुलने और ट्रस्ट के आदेश की प्रतीक्षा की जा रही है.

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वीएचपी के मॉडल पर ऐसे बनेगा राम मंदिर
विश्व हिंदू परिषद की ओर से राम मंदिर के लिए जो मॉडल बनवाया गया था, उसी मॉडल पर राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा. मॉडल के अनुरूप बनने वाले संपूर्ण मंदिर में कुल 1 लाख 75 हजार घनफुट पत्थर लगने हैं. मंदिर के प्रथम तल पर लगने वाले कुल 106 खंभे तैयार हो चुके हैं. प्रथम मंदिर के प्रथम तल के सिंहद्वार, नित्य मंडप और रंग मंडप के लिए पत्थर तराशने का कार्य पूरा हो गया है.

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