वाराणसी/अयोध्या: शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. सबसे पहले वेदों की शिक्षा महर्षि वेदव्यास ने ही दी थी, इसलिए हिन्दू धर्म में उन्हें प्रथम गुरु का दर्जा दिया गया है. आज पूरे प्रदेश में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है. इस मौके पर गुरुओं का आशीर्वाद लेने के लिए अयोध्या और वाराणसी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े.
अयोध्या में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने सरयू में स्नान के बाद राम जन्मभूमि हनुमानगढ़ी सहित प्रमुख मंदिरों में पूजन अर्चन किया. इसके बाद सभी श्रद्धालुओं ने अपने गुरुओं की आराधना की अयोध्या के सरयू तट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. शाम को मां सरयू की विशेष आरती का आयोजन होगा.
सरयू घाट पुरोहित रामाधार पांडे ने कहा कि 2 साल करोना काल में कोई भीड़ भाड़ नहीं थी. रामलला की कृपा से सब सही है और अब राम नगरी में श्रद्धालुओं का जमावड़ा है. जबसे मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ है तब से श्रद्धालुओं की अपार भीड़ पहुंच रही है. गुरु पूर्णिमा के मौके पर 3:00 बजे सुबह से ही स्नान शुरू हुआ है. श्रद्धालु स्नान करने के बाद गोदान कर रहे हैं और नागेश्वरनाथ हनुमानगढ़ी राम जन्म भूमि दर्शन पूजन कर रहे है. दर्शन पूजन का यह सिलसिला काशी में भी देखने को मिला.
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काशी में योगी मोदी को गुरु मानकर किया पूजन अर्चन
धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में महापर्व गुरु पूर्णिमा के अवसर पर एक अलग ही नजारा देखने को मिला. वाराणसी के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गुरु मानकर पूरे विधि विधान से पूजन पाठ किया. पीएम मोदी और योगी की तस्वीर को पूरे विधि विधान से तिलक लगा कर आरती से उतारा गया. उनका आशीर्वाद प्राप्त किया गया. वहीं, काशी के विभिन्न मठ मंदिरों में हर हर महादेव के साथ गुरु के जयकारे लगे. आध्यात्मिक गुरु के साथ लोगों ने अपने संगीत और वेद पुराण की शिक्षा ग्रहण करने वाले वेद पाठी ब्राह्मणों ने भी मंत्रोच्चारण के साथ अपने गुरु का वंदन किया. सभी ने फूल-माला के साथ अपने गुरु के चरणों का वन्दन श्रद्धा के साथ किया.
बता दें कि विश्व के सबसे प्राचीनतम शहर काशी में अध्ययन अध्यापन का कार्य चला रहा है. शहर में गुरु शिष्य परंपरा का एक अनोखा नाता देखा जाता है. वेद पुराण कर्मकांड के साथ संगीत की भी शिक्षा दी जाती है. गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर हर शिष्य अपने गुरु का चरण वंदन करने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश से काशी आते हैं.
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