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राम जन्मभूमि मामले पर न करें राजनीति: इकबाल अंसारी

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Published : Oct 10, 2019, 11:38 PM IST

राम जन्मभूमि मामले में 17 अक्टूबर को सुनवाई पूरी हो जाएगी. इसको लेकर एक बार फिर से राजनीति तेज हो गई है. मामले पर बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी का कहना है कि इस पर राजनीति न करें.

राम जन्मभूमि मामले पर इकबाल अंसारी का बयान.

अयोध्या: लखनऊ में सुन्नी वक्फ बोर्ड के कई मौलानाओं और मुस्लिम पक्षकारों ने राम जन्मभूमि मामले में गुरुवार को फिर से मध्यस्थता के लिए बैठक की, लेकिन शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने इस बैठक का पुरजोर विरोध किया. उन्होंने साफतौर पर कहा कि हमें किसी भी तरह से मीडिएशन की जरूरत नहीं है, जो भी फैसला होगा वह सुप्रीम कोर्ट ही करेगा.

सुप्रीम कोर्ट है सर्वोपरि
अयोध्या से बाबरी मस्जिद पक्षकार इकबाल अंसारी ने वसीम रिजवी के विरोध की कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड को चेतावनी दी है कि किसी भी प्रकार से अब कोई बैठक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि अब हम सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मानेंगे और सुप्रीम कोर्ट ही सर्वोपरि है.

राम जन्मभूमि मामले पर इकबाल अंसारी का बयान.

मध्यस्थता पर न दें ध्यान
उन्होंने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि किसी भी प्रकार से पक्षकार हो या विपक्षकार हो, हिंदू हो या मुस्लिम, किसी भी मीडिएशन जैसी बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए. न ही कोई बैठक करनी चाहिए. यह सभी लोग मामले को टालने का प्रयास कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- अयोध्या विवाद को लेकर मध्यस्थता बैठक में शामिल नहीं होगा शिया वक्फ बोर्ड

इकबाल अंसारी ने रखा अपना पक्ष
अयोध्या से बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी के अयोध्या मामले पर मध्यस्थता का विरोध करने पर जवाब देते हुए ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की.

17 अक्टूबर को पूरी हुई सुनवाई
यह मामला बाबरी मस्जिद का है. राम जन्मभूमि का है और यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. इसलिए इस पर कुछ भी कहना उचित नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट अब कुछ ही दिनों में इस पर फैसला सुनाने वाला है. 17 अक्टूबर को सुनवाई पूरी हो जाएगी, लेकिन हम चाहते हैं कि जो लोग इस पर राजनीति कर रहे हैं, टिप्पणी कर रहे हैं सुप्रीम कोर्ट इस पर ध्यान न दे और अपना फैसला सुनाए.

इसे भी पढ़ें- अयोध्या में निकली रामलला की झांकी, मुस्लिमों ने बरसाए फूल

मध्यस्थता को लेकर न करें बयानबाजी
जो मध्यस्थता को लेकर अलग-अलग बयानबाजी कर रहे हैं. वह इस पर वाद-विवाद न पैदा करें, जिससे कोर्ट को अपना फैसला सुनाने में दिक्कत आए, क्योंकि अब सुनवाई पूरी हो चुकी है. अब बस इंतजार है तो फैसले का और ऐसे में विवाद पैदा होने से कोर्ट अपने फैसले से डगमगा सकती है.

कोर्ट का फैसला होगा मान्य
इकबाल अंसारी ने 17 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कहा कि अगर यह फैसला उनके पक्ष में नहीं भी आता है तो भी वह खुश है क्योंकि यह मामला बाबरी मस्जिद और राम मंदिर का है. इस मामले में कोर्ट जो भी फैसला सुनाएगा वह हमें मान्य होगा.

अयोध्या: लखनऊ में सुन्नी वक्फ बोर्ड के कई मौलानाओं और मुस्लिम पक्षकारों ने राम जन्मभूमि मामले में गुरुवार को फिर से मध्यस्थता के लिए बैठक की, लेकिन शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने इस बैठक का पुरजोर विरोध किया. उन्होंने साफतौर पर कहा कि हमें किसी भी तरह से मीडिएशन की जरूरत नहीं है, जो भी फैसला होगा वह सुप्रीम कोर्ट ही करेगा.

सुप्रीम कोर्ट है सर्वोपरि
अयोध्या से बाबरी मस्जिद पक्षकार इकबाल अंसारी ने वसीम रिजवी के विरोध की कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड को चेतावनी दी है कि किसी भी प्रकार से अब कोई बैठक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि अब हम सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मानेंगे और सुप्रीम कोर्ट ही सर्वोपरि है.

राम जन्मभूमि मामले पर इकबाल अंसारी का बयान.

मध्यस्थता पर न दें ध्यान
उन्होंने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि किसी भी प्रकार से पक्षकार हो या विपक्षकार हो, हिंदू हो या मुस्लिम, किसी भी मीडिएशन जैसी बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए. न ही कोई बैठक करनी चाहिए. यह सभी लोग मामले को टालने का प्रयास कर रहे हैं.

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इकबाल अंसारी ने रखा अपना पक्ष
अयोध्या से बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी के अयोध्या मामले पर मध्यस्थता का विरोध करने पर जवाब देते हुए ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की.

17 अक्टूबर को पूरी हुई सुनवाई
यह मामला बाबरी मस्जिद का है. राम जन्मभूमि का है और यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. इसलिए इस पर कुछ भी कहना उचित नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट अब कुछ ही दिनों में इस पर फैसला सुनाने वाला है. 17 अक्टूबर को सुनवाई पूरी हो जाएगी, लेकिन हम चाहते हैं कि जो लोग इस पर राजनीति कर रहे हैं, टिप्पणी कर रहे हैं सुप्रीम कोर्ट इस पर ध्यान न दे और अपना फैसला सुनाए.

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मध्यस्थता को लेकर न करें बयानबाजी
जो मध्यस्थता को लेकर अलग-अलग बयानबाजी कर रहे हैं. वह इस पर वाद-विवाद न पैदा करें, जिससे कोर्ट को अपना फैसला सुनाने में दिक्कत आए, क्योंकि अब सुनवाई पूरी हो चुकी है. अब बस इंतजार है तो फैसले का और ऐसे में विवाद पैदा होने से कोर्ट अपने फैसले से डगमगा सकती है.

कोर्ट का फैसला होगा मान्य
इकबाल अंसारी ने 17 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कहा कि अगर यह फैसला उनके पक्ष में नहीं भी आता है तो भी वह खुश है क्योंकि यह मामला बाबरी मस्जिद और राम मंदिर का है. इस मामले में कोर्ट जो भी फैसला सुनाएगा वह हमें मान्य होगा.

Intro:अयोध्या। लखनऊ में सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से कई मौलानाओ और कई मुस्लिम पक्षकारों ने राम जन्मभूमि मामले में एक बार फिर से मध्यस्तता को लेकर एक बार फिर से आज बैठक की। लेकिन इस बैठक का विरोध शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने पुरजोर किया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि हमें किसी भी तरह से मेडिएशन की जरूरत नहीं है जो भी फैसला होगा वह सुप्रीम कोर्ट ही करेगा। वहीं अयोध्या से बाबरी मस्जिद पक्षकार इकबाल अंसारी ने वसीम रिजवी के विरोध की कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड को चेतावनी दी है कि किसी भी प्रकार से अब कोई बैठक नहीं होनी चाहिए क्योंकि अब हम सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मानेंगे और सुप्रीम कोर्ट ही सर्वोपरि है उन्होंने साफ कहा ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में की किसी भी प्रकार से पक्षकार हो या विपक्षकार हो, हिंदू हो या मुस्लिम किसी भी मेडिएशन जैसे बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए। न ही कोई बैठक करनी चाहिए। यह सभी लोग मामले को टालने का प्रयास कर रहे हैं।


Body:अयोध्या से बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी के अयोध्या मामले पर मध्यस्तता का विरोध करने पर जवाब देते हुए ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि यह मामला बाबरी मस्जिद का है, राम जन्मभूमि का है और यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। इसलिए इस पर कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। लेकिन कोर्ट अब कुछ ही दिनों में इस पर फैसला सुनाने वाला है। 17 अक्टूबर को सुनवाई पूरी हो जाएगी लेकिन हम चाहते हैं कि जो बहुत से लोग इस पर राजनीति कर रहे हैं। टिप्पणी कर रहे हैं। अपनी अपनी अलग अलग बात रख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट इस पर ध्यान ना दें अपना फैसला सुनाए। साथी हम उन लोगों से कहना चाहते हैं जो मध्यस्तता को लेकर अलग-अलग बयानबाजी कर रहे हैं। वह इस पर वाद विवाद ना पैदा करें। जिससे कोर्ट को अपना फैसला सुनाने में दिक्कत आए क्योंकि अब सुनवाई पूरी तरह से पूरी हो चुकी है। अब बस इंतजार है तो फैसले का और ऐसे में वाद विवाद पैदा होने से कोर्ट अपने फैसले से डगमगा सकती है। साथ ही इक़बाल अंसारी ने 17 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कहा कि अगर यह फैसला उनके पक्ष में नहीं भी आता है तो भी वह खुश है क्योंकि यह मामला बाबरी मस्जिद और राम मंदिर का है। और इस मामले में कोर्ट जो भी फैसला सुनाएगा वह हमें मान्य होगा।


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दिनेश मिश्रा
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