अयोध्या: लखनऊ में सुन्नी वक्फ बोर्ड के कई मौलानाओं और मुस्लिम पक्षकारों ने राम जन्मभूमि मामले में गुरुवार को फिर से मध्यस्थता के लिए बैठक की, लेकिन शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने इस बैठक का पुरजोर विरोध किया. उन्होंने साफतौर पर कहा कि हमें किसी भी तरह से मीडिएशन की जरूरत नहीं है, जो भी फैसला होगा वह सुप्रीम कोर्ट ही करेगा.
सुप्रीम कोर्ट है सर्वोपरि
अयोध्या से बाबरी मस्जिद पक्षकार इकबाल अंसारी ने वसीम रिजवी के विरोध की कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड को चेतावनी दी है कि किसी भी प्रकार से अब कोई बैठक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि अब हम सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मानेंगे और सुप्रीम कोर्ट ही सर्वोपरि है.
मध्यस्थता पर न दें ध्यान
उन्होंने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि किसी भी प्रकार से पक्षकार हो या विपक्षकार हो, हिंदू हो या मुस्लिम, किसी भी मीडिएशन जैसी बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए. न ही कोई बैठक करनी चाहिए. यह सभी लोग मामले को टालने का प्रयास कर रहे हैं.
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इकबाल अंसारी ने रखा अपना पक्ष
अयोध्या से बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी के अयोध्या मामले पर मध्यस्थता का विरोध करने पर जवाब देते हुए ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की.
17 अक्टूबर को पूरी हुई सुनवाई
यह मामला बाबरी मस्जिद का है. राम जन्मभूमि का है और यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. इसलिए इस पर कुछ भी कहना उचित नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट अब कुछ ही दिनों में इस पर फैसला सुनाने वाला है. 17 अक्टूबर को सुनवाई पूरी हो जाएगी, लेकिन हम चाहते हैं कि जो लोग इस पर राजनीति कर रहे हैं, टिप्पणी कर रहे हैं सुप्रीम कोर्ट इस पर ध्यान न दे और अपना फैसला सुनाए.
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मध्यस्थता को लेकर न करें बयानबाजी
जो मध्यस्थता को लेकर अलग-अलग बयानबाजी कर रहे हैं. वह इस पर वाद-विवाद न पैदा करें, जिससे कोर्ट को अपना फैसला सुनाने में दिक्कत आए, क्योंकि अब सुनवाई पूरी हो चुकी है. अब बस इंतजार है तो फैसले का और ऐसे में विवाद पैदा होने से कोर्ट अपने फैसले से डगमगा सकती है.
कोर्ट का फैसला होगा मान्य
इकबाल अंसारी ने 17 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कहा कि अगर यह फैसला उनके पक्ष में नहीं भी आता है तो भी वह खुश है क्योंकि यह मामला बाबरी मस्जिद और राम मंदिर का है. इस मामले में कोर्ट जो भी फैसला सुनाएगा वह हमें मान्य होगा.