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प्राचीन गौरव को प्राप्त करेगी राम नगरी! सुनिये क्या कहते हैं अयोध्या के संत - अयोध्या पौराणकि कथा

बीते 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण भूमिपूजन कार्यक्रम संपन्न हुआ था. राम नगरी के संत अब कयास लगा रहे हैं कि 500 वर्षों से रुका ये शहर अब धीरे-धीरे विकास के पथ पर अग्रसर हो रहा है. इस संबंध में अयोध्या के संतों से बातचीत की गई. देखिए ये रिपोर्ट...

महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स के तहत चल रहा कार्य.
महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स के तहत चल रहा कार्य.
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Published : Aug 9, 2020, 10:09 AM IST

अयोध्या: केंद्र और प्रदेश सरकार भी इस पौराणिक शहर के विकास को लेकर लगातार प्रयासरत है. अयोध्या को वैश्विक पटल पर स्थापित करने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार की कई योजनाएं प्रस्तावित हैं. वहीं भगवान राम के जन्म स्थान पर राम मंदिर निर्माण होने से अयोध्या अपने गौरव को पुन: प्राप्त करेगी. ऐसे में रामनगरी के संतों-महंतों से बातचीत की गई.

त्रेता के बाद द्वापर और कलयुग में भी अयोध्या अपने गौरव पर स्थापित रही. यहां बड़े-बड़े राजा महाराजा हुए. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास कहते हैं कि जिस तरह सरकार की विकास की योजनाएं चल रही हैं. अगर सब कुछ ऐसा रहा तो जल्द ही अयोध्या दीप्ति और भव्य रूप में परिवर्तित हो जाएगी.

500 वर्षों में अयोध्या का नहीं हो सका विकास
आचार्य रामानंद दास कहते हैं कि लंबे समय तक अयोध्या के आसपास का क्षेत्र उद्योग विहीन रहा है. नदी के तट के क्षेत्र बाढ़ से ग्रस्त हैं. लगातार 500 वर्षों तक चला मंदिर-मस्जिद विवाद भी अयोध्या के विकास के न होने का एक कारण है. इसी विवाद के चलते भारत के स्वतंत्र होने के बावजूद नेताओं ने इस शहर के विकास पर ध्यान नहीं दिया. अब मौजूदा सरकार अयोध्या के विकास पर विशेष ध्यान दे रही है. अब वह दिन दूर नहीं, जब यह नगर अपने खोए हुए गौरव को पुनः प्राप्त कर लेगा. राम नगरी अब विश्व के पर्यटन स्थल पर स्थापित होगी.

राम नगरी के संतों से बातचीत.

नए प्रोजेक्ट अर्थ तंत्र को करेंगे मजबूत
रामनगरी के विकास के लिए 500 करोड़ से अधिक लागत के नए प्रोजेक्ट शिक्षा योजना को तैयार किया जा रहा है. माना जा रहा है कि प्रोजेक्ट के पूरा होने पर अवध क्षेत्र की अर्थव्यवस्था सुदृण हो जाएगी. मेडिकल कॉलेज, एयरपोर्ट के निर्माण सहित अयोध्या के पर्यटन विकास व कायाकल्प की कई योजनाएं पहले से संचालित हैं.

राम मंदिर कल्याण धार्मिक और आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र बनेगा. साथ ही निवेश और विकास के सेंटर बनाने पर भी विचार किया जा रहा है. इन प्रोजेक्ट्स की शुरुआत राम मंदिर निर्माण के साथ होनी थी, लेकिन प्रधानमंत्री का दौरा व्यक्तिगत होने के चलते इसकी घोषणा नहीं की गई.

रामायण सर्किट से अयोध्या का होगा समग्र विकास
स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटन मंत्री की ओर से 13 स्थलीय आधारित पर्यटन सर्किट को विकसित किया जाना है, जिसमें से रामायण सर्किट एक है. इसके अंतर्गत उत्तर प्रदेश की अयोध्या, श्रंगवेरपुर और चित्रकूट, बिहार के सीतामढ़ी, बक्सर, दरभंगा मध्य प्रदेश में चित्रकूट, छत्तीसगढ़ में जगदलपुर, पश्चिम बंगाल में नंदीग्राम, ओडिशा में महेंद्र गिरी, तेलंगाना में भद्राचलम, तमिलनाडु में रामेश्वरम्, हंपी तमिलनाडु, नासिक और नागपुर शहरों को रेल सड़क और हवाई यात्रा मार्गों से जोड़ा जाएगा.

शहरों के बीच रेलवे कनेक्टिविटी को बेहतर की जाएगी. अगर यहां हवाई यात्रा की सुविधा नहीं है तो एयरपोर्ट विकसित किया जाएगा. भगवान राम के कदम जहां-जहां पड़े, उस स्थल को जोड़ने की योजना केंद्र और प्रदेश सरकार ने बनाई है. रामायण सर्किट के तहत अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया जाना है. इसमें भगवान राम की सबसे अधिक ऊंची 251 फिट की प्रतिमा होगी और इसके नीचे भगवान राम के जीवन चरित्र की गैलरी का विशाल म्यूज़ियम बनाया जाएगा.

अयोध्या: केंद्र और प्रदेश सरकार भी इस पौराणिक शहर के विकास को लेकर लगातार प्रयासरत है. अयोध्या को वैश्विक पटल पर स्थापित करने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार की कई योजनाएं प्रस्तावित हैं. वहीं भगवान राम के जन्म स्थान पर राम मंदिर निर्माण होने से अयोध्या अपने गौरव को पुन: प्राप्त करेगी. ऐसे में रामनगरी के संतों-महंतों से बातचीत की गई.

त्रेता के बाद द्वापर और कलयुग में भी अयोध्या अपने गौरव पर स्थापित रही. यहां बड़े-बड़े राजा महाराजा हुए. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास कहते हैं कि जिस तरह सरकार की विकास की योजनाएं चल रही हैं. अगर सब कुछ ऐसा रहा तो जल्द ही अयोध्या दीप्ति और भव्य रूप में परिवर्तित हो जाएगी.

500 वर्षों में अयोध्या का नहीं हो सका विकास
आचार्य रामानंद दास कहते हैं कि लंबे समय तक अयोध्या के आसपास का क्षेत्र उद्योग विहीन रहा है. नदी के तट के क्षेत्र बाढ़ से ग्रस्त हैं. लगातार 500 वर्षों तक चला मंदिर-मस्जिद विवाद भी अयोध्या के विकास के न होने का एक कारण है. इसी विवाद के चलते भारत के स्वतंत्र होने के बावजूद नेताओं ने इस शहर के विकास पर ध्यान नहीं दिया. अब मौजूदा सरकार अयोध्या के विकास पर विशेष ध्यान दे रही है. अब वह दिन दूर नहीं, जब यह नगर अपने खोए हुए गौरव को पुनः प्राप्त कर लेगा. राम नगरी अब विश्व के पर्यटन स्थल पर स्थापित होगी.

राम नगरी के संतों से बातचीत.

नए प्रोजेक्ट अर्थ तंत्र को करेंगे मजबूत
रामनगरी के विकास के लिए 500 करोड़ से अधिक लागत के नए प्रोजेक्ट शिक्षा योजना को तैयार किया जा रहा है. माना जा रहा है कि प्रोजेक्ट के पूरा होने पर अवध क्षेत्र की अर्थव्यवस्था सुदृण हो जाएगी. मेडिकल कॉलेज, एयरपोर्ट के निर्माण सहित अयोध्या के पर्यटन विकास व कायाकल्प की कई योजनाएं पहले से संचालित हैं.

राम मंदिर कल्याण धार्मिक और आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र बनेगा. साथ ही निवेश और विकास के सेंटर बनाने पर भी विचार किया जा रहा है. इन प्रोजेक्ट्स की शुरुआत राम मंदिर निर्माण के साथ होनी थी, लेकिन प्रधानमंत्री का दौरा व्यक्तिगत होने के चलते इसकी घोषणा नहीं की गई.

रामायण सर्किट से अयोध्या का होगा समग्र विकास
स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटन मंत्री की ओर से 13 स्थलीय आधारित पर्यटन सर्किट को विकसित किया जाना है, जिसमें से रामायण सर्किट एक है. इसके अंतर्गत उत्तर प्रदेश की अयोध्या, श्रंगवेरपुर और चित्रकूट, बिहार के सीतामढ़ी, बक्सर, दरभंगा मध्य प्रदेश में चित्रकूट, छत्तीसगढ़ में जगदलपुर, पश्चिम बंगाल में नंदीग्राम, ओडिशा में महेंद्र गिरी, तेलंगाना में भद्राचलम, तमिलनाडु में रामेश्वरम्, हंपी तमिलनाडु, नासिक और नागपुर शहरों को रेल सड़क और हवाई यात्रा मार्गों से जोड़ा जाएगा.

शहरों के बीच रेलवे कनेक्टिविटी को बेहतर की जाएगी. अगर यहां हवाई यात्रा की सुविधा नहीं है तो एयरपोर्ट विकसित किया जाएगा. भगवान राम के कदम जहां-जहां पड़े, उस स्थल को जोड़ने की योजना केंद्र और प्रदेश सरकार ने बनाई है. रामायण सर्किट के तहत अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया जाना है. इसमें भगवान राम की सबसे अधिक ऊंची 251 फिट की प्रतिमा होगी और इसके नीचे भगवान राम के जीवन चरित्र की गैलरी का विशाल म्यूज़ियम बनाया जाएगा.

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