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फसलों को जानवरों से बचाएगा 'ग्रीन लैंड माइन अलार्म' सीएस के स्टूडेंट का कमाल - Trick to protect crops from animals

गोरखपुर के एक छात्र ने जानवरों से फसलों को बचाने के लिए (Trick to protect crops from animals) एक खास डिवाइस तैयार की है. खेतों में घुमंतू जानवरों के आते ही अलार्म बजने लगेगा.

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ग्रीन लैंड माइन अलार्म
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 25, 2023, 7:01 PM IST

कंप्यूटर इन्जीनियरिंग के छात्र अविनाश वरुण ने दी जानकारी



गोरखपुर: खेतों में खड़ी फसल आवारा जानवरों से बचाने के लिए सबसे बड़ी समस्या है. इस समस्या को लेकर हो हल्ला भी खूब होता है. लेकिन, स्थाई समाधान इसका अभी तक सामने नहीं आया है. इसी समस्या को देखते हुए गीडा स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के कंप्यूटर साइंस द्वितीय वर्ष के छात्र अविनाश वरुण ने "ग्रीन लैंड माइन अलार्म" नाम से एक उपकरण बनाया है. जिससे किसान छुट्टा पशुओं से अपने खेतों मे लगे फसल की सुरक्षा कर सकेंगे. अविनाश वरुण ने बताया कि "ग्रीन लैंडमाइन" को खेतों के किनारे लगाया जा सकता है. इस डिवाइस को स्टील से बने बॉक्स में डिजाइन किया गया है. इसमें एक 3.7 वोल्ट की बैटरी लगी है, जो एक बार चार्ज करने पर 6 से 8 महीने तक काम करती है. इस उपकरण में एक स्विच सेंसर लगा है, जिस पर दबाव पड़ने पर ये एक्टिवेट हो जाता है. इसमें किसान अपना मोबाइल नम्बर सेट कर सकते हैं.

इसे भी पढ़े-बिजली के बिना भी जलेंगे दीये और झालर, पटाखे भी ऐसे जिनसे नहीं होगा प्रदूषण, इंजीनियरिंग के छात्रों का कमाल

पशु के खेत में आते ही ग्रीन सेंसर होगा एक्टिव: अविनाश अरुण ने बताया कि जैसे ही कोई पशु खेत में प्रवेश करेगा तो खेत में लगा ग्रीन सेंसर एक्टिव हो जायेगा. लाइट ब्लिन्कींग के साथ तेज अलार्म बजने लगेगा. मोबाइल में सेट किये गए किसान के नंबर पर भी कॉल भी आ जायेगी. जिससे, समय रहते जानवरों से किसान अपनी फसल की सुरक्षा कर सकेंगे. छात्र ने बताया कि ग्रीन लैंडमाइन का वजन, तकरीबन 200 ग्राम है. इसको बनाने में ट्रांसमीटर, अलार्म, लाइट, स्विच, का इस्तेमाल किया गया है. इसे बनाने में 400 रुपये का खर्च आया है. यह एक सप्ताह में बनकर तैयार हुआ है.

डिवाइस को अप्रूवल के लिए शासन को भेजा जाएगाः प्रोजेक्ट के दौरान छात्र का मार्गदर्शन करने वाले शिक्षक प्रोफेसर वी के राय का कहना है कि इसे अप्रूवल के लिए शासन को भेजा जाएगा. यदि मंजूरी मिलती है तो इसे बड़े पैमाने पर तैयार किया जा सकेगा. जो किसानों के लिए भविष्य में बेहद लाभकारी साबित हो सकता है. संस्थान के निदेशक डॉ. एन के सिंह ने बताया कि कॉलेज के इनोवेशन सेल के माध्यम से हमारे इंस्टीट्यूट के जिस छात्र ने पशुओं से किसानों के फसल की सुरक्षा के लिये इस उपकरण को बनाया है, वह अत्यंत ही सराहनीय है. इंस्टिट्यूट के छात्र नित नई खोज से अत्यधिक उत्साहित नजर आ रहे है. छात्र के इस प्रयोग से अब किसानों को पशुओं की समस्या से निजात मिल सकेगी.

यह भी पढे़-बीएचयू के छात्रों का कमाल, कबाड़ से जुगाड़ कर बनाई 40 प्रकार की मनमोहक वस्तुएं

कंप्यूटर इन्जीनियरिंग के छात्र अविनाश वरुण ने दी जानकारी



गोरखपुर: खेतों में खड़ी फसल आवारा जानवरों से बचाने के लिए सबसे बड़ी समस्या है. इस समस्या को लेकर हो हल्ला भी खूब होता है. लेकिन, स्थाई समाधान इसका अभी तक सामने नहीं आया है. इसी समस्या को देखते हुए गीडा स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के कंप्यूटर साइंस द्वितीय वर्ष के छात्र अविनाश वरुण ने "ग्रीन लैंड माइन अलार्म" नाम से एक उपकरण बनाया है. जिससे किसान छुट्टा पशुओं से अपने खेतों मे लगे फसल की सुरक्षा कर सकेंगे. अविनाश वरुण ने बताया कि "ग्रीन लैंडमाइन" को खेतों के किनारे लगाया जा सकता है. इस डिवाइस को स्टील से बने बॉक्स में डिजाइन किया गया है. इसमें एक 3.7 वोल्ट की बैटरी लगी है, जो एक बार चार्ज करने पर 6 से 8 महीने तक काम करती है. इस उपकरण में एक स्विच सेंसर लगा है, जिस पर दबाव पड़ने पर ये एक्टिवेट हो जाता है. इसमें किसान अपना मोबाइल नम्बर सेट कर सकते हैं.

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पशु के खेत में आते ही ग्रीन सेंसर होगा एक्टिव: अविनाश अरुण ने बताया कि जैसे ही कोई पशु खेत में प्रवेश करेगा तो खेत में लगा ग्रीन सेंसर एक्टिव हो जायेगा. लाइट ब्लिन्कींग के साथ तेज अलार्म बजने लगेगा. मोबाइल में सेट किये गए किसान के नंबर पर भी कॉल भी आ जायेगी. जिससे, समय रहते जानवरों से किसान अपनी फसल की सुरक्षा कर सकेंगे. छात्र ने बताया कि ग्रीन लैंडमाइन का वजन, तकरीबन 200 ग्राम है. इसको बनाने में ट्रांसमीटर, अलार्म, लाइट, स्विच, का इस्तेमाल किया गया है. इसे बनाने में 400 रुपये का खर्च आया है. यह एक सप्ताह में बनकर तैयार हुआ है.

डिवाइस को अप्रूवल के लिए शासन को भेजा जाएगाः प्रोजेक्ट के दौरान छात्र का मार्गदर्शन करने वाले शिक्षक प्रोफेसर वी के राय का कहना है कि इसे अप्रूवल के लिए शासन को भेजा जाएगा. यदि मंजूरी मिलती है तो इसे बड़े पैमाने पर तैयार किया जा सकेगा. जो किसानों के लिए भविष्य में बेहद लाभकारी साबित हो सकता है. संस्थान के निदेशक डॉ. एन के सिंह ने बताया कि कॉलेज के इनोवेशन सेल के माध्यम से हमारे इंस्टीट्यूट के जिस छात्र ने पशुओं से किसानों के फसल की सुरक्षा के लिये इस उपकरण को बनाया है, वह अत्यंत ही सराहनीय है. इंस्टिट्यूट के छात्र नित नई खोज से अत्यधिक उत्साहित नजर आ रहे है. छात्र के इस प्रयोग से अब किसानों को पशुओं की समस्या से निजात मिल सकेगी.

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