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'रामलला' के गुनहगारों को उम्रकैद

2005 में अयोध्या के रामजन्मभूमि परिसर में हुए आतंकी हमले में 4 अभियुक्तों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. जबकि एक को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया है.

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Published : Jun 18, 2019, 9:34 PM IST

'रामलला' के गुनहगारों को उम्रकैद

प्रयागराज: 14 साल बाद एक फैसला आया और 4 अभियुक्तों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई. मामला अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में हुए आतंकी हमले का था.

'रामलला' के गुनहगारों को उम्रकैद

2005 में अयोध्या के रामजन्मभूमि परिसर में आतंकी हमला हुआ था. प्रयागराज की स्पेशल कोर्ट में मामले की सुनवाई हो रही थी. कोर्ट ने पांच में से चार अभियुक्तों को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई. जबकि एक को सबूत के अभाव में बरी कर दिया. कोर्ट ने डॉ. इरफान, मोहम्मद शकील, मोहम्मद नसीम और फारूक को उम्रकैद की सजा सुनाई है. बरी होने वाले का नाम मोहम्मद अजीज है.

11 जून को कोर्ट में मामले पर बहस पूरी हो गयी थी और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. आतंकियों ने 5 जुलाई 2005 की सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर हमला किया था. हमला करने वाले आतंकियों ने रामलला परिसर में बैरिकेडिंग को विस्फोट कर उड़ा दिया था. लेकिन राम जन्मभूमि परिसर में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने मौके पर ही पांच आतंकियों को मार गिराया था. इस हमले में दो नागरिकों की भी मौत हुई थी और सात लोग गंभीर रुप से घायल हो गये थे. हमले के दौरान मारे गये आतंकियों के पास से बरामद मोबाइल फोन और सिम की जांच के आधार पर पुलिस ने पांच लोगों को आरोपी बनाया था.

फैजाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में 19 अक्टूबर 2006 को आरोप तय किया गया था. इसके बाद 8 दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट के आदेश पर मामले की सुनवाई प्रयागराज स्थानांतरित हो गया. डॉ. इरफान के अलावा सभी अभियुक्त जम्मू कश्मीर के हैं. 14 साल बाद आये कोर्ट के फैसले ने पीड़ितों को इंसाफ की राहत जरूर दी है.

प्रयागराज: 14 साल बाद एक फैसला आया और 4 अभियुक्तों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई. मामला अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में हुए आतंकी हमले का था.

'रामलला' के गुनहगारों को उम्रकैद

2005 में अयोध्या के रामजन्मभूमि परिसर में आतंकी हमला हुआ था. प्रयागराज की स्पेशल कोर्ट में मामले की सुनवाई हो रही थी. कोर्ट ने पांच में से चार अभियुक्तों को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई. जबकि एक को सबूत के अभाव में बरी कर दिया. कोर्ट ने डॉ. इरफान, मोहम्मद शकील, मोहम्मद नसीम और फारूक को उम्रकैद की सजा सुनाई है. बरी होने वाले का नाम मोहम्मद अजीज है.

11 जून को कोर्ट में मामले पर बहस पूरी हो गयी थी और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. आतंकियों ने 5 जुलाई 2005 की सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर हमला किया था. हमला करने वाले आतंकियों ने रामलला परिसर में बैरिकेडिंग को विस्फोट कर उड़ा दिया था. लेकिन राम जन्मभूमि परिसर में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने मौके पर ही पांच आतंकियों को मार गिराया था. इस हमले में दो नागरिकों की भी मौत हुई थी और सात लोग गंभीर रुप से घायल हो गये थे. हमले के दौरान मारे गये आतंकियों के पास से बरामद मोबाइल फोन और सिम की जांच के आधार पर पुलिस ने पांच लोगों को आरोपी बनाया था.

फैजाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में 19 अक्टूबर 2006 को आरोप तय किया गया था. इसके बाद 8 दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट के आदेश पर मामले की सुनवाई प्रयागराज स्थानांतरित हो गया. डॉ. इरफान के अलावा सभी अभियुक्त जम्मू कश्मीर के हैं. 14 साल बाद आये कोर्ट के फैसले ने पीड़ितों को इंसाफ की राहत जरूर दी है.

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14 साल बाद एक फैसला आया और 4 अभियुक्तों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई. मामला  अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में हुए आतंकी हमले का था.





2005 में अयोध्या के रामजन्मभूमि परिसर में आतंकी हमला हुआ था. प्रयागराज की स्पेशल कोर्ट में मामले की सुनवाई हो रही थी. कोर्ट ने पांच में से चार अभियुक्तों को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई. जबकि एक को सबूत के अभाव में बरी कर दिया. कोर्ट ने डॉ. इरफान, मोहम्मद शकील, मोहम्मद नसीम और फारूक को उम्रकैद की सजा सुनाई है. बरी होने वाले का नाम मोहम्मद अजीज है.





11 जून को कोर्ट में मामले पर बहस पूरी हो गयी थी और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. आतंकियों ने 5 जुलाई 2005 की सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर हमला किया था. हमला करने वाले आतंकियों ने रामलला परिसर में बैरिकेडिंग को विस्फोट कर उड़ा दिया था. लेकिन राम जन्मभूमि परिसर में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने मौके पर ही पांच आतंकियों को मार गिराया था. इस हमले में दो नागरिकों की भी मौत हुई थी और सात लोग गंभीर रुप से घायल हो गये थे. हमले के दौरान मारे गये आतंकियों के पास से बरामद मोबाइल फोन और सिम की जांच के आधार पर पुलिस ने पांच लोगों को आरोपी बनाया था.





फैजाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में 19 अक्टूबर 2006 को आरोप तय किया गया था. इसके बाद 8 दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट के आदेश पर मामले की सुनवाई प्रयागराज स्थानांतरित हो गया. डॉ. इरफान के अलावा सभी अभियुक्त जम्मू कश्मीर के हैं. 14 साल बाद आये कोर्ट के फैसले ने पीड़ितों को इंसाफ की राहत जरूर दी है.


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