अयोध्या: राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसले को 1 वर्ष पूरा हो गया है. रामलला के पक्ष में आए इस फैसले की खुशी 9 नवंबर 2019 को जितनी थी उससे कहीं ज्यादा 1 वर्ष बीत जाने के बाद 9 नवंबर 2020 को है. इसकी वजह यह है कि पिछले वर्ष जहां सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाया था तो वहीं इस वर्ष इसी फैसले के आधार पर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण अयोध्या में राम भक्त और साधु संत इस खुशी को जाहिर नहीं कर पाए.
बता दें कि पुलिस प्रशासन द्वारा किसी भी तरह के आयोजन पर लगाई गई पाबंदी के कारण अयोध्या में कोई उत्सव कोई उल्लास नहीं मनाया जा सका. यही वजह है कि इस खास अवसर पर भी अयोध्या की दिनचर्या सामान्य रही. हालांकि फैसले की वर्षगांठ पर सुरक्षा व्यवस्था थोड़ी चुस्त-दुरुस्त जरूर नजर आई.
दीपोत्सव वर्षगांठ के लिए सबसे बड़ा उत्सव
जानकी घाट बड़ा स्थान पीठ के महंत जनमेजय शरण ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का 1 वर्ष पूर्व भी पूरे देश की जनता ने सम्मान किया था. हमने सभी की भावनाओं का आदर करते हुए कोई ऐसा कार्य नहीं किया कि इस फैसले से किसी को कोई तकलीफ पहुंचे. आज अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है, इसकी खुशी शब्दों में बयान नहीं की जा सकती है. अयोध्या के साधु संत और पूरी दुनिया भर के राम भक्त मुदित हैं. अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, इससे ज्यादा खुशी की बात और कोई नहीं हो सकती. दीपावली का पर्व भी आने वाला है अयोध्या में दीपोत्सव का कार्यक्रम भी हो रहा है. यह सारे कार्यक्रम भी उत्सवों की माला की एक कड़ी है इसलिए फैसले की वर्षगांठ पर कोई अलग उत्सव नहीं किया जा रहा है. बल्कि अयोध्या में वैसे ही महा उत्सव का आयोजन हो रहा है.
स्थानीय नागरिकों के मन में है ये मलाल
एक तरफ जहां अयोध्या के साधु संत राम मंदिर फैसले की वर्षगांठ के मौके पर बेहद खुश हैं और अयोध्या में आयोजित होने वाले आयोजनों को इसी खुशी की एक कड़ी बता रहे हैं. वहीं अयोध्या के आम लोगों में इस बात का मलाल है की कोरोना संक्रमण के चलते लगे प्रतिबंध के कारण रामलला के पक्ष में आए फैसले की वर्षगांठ पर वह कोई उत्सव नहीं मना सके. स्थानीय व्यापारी सुफल चंद्र मौर्य ने बताया कि अगर कोरोना की वजह से आयोजनों पर पाबंदी न होती तो आज अयोध्या में ऐसा उत्सव होता जैसा कभी नहीं हुआ.