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अयोध्याः डर के साए में काम करने को मजबूर गोपालक

प्रदेश की योगी सरकार गोसंरक्षण को लेकर गंभीर है. गोवंशों को ठंड से बचाने के लिए एक ओर जूट के कोट की व्यवस्था कर रही हैं, तो कहीं गोशालाओं में मूल सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं. आज हम आपको अयोध्या के मिल्कीपुर स्थित कुंभी गोशाला की तरफ ले चल रहे हैं.

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Published : Nov 28, 2019, 10:04 PM IST

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अयोध्या: एक ओर योगी सरकार गोसंरक्षण को लेकर गंभीर हैं, वहीं दूसरी तरफ गोशालाओं में मूलभूत सुविधाओं का न होना गोपालकों के लिए चुनौती बन गया है. मिल्कीपुर क्षेत्र स्थित कुंभी गोशाला के गोपालकों का कहना है कि उन्हें शाम होते ही अंधेरे में डर के बीच काम करना पड़ता है. यहां रोशनी तक की व्यवस्था नहीं है.

डर के साए में काम करने को मजबूर गोपालक.
योगी आदित्यनाथ सरकार गोशालाओं में गोवंशों को ठंड से बचाने के लिए तमाम तरीके के दावे कर रही है, लेकिन गोशालाओं की स्थिति चौंकाने वाली है. दावा गोवंश को ठंड से बचाने का है, लेकिन ईटीवी भारत की पड़ताल में जो समस्या सामने आई है, वह बेहद गंभीर है. अयोध्या जिले की अमनी अमानीगंज ब्लाक के ताल ढोली गांव की गोशाला महीनों पहले बनने के बाद बंद पड़ी है. यहां एक भी गोवंश को अब तक एंट्री नहीं दी गई है. वहीं दूसरी ओर मिल्कीपुर ब्लाक की ग्राम स्थित गौशाला में अब तक प्रकाश की व्यवस्था नहीं हो पाई है. गोपालकों का कहना है कि उन्हें एक तो अंधेरे के बीच काम करना पड़ता है. वहीं पिछले दो महीने से उन्हें मानदेय भी नहीं दिया गया है.
पढ़ेंः-अयोध्या: राम के बारातियों को जनकपुर में मिलती हैं गाली, जानिए क्या है मान्यता

गोशाला में 100 गोवंश पूरा करने की समस्या
कुंभी गोशाला में पशुओं की देख-रेख कर रहे गोपालक धनीराम कहते हैं कि अधिकारियों ने उनसे कहा है कि गोशाला में 100 गोवंश पूरे होने पर ही उन्हें पूरा मानदेय मिलेगा. वहीं गोपालक बबलू का कहना है कि वह रात के अंधेरे में खूंखार जानवरों की देख-रेख कर अपनी ड्यूटी दे रहे हैं. इसके बावजूद उन पर गोवंश की संख्या पूरी करने का दबाव डाला जाता है. इस गोशाला की देख-रेख के लिए कुल 16 हजार रुपए हर महीने मिलने हैं. पिछले तीन महीने से एक बार मानदेय मिला है. दो महीने का पैसा मिलना बाकी है.

गोशाला में अब तक विद्युत कनेक्शन नहीं
गोशाला की स्थानीय स्तर पर व्यवस्था देख रहे कुंभी गांव के प्रधान ओमप्रकाश का कहना है कि गोशाला में करीब 65 गोवंश हैं. इनकी देख-रेख के लिए दो-तीन गोपाल को रखा गया है. गोशाला में विद्युत कनेक्शन नहीं है शीघ्र ही कनेक्शन लेने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं मानदेय के सवाल पर ओमप्रकाश का कहना है कि उन्हें ग्राम सभा के खाते से भुगतान करना है. ग्राम सचिव कुछ निजी कारणों से व्यस्त थे. इसके चलते गोपालकों को भुगतान मिलने में देरी हुई है. बकाया मानदेय को शीघ्र दिलाने का प्रयास किया जा रहा है.
गोशाला का शेड तीन ओर से खुला
एक और जूट के कोट से गोवंश को ठंड से बचाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं उनका आश्रय स्थल यानी गोशाला का शेड तीन ओर से खुला है. न तो उनके लिए पुआल उपलब्ध है और न ही कड़ाके की ठंड में सर्द हवाओं से उन्हें बचाने का कोई प्रबंध है. यह स्थिति कुंभी गोवंश आश्रय स्थल की है.
ठंड में पशुओं को सर्द हवाओं से बचाने की आवश्यकता
पशुधन प्रसार अधिकारी रमेश कुमार का कहना है कि पशुओं को ठंड से बचाने के लिए इस मौसम में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है. उनका कहना है कि ठंड के मौसम में पशु को ऐसे स्थान पर रखा जाता है, जहां हवा कम प्रवेश कर सके. जहां पर गोवंश बैठते हैं, वहां पहले से पुआल या सूखी घास डाल देनी चाहिए, जिससे जमीन के नीचे से लगने वाली ठंड से उन्हें बचाया जा सके.

पशुधन प्रसार अधिकारी लगातार गोशालाओं का निरीक्षण कर रहे हैं, लेकिन उनकी सलाह पर कितना अमल किया जा रहा है, यह देखने वाली बात है. गोशाला की मौजूदा स्थिति कड़ाके की ठंड में गोवंश की सुरक्षा में कितनी कारगर साबित होगी, इस बात का अंदाजा व्यवस्था देख कर ही लग जाता है.

अयोध्या: एक ओर योगी सरकार गोसंरक्षण को लेकर गंभीर हैं, वहीं दूसरी तरफ गोशालाओं में मूलभूत सुविधाओं का न होना गोपालकों के लिए चुनौती बन गया है. मिल्कीपुर क्षेत्र स्थित कुंभी गोशाला के गोपालकों का कहना है कि उन्हें शाम होते ही अंधेरे में डर के बीच काम करना पड़ता है. यहां रोशनी तक की व्यवस्था नहीं है.

डर के साए में काम करने को मजबूर गोपालक.
योगी आदित्यनाथ सरकार गोशालाओं में गोवंशों को ठंड से बचाने के लिए तमाम तरीके के दावे कर रही है, लेकिन गोशालाओं की स्थिति चौंकाने वाली है. दावा गोवंश को ठंड से बचाने का है, लेकिन ईटीवी भारत की पड़ताल में जो समस्या सामने आई है, वह बेहद गंभीर है. अयोध्या जिले की अमनी अमानीगंज ब्लाक के ताल ढोली गांव की गोशाला महीनों पहले बनने के बाद बंद पड़ी है. यहां एक भी गोवंश को अब तक एंट्री नहीं दी गई है. वहीं दूसरी ओर मिल्कीपुर ब्लाक की ग्राम स्थित गौशाला में अब तक प्रकाश की व्यवस्था नहीं हो पाई है. गोपालकों का कहना है कि उन्हें एक तो अंधेरे के बीच काम करना पड़ता है. वहीं पिछले दो महीने से उन्हें मानदेय भी नहीं दिया गया है.
पढ़ेंः-अयोध्या: राम के बारातियों को जनकपुर में मिलती हैं गाली, जानिए क्या है मान्यता

गोशाला में 100 गोवंश पूरा करने की समस्या
कुंभी गोशाला में पशुओं की देख-रेख कर रहे गोपालक धनीराम कहते हैं कि अधिकारियों ने उनसे कहा है कि गोशाला में 100 गोवंश पूरे होने पर ही उन्हें पूरा मानदेय मिलेगा. वहीं गोपालक बबलू का कहना है कि वह रात के अंधेरे में खूंखार जानवरों की देख-रेख कर अपनी ड्यूटी दे रहे हैं. इसके बावजूद उन पर गोवंश की संख्या पूरी करने का दबाव डाला जाता है. इस गोशाला की देख-रेख के लिए कुल 16 हजार रुपए हर महीने मिलने हैं. पिछले तीन महीने से एक बार मानदेय मिला है. दो महीने का पैसा मिलना बाकी है.

गोशाला में अब तक विद्युत कनेक्शन नहीं
गोशाला की स्थानीय स्तर पर व्यवस्था देख रहे कुंभी गांव के प्रधान ओमप्रकाश का कहना है कि गोशाला में करीब 65 गोवंश हैं. इनकी देख-रेख के लिए दो-तीन गोपाल को रखा गया है. गोशाला में विद्युत कनेक्शन नहीं है शीघ्र ही कनेक्शन लेने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं मानदेय के सवाल पर ओमप्रकाश का कहना है कि उन्हें ग्राम सभा के खाते से भुगतान करना है. ग्राम सचिव कुछ निजी कारणों से व्यस्त थे. इसके चलते गोपालकों को भुगतान मिलने में देरी हुई है. बकाया मानदेय को शीघ्र दिलाने का प्रयास किया जा रहा है.
गोशाला का शेड तीन ओर से खुला
एक और जूट के कोट से गोवंश को ठंड से बचाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं उनका आश्रय स्थल यानी गोशाला का शेड तीन ओर से खुला है. न तो उनके लिए पुआल उपलब्ध है और न ही कड़ाके की ठंड में सर्द हवाओं से उन्हें बचाने का कोई प्रबंध है. यह स्थिति कुंभी गोवंश आश्रय स्थल की है.
ठंड में पशुओं को सर्द हवाओं से बचाने की आवश्यकता
पशुधन प्रसार अधिकारी रमेश कुमार का कहना है कि पशुओं को ठंड से बचाने के लिए इस मौसम में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है. उनका कहना है कि ठंड के मौसम में पशु को ऐसे स्थान पर रखा जाता है, जहां हवा कम प्रवेश कर सके. जहां पर गोवंश बैठते हैं, वहां पहले से पुआल या सूखी घास डाल देनी चाहिए, जिससे जमीन के नीचे से लगने वाली ठंड से उन्हें बचाया जा सके.

पशुधन प्रसार अधिकारी लगातार गोशालाओं का निरीक्षण कर रहे हैं, लेकिन उनकी सलाह पर कितना अमल किया जा रहा है, यह देखने वाली बात है. गोशाला की मौजूदा स्थिति कड़ाके की ठंड में गोवंश की सुरक्षा में कितनी कारगर साबित होगी, इस बात का अंदाजा व्यवस्था देख कर ही लग जाता है.

Intro:अयोध्या: योगी सरकार गौशाला में गोवंश ओं की व्यवस्था को लेकर गंभीर है. वही दूसरी ओर गौशाला में अनदेखी की कीमत कभी भी गोपाल को को चुकानी पड़ सकती है. गोपालकों का कहना है कि उन्हें शाम होते ही डर के बीच काम करना पड़ता है. यह स्थिति अयोध्या के मिल्कीपुर क्षेत्र स्थित एक गौशाला की है.


Body:उत्तर प्रदेश सरकार गौशाला के गोवंश ओं को ठंड से बचाने के लिए झूठ की व्यवस्था कर रही है. लेकिन गौशाला की स्थिति चौंकाने वाली है. दावा गोवंश को ठंड से बचाने का है, लेकिन ईटीवी भारत की पड़ताल में जो समस्या सामने आई है वह बेहद गंभीर है. एक और अयोध्या जिले की अमनी अमानीगंज ब्लाक के ताल ढोली गांव की गौशाला महीनों पहले बनने के बाद बंद पड़ी है यहां एक भी गोवंश को अब तक एंट्री नहीं दी गई है वहीं दूसरी ओर मिल्कीपुर ब्लाक की ग्राम स्थित गौशाला में अब तक प्रकाश की व्यवस्था नहीं हो पाई है. गोपाल को का कहना है कि उन्हें एक तो अंधेरी के बीच काम करना पड़ता है. वहीं पिछले 2 महीने से उन्हें मानदेय भी नहीं दिया गया है.

गौशाला में 100 गोवंश पूरा करने की समस्या
कुंभी गौशाला में पशुओं की देखरेख कर रहे गोपालक धनीराम कहते हैं कि अधिकारियों ने उनसे कहा है कि गौशाला में 100 गोवंश पूरे होने पर ही उन्हें पूरा मानदेय मिलेगा. वहीं गोपालक बबलू का कहना है कि वह रात के अंधेरे में खूंखार जानवरों की देखरेख कर अपनी ड्यूटी दे रहे हैं इसके बावजूद उन पर गोवंश की संख्या पूरी करने का दबाव डाला जाता है. इस गौशाला की की देखरेख के लिए कुल 16 हजार रुपए हर महीने मिलने हैं. पिछले 3 महीने से एक बार मानदेय मिला है. 2 महीने का पैसा मिलना बाकी है.

गौशाला में अब तक विद्युत कनेक्शन नहीं
गौशाला की स्थानीय स्तर पर व्यवस्था देख रहे कुंभी गांव के प्रधान ओमप्रकाश का कहना है कि गौशाला में करीब 65 गोवंश हैं. इनकी देखरेख के लिए दो-तीन गोपाल को को रखा गया है गौशाला में विद्युत कनेक्शन नहीं है शीघ्र ही कनेक्शन लेने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं मानदेय के सवाल पर ओमप्रकाश का कहना है कि उन्हें ग्राम सभा के खाते से भुगतान करना है. ग्राम सचिव कुछ निजी कारणों से व्यस्त थे. इसके चलते गोपालकों उनका भुगतान मिलने में देरी हुई है. बकाया मानदेय को शीघ्र दिलाने का प्रयास किया जा रहा है.

गौशाला का शेड तीन ओर से खुला
एक और जूट से गोवंश को ठंड से बचाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं उनका आश्रय स्थल यानी गौशाला का शेड तीन ओर से खुला है. ना तो उनके लिए पुआल उपलब्ध है और ना ही कड़ाके की ठंड में सर्द हवाओं से उन्हें बचाने की कोई प्रबंध हैं. यह स्थिति कुंभी गोवंश आश्रय स्थल की है.

ठंड में पशुओं को सर्द हवाओं से बचाने की आवश्यकता: पशुधन प्रसार अधिकारी
पशुधन प्रसार अधिकारी रमेश कुमार का कहना है कि पशुओं को ठंड से बचाने के लिए इस मौसम में विशेष सावधानी बरतनी की आवश्यकता होती है. उनका कहना है कि ठंड के मौसम में पशु को ऐसे स्थान पर रखा जाता है जहां हवा कम प्रवेश कर सके. जहां पर बैठते हैं वहां पहले से पुआ लिया फिर सूखी घास डाल देनी चाहिए, जिससे जमीन के नीचे से लगने वाले ठंड से उन्हें बचाया जा सके.




Conclusion:हालांकि पशुधन पशुधन प्रसार अधिकारी लगातार गौशालाओं का निरीक्षण कर रहे हैं, लेकिन उनकी सलाह पर कितना अमल किया जा रहा है यह देखने वाली बात है. गौशाला की मौजूदा स्थिति कड़ाके की ठंड में गोवंश की सुरक्षा में कितनी कारगर साबित होगी किस बात का अंदाजा व्यवस्था देख कर ही लग जाता है.
बाइट1- गौपालक
बाइट2-गौपालक
बाइट3- रमेश कुमार, पशुधन प्रसार अधिकारी
बाइट4- ओम प्रकाश, ग्राम प्रधान, कुंभी
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