अयोध्या: एक ओर योगी सरकार गोसंरक्षण को लेकर गंभीर हैं, वहीं दूसरी तरफ गोशालाओं में मूलभूत सुविधाओं का न होना गोपालकों के लिए चुनौती बन गया है. मिल्कीपुर क्षेत्र स्थित कुंभी गोशाला के गोपालकों का कहना है कि उन्हें शाम होते ही अंधेरे में डर के बीच काम करना पड़ता है. यहां रोशनी तक की व्यवस्था नहीं है.
गोशाला में 100 गोवंश पूरा करने की समस्या
कुंभी गोशाला में पशुओं की देख-रेख कर रहे गोपालक धनीराम कहते हैं कि अधिकारियों ने उनसे कहा है कि गोशाला में 100 गोवंश पूरे होने पर ही उन्हें पूरा मानदेय मिलेगा. वहीं गोपालक बबलू का कहना है कि वह रात के अंधेरे में खूंखार जानवरों की देख-रेख कर अपनी ड्यूटी दे रहे हैं. इसके बावजूद उन पर गोवंश की संख्या पूरी करने का दबाव डाला जाता है. इस गोशाला की देख-रेख के लिए कुल 16 हजार रुपए हर महीने मिलने हैं. पिछले तीन महीने से एक बार मानदेय मिला है. दो महीने का पैसा मिलना बाकी है.
गोशाला में अब तक विद्युत कनेक्शन नहीं
गोशाला की स्थानीय स्तर पर व्यवस्था देख रहे कुंभी गांव के प्रधान ओमप्रकाश का कहना है कि गोशाला में करीब 65 गोवंश हैं. इनकी देख-रेख के लिए दो-तीन गोपाल को रखा गया है. गोशाला में विद्युत कनेक्शन नहीं है शीघ्र ही कनेक्शन लेने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं मानदेय के सवाल पर ओमप्रकाश का कहना है कि उन्हें ग्राम सभा के खाते से भुगतान करना है. ग्राम सचिव कुछ निजी कारणों से व्यस्त थे. इसके चलते गोपालकों को भुगतान मिलने में देरी हुई है. बकाया मानदेय को शीघ्र दिलाने का प्रयास किया जा रहा है.
गोशाला का शेड तीन ओर से खुला
एक और जूट के कोट से गोवंश को ठंड से बचाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं उनका आश्रय स्थल यानी गोशाला का शेड तीन ओर से खुला है. न तो उनके लिए पुआल उपलब्ध है और न ही कड़ाके की ठंड में सर्द हवाओं से उन्हें बचाने का कोई प्रबंध है. यह स्थिति कुंभी गोवंश आश्रय स्थल की है.
ठंड में पशुओं को सर्द हवाओं से बचाने की आवश्यकता
पशुधन प्रसार अधिकारी रमेश कुमार का कहना है कि पशुओं को ठंड से बचाने के लिए इस मौसम में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है. उनका कहना है कि ठंड के मौसम में पशु को ऐसे स्थान पर रखा जाता है, जहां हवा कम प्रवेश कर सके. जहां पर गोवंश बैठते हैं, वहां पहले से पुआल या सूखी घास डाल देनी चाहिए, जिससे जमीन के नीचे से लगने वाली ठंड से उन्हें बचाया जा सके.
पशुधन प्रसार अधिकारी लगातार गोशालाओं का निरीक्षण कर रहे हैं, लेकिन उनकी सलाह पर कितना अमल किया जा रहा है, यह देखने वाली बात है. गोशाला की मौजूदा स्थिति कड़ाके की ठंड में गोवंश की सुरक्षा में कितनी कारगर साबित होगी, इस बात का अंदाजा व्यवस्था देख कर ही लग जाता है.