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अयोध्या के संतों की मांग, सनातन धर्म का अपमान करने वाले के लिए बने बने राष्ट्रदोह जैसा कड़ा कानून - धर्म का अपमान

उदय निधि स्टालिन के सनातन धर्म पर की गई टिप्पणी का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब अयोध्या के संतों ने सनातन धर्म का अपमान करने वालों के खिलाफ राष्ट्रदोह जैसा कड़ा कानून बनाने और जल्द गिरफ्तारी की मांग की है.

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धर्म का अपमान करने पर बने राष्ट्रदोह कानून
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 11, 2023, 4:06 PM IST

जगद्गुरु रामानंदाचार्य रामदिनेशाचार्य और जगतगुरु परमहंस आचार्य ने मीडिया को दी जानकारी

अयोध्या: तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदय निधि स्टालिन के सनातन धर्म पर टिप्पणी करने के बाद विपक्ष के कई नेता इस तरह का बयान दे रहे हैं. जिसका धर्म गुरुओं ने कड़ी आपत्ति जताई है.अयोध्या के प्रमुख संतों ने धर्म के खिलाफ अनर्गल बयान देने वालों के खिलाफ कड़ा कानून बनाने की मांग की है. संतों का कहना है कि कानून ऐसा बने, जिसमें तत्काल सजा का प्रावधान हो.

राष्ट्रदोह की तरह बने कड़ा कानून: जगद्गुरु रामानंदाचार्य रामदिनेशाचार्य ने कहा कि 'सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है, जिसमें सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे भवंतु निरामया की भावना रही है. हम वसुदेव कुटुंबकम की भावना को लेकर चलने वाले लोग हैं. जिसमें सभी धर्म का सम्मान समाज के सभी वर्ग को समान अधिकार देने की भावना है. इसमें सबका कल्याण करने की बात कही गई है. लेकिन, आज के कुछ कथित नेताओं की नजर में सनातन धर्म का अपमान करना, अपने वोट बैंक की राजनीति को मजबूत करने का सबसे आसान तरीका हो गया है. ऐसे नेता समाज को बांटने का काम कर रहे हैं. अपने निजी स्वार्थ के लिए देश की बड़ी आबादी की भावनाओं को चोट पहुंचा रहे हैं. इसलिए अब जरूरी हो गया है कि एक सख्त कानून को बनाया जाए. जिससे ऐसा बयान देने वाले लोगों को गिरफ्तारी और तत्काल कड़ी सजा मिले. ऐसे लोगों के खिलाफ राष्ट्रदोह समकक्ष कानून बनाया जाना चाहिए. जिससे इस तरह के बयान देने से लोग डरे और किसी भी धर्म का अपमान ना करें'.

इसे भी पढ़े-संतों ने की उदयनिधि स्टालिन की प्रतीकात्मक तेरहवीं, बोले- सनातन धर्म का विरोध करने वाले सुधर जाएं


सनातन को समाप्त करने का तात्पर्य संविधान की हत्या: वहीं, तपस्वी छावनी के महंत जगतगुरु परमहंस आचार्य ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि 'सनातन को खत्म करने की बात करना संविधान की हत्या के जैसा ही है. डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जब संविधान लिखा था, समय उन्होंने संविधान के पहले पन्ने पर राम दरबार का चित्र अंकित किया था, जो सनातन धर्म का प्रतीक है. डॉ. अंबेडकर ने भी संविधान सभा की बैठक में यह जरूरत बताई थी की संविधान में परिवर्तन की जरूरत है. अंग्रेजों ने अपने दबाव में तमाम ऐसे नियम कानून बनाये, जिसका पालन आज भी संविधान के जरिए किया जा रहा है. जबकि हमारी संस्कृति और हमारी विचारधारा अलग है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि एक कड़ा कानून बनाकर ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, जो धर्म के बारे में इतनी गंदी मानसिकता रखते हैं. आज जो लोग सनातन धर्म को समाप्त करने की बात कर रहे हैं, वह कहीं ना कहीं संविधान को समाप्त करने की बात कह रहे हैं. क्योंकि संविधान में सनातन धर्म के प्रमुख देवता भगवान श्री राम के चित्र और राम दरबार का चित्र है. जो इस बात का प्रतीक है कि सनातन कि हमारे देश में और हमारे देश के संविधान में कितनी बड़ी भूमिका है'.


यह भी पढ़े-सनातन धर्म पर अभद्र टिप्पणी को लेकर उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ रामपुर व वाराणसी में रिपोर्ट दर्ज

जगद्गुरु रामानंदाचार्य रामदिनेशाचार्य और जगतगुरु परमहंस आचार्य ने मीडिया को दी जानकारी

अयोध्या: तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदय निधि स्टालिन के सनातन धर्म पर टिप्पणी करने के बाद विपक्ष के कई नेता इस तरह का बयान दे रहे हैं. जिसका धर्म गुरुओं ने कड़ी आपत्ति जताई है.अयोध्या के प्रमुख संतों ने धर्म के खिलाफ अनर्गल बयान देने वालों के खिलाफ कड़ा कानून बनाने की मांग की है. संतों का कहना है कि कानून ऐसा बने, जिसमें तत्काल सजा का प्रावधान हो.

राष्ट्रदोह की तरह बने कड़ा कानून: जगद्गुरु रामानंदाचार्य रामदिनेशाचार्य ने कहा कि 'सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है, जिसमें सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे भवंतु निरामया की भावना रही है. हम वसुदेव कुटुंबकम की भावना को लेकर चलने वाले लोग हैं. जिसमें सभी धर्म का सम्मान समाज के सभी वर्ग को समान अधिकार देने की भावना है. इसमें सबका कल्याण करने की बात कही गई है. लेकिन, आज के कुछ कथित नेताओं की नजर में सनातन धर्म का अपमान करना, अपने वोट बैंक की राजनीति को मजबूत करने का सबसे आसान तरीका हो गया है. ऐसे नेता समाज को बांटने का काम कर रहे हैं. अपने निजी स्वार्थ के लिए देश की बड़ी आबादी की भावनाओं को चोट पहुंचा रहे हैं. इसलिए अब जरूरी हो गया है कि एक सख्त कानून को बनाया जाए. जिससे ऐसा बयान देने वाले लोगों को गिरफ्तारी और तत्काल कड़ी सजा मिले. ऐसे लोगों के खिलाफ राष्ट्रदोह समकक्ष कानून बनाया जाना चाहिए. जिससे इस तरह के बयान देने से लोग डरे और किसी भी धर्म का अपमान ना करें'.

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सनातन को समाप्त करने का तात्पर्य संविधान की हत्या: वहीं, तपस्वी छावनी के महंत जगतगुरु परमहंस आचार्य ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि 'सनातन को खत्म करने की बात करना संविधान की हत्या के जैसा ही है. डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जब संविधान लिखा था, समय उन्होंने संविधान के पहले पन्ने पर राम दरबार का चित्र अंकित किया था, जो सनातन धर्म का प्रतीक है. डॉ. अंबेडकर ने भी संविधान सभा की बैठक में यह जरूरत बताई थी की संविधान में परिवर्तन की जरूरत है. अंग्रेजों ने अपने दबाव में तमाम ऐसे नियम कानून बनाये, जिसका पालन आज भी संविधान के जरिए किया जा रहा है. जबकि हमारी संस्कृति और हमारी विचारधारा अलग है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि एक कड़ा कानून बनाकर ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, जो धर्म के बारे में इतनी गंदी मानसिकता रखते हैं. आज जो लोग सनातन धर्म को समाप्त करने की बात कर रहे हैं, वह कहीं ना कहीं संविधान को समाप्त करने की बात कह रहे हैं. क्योंकि संविधान में सनातन धर्म के प्रमुख देवता भगवान श्री राम के चित्र और राम दरबार का चित्र है. जो इस बात का प्रतीक है कि सनातन कि हमारे देश में और हमारे देश के संविधान में कितनी बड़ी भूमिका है'.


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