अयोध्या: राम की नगरी अयोध्या में स्थित बधाई भवन एक ऐसा मंदिर है, जहां संत की गोद में भगवान बैठे हैं. यहां भगवान की पूजा से ज्यादा महत्व मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हनुमत निवास की परंपरा के सिद्ध सन्त गोमती दास महाराज की मूर्ति का है. उन्हें भगवान से भी बढ़कर माना जाता है.
गुरु को गोविंद मानकर भगवान को गोद में स्थापित कर दिया
हनुमान के विशिष्ट कृपा प्राप्त संतों में गोमती दास महाराज प्रमुख माने जाते हैं. उनकी तपस्या से प्रभावित होकर शिष्य परंपरा में कई तपस्वी संतों ने शरण ली. उनके कृपापात्र शिष्य अयोध्या सरयू शरण ने उनका जन्मदिन मनाने और बधाई गायन की अनुमति मांगी. गुरु को ही गोविंद मानकर भगवान को उनकी गोद में स्थापित कर दिया. इस पर गोमती दास महाराज ने कहा कि हमारे मंदिर हनुमत निवास में मेरे सामने यह नहीं हो सकता. इस पर उनके विशेष शिष्य अयोध्या सरयू शरण ने सहर्ष मंदिर बनाकर गुरुदेव गोमती दास की मूर्ति की स्थापना की और गुरु को ही गोविंद मानकर उनकी गोद में स्थापित कर दिया. तभी से इस मंदिर का नाम बधाई भवन रखा गया.
अयोध्या सरयू शरण महाराज ने की बधाई भवन की स्थापना
अयोध्या सरयू शरण महाराज ने बधाई भवन की स्थापना सन् 1922 में की. यह मंदिर अयोध्या के स्वर्गद्वार मुहल्ले में है. मंदिर के गर्भगृह में गोमती दास महाराज की गोद में भगवान राम-सीता, लक्ष्मन, हनुमान, लालजी, सालिग्राम विराजमान हैं. जागरण, भोग और शयन के समय गुरुपद गायन की परंपरा बधाई भवन में महंत अयोध्या सरयू शरण महाराज के शिष्य जानकी शरण महाराज 1936 से 2001 तक किया.
युवा संत राजीव लोचन शरण को सौंपी महंती
उन्होंने युवा संत राजीव लोचन शरण को 2001 में महंती सौंपी और 2003 में परलोक अर्थात सांकेतवासी हो गए. महंत राजीव लोचन शरण ने बताया कि मंदिर में प्रत्येक वर्ष वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी से तृतीया तक सात दिवसीय गोमती दास महाराज का भव्य जन्मोत्सव मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि हनुमान जयंती पर गाजे-बाजे के साथ मंदिर से हनुमानगढ़ी प्रसाद का थाल जाता है. यह गोमती दास महाराज पर हनुमान कृपा से जुड़ी विशिष्ट परंपरा है.