अयोध्या: रामनगरी में भूखे गोवंश और बंदरों को लेकर संत समाज चिंतित है. वहीं अब लाॅकडाउन के दौरान भूखे बंदरों के हिंसक होने के मामले सामने आ रहे हैं. रामनगरी में बंदरों के काटने के मामले अस्पतालों में प्रतिदिन बढ़ रहे हैं. बताया जा रहा है करीब 40 से 50 व्यक्ति प्रतिदिन अस्पतालों में बंदरों के काटने से इंजेक्शन लगवाने आ रहे हैं.
लाॅकडाउन के दौरान अगर किसी का सबसे वक्त बुरा वक्त गुजर रहा है तो वह पशु-पक्षियों का है. रामनगरी में बंदरों की संख्या अधिक है. इनका भोजन अयोध्या पहुंचने वाले श्रद्धालुओं पर निर्भर रहता है. मंदिरों और बाजारों को बंद हुए कई दिन बीत चुके हैं. इनको भोजन बिल्कुल नहीं उपलब्ध हो पा रहा है.
बंदरों के काटने के मामले बढ़े
ऐसे में रामनगरी के अस्पतालों में बंदरों के काटने के मामले बढ़ रहे हैं, जो इस ओर इशारा कर रहे हैं कि अब यह बंदर भूख के चलते हिंसक हो चुके हैं. खाने की तलाश में बंदर अब आवासीय क्षेत्रों में मकानों की छतों पर इधर-उधर भटक रहे हैं. ऐसे में भूख से तड़प रहे बंदर कई बार लोगों पर हमले भी कर रहे हैं.
हालांकि बंदरों के काटने के मामले में लॉकडाउन की भूमिका पर डॉक्टर कुछ भी कहने से हिचक रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उनका कहना है कि मौजूदा स्थिति में अयोध्या के बंदरों को भोजन नहीं मिल रहा है, जिसके चलते बंदरों के काटने के मामलों में वृद्धि हुई है. राजकीय श्रीराम चिकित्सालय के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अनिल का मानना है कि प्रतिदिन अस्पताल में बंदर के काटने से इंजेक्शन लगवाने के करीब 40 से 50 मामले सामने आ रहे हैं.
संतों ने सीएम योगी से की थी मांग
रामनगरी में भूखे गोवंश और बंदरों को लेकर संत समाज चिंतित है. वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अयोध्या के संतों और प्रशासन के बीच हुई बातचीत में संतों ने रामनगरी में भूखे बंदर और गोवंशों को लेकर चिंता जताई थी. साथ ही बंदरों और गोवंशों की भूख मिटाने का प्रबंध करने का अनुरोध किया गया था.
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संत अपने खर्चे पर खिलाने का कर रहे प्रबंध
रामनगरी में रामलला के मुख्य पुजारी और अन्य कई संत बंदरों को केले खिलाते नजर आ रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते समस्या बढ़ती जा रही है. काफी संख्या में बंदरों के लिए भोजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते संत समाज चिंतित है.