अयोध्या: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट रामलला के मंदिर निर्माण के लिए तेजी से कदम बढ़ा रहा है. ट्रस्ट मंदिर निर्माण से पहले राम मंदिर के लिए तराशे गए पत्थरों पर लगे काई को साफ करने के लिए देश की बड़ी-बड़ी कंपनियों को अयोध्या बुला रहा है. दिल्ली की केएलए कंस्ट्रक्शन कंपनी भी कार्यशाला पहुंची है. कंपनी के डायरेक्टर के साथ 2 इंजीनियर अयोध्या पहुंचे हैं. जिन्होंने अयोध्या के कार्यशाला में रखे गए पत्थरों पर लगी काई को हटाने का डेमो दिया.
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का कहना है कि मंदिर निर्माण के पहले स्टेज का कार्य किया जा रहा है. जिसमें 3 एकड़ भूमि को समतलीकरण कर दिया गया है. इसके अलावा मंदिर निर्माण के एल एंड टी कंपनी को बुलाया गया है. जिनके बड़े-बड़े उपकरण और इंजीनियर राम मंदिर निर्माण में सहायक होंगे. वहीं ट्रस्ट ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कार्यालय में रखे पत्थरों की सफाई कराने का निर्णय लिया है.
1992 में मंदिर निर्माण के लिए स्थापित की गई थी कार्यशाला
अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद वर्ष 1992 में मंदिर निर्माण के लिए कार्यशाला स्थापित की गई थी. इस कार्यशाला में पत्थरों के तराशे जाने का काम होता था. लंबे समय तक रखे जाने से पत्थरों पर डस्ट और काई जम चुकी है. ट्रस्ट अब मंदिर निर्माण कार्यशाला से राम जन्मभूमि परिसर में ले जाने से पहले पत्थरों की सफाई कराने का निर्णय लिया है. ऐसे में कंपनियों को टेंडर देने से पहले ट्रस्ट पत्थरों की सफाई के कार्य का ट्रायल करा रहा है. बेहतर परफॉर्मेंस देने वाली कंपनियों को पत्थरों को साफ करने का ठेका दिया जाएगा.
पत्थरों से काई हटाने में 3 महीने से ज्यादा समय लगेगा
केएलए कंस्ट्रक्शन कंपनी के डायरेक्टर संदीप गर्ग का कहना है कि पानी और केमिकल के माध्यम से राम मंदिर निर्माण के लिए तराशे गए पत्थरों की काई को हटाया जा सकता है. इस काम को पूरा करने में 3 महीने से ज्यादा का समय लगेगा. क्योंकि बड़े-बड़े पत्थरों को तराश कर रखा गया है. जिनको साफ करना एक बड़ा चैलेंज होगा. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने काई हटाने के लिए कंपनी से संपर्क किया था.
केलए कंपनी के डायरेक्टर संदीप गर्ग ने बताया कि पत्थरों में लगी काई को हटाने के कार्य का ट्रायल किया जा रहा है. ट्रस्ट हमारी कंपनी के कार्य को देखेगी. इसके बाद अगर एलए कंपनी को राम काज में शामिल किया जाता है तो यह हमारा सौभाग्य होगा. हालांकि अभी टेंडर नहीं मिला है. लेकिन ट्रस्ट अन्य कंपनियों से भी संपर्क कर रही है. जिनका काम अच्छा होगा उसी को कांट्रेक्ट मिलेगा.