अयोध्या: रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट मंदिर के विस्तार के लिए लगातार जमीन खरीद रहा है. एक के बाद एक जमीन की हर खरीद विवादों में फंसती जा रही है. अब एक ऐसा मामला सामने आया है कि रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने दीप नारायण उपाध्याय से नजूल की जमीन खरीद ली. इस जमीन के एवज में ट्रस्ट ने दीप नारायण को ढाई करोड़ रुपये अदा किए. हालांकि जमीन बेचने वाले ने लेन-देन में पारदर्शिता बरतने और आय पर टैक्स देने का दावा किया है.
860 वर्ग मीटर वाली जिस जमीन की खरीद पर ताजा विवाद सामने आया है, वह अयोध्या के रामकोट क्षेत्र में है. उप निबंधक कार्यालय में जमा किए गए बैनामे के दस्तावेजों के अनुसार, इस जमीन को दीप नारायण उपाध्याय ने 20 फरवरी 2021 की शाम 5:35 बजे महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य से 20 लाख रुपये में खरीदा था. दस्तावेजों में इसकी गाटा संख्या 135 थी. बैनामे के लिए 246380 रुपये स्टांप ड्यूटी अदा की गई. बताया जाता है कि रामकोट क्षेत्र की यह जमीन नजूल की भूमि थी. नजूल की भूमि पर सरकार का मालिकाना हक होता है. बावजूद इसके महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने यह जमीन महापौर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीप नारायण को बेच दी.
महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने बताया कि यह जमीन नजूल भूमि के रूप में राजस्व अभिलेखों में दर्ज थी. इसीलिए उन्होंने बेहद कम कीमत में जमीन का सौदा तय कर लिया. नजूल की इस जमीन का कुल क्षेत्रफल 9576.9 वर्ग फीट था. दीप नारायण उपाध्याय ने इसे करीब 208 रुपये प्रति वर्ग फीट की दर से खरीदा था. बाद में यह जमीन दीप नारायण के दाखिल खारिज भी हो गई.
दस्तावेजों के अनुसार, फरवरी तक इस प्रॉपर्टी की कीमत 20 लाख ही थी, क्योंकि महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने इतनी ही रकम में यह जमीन बेची थी. मगर मई आते-आते जमीन का यह टुकड़ा ढ़ाई करोड़ का हो गया. 11 मई 2021 को जमीन राजस्व अभिलेखों में दीप नारायण के नाम पर दर्ज हुई इस जमीन का बैनामा राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को किया गया. शाम 4:09 बजे ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के माध्यम से 2 करोड़ 50 लाख रुपये में नया बैनामा किया गया.
नए बैनामे के दस्तावेजों के अनुसार, बेची गई जमीन का कुल क्षेत्रफल 9253.6 वर्ग फुट है और इसकी गाटा संख्या 135 है. इस जमीन की खरीद के एवज में 17 लाख पचास हजार रुपये स्टांप ड्यूटी अदा की गई है. ट्रस्ट ने इसे 2700 रुपये प्रति वर्ग फीट की कीमत से खरीदा है. सभी पैसों का लेनदेन ट्रस्ट के खाते से पूरी पारदर्शिता के साथ किया गया है. इस जमीन की खरीद-फरोख्त में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी अनिल मिश्र और श्रीराम वल्लभा कुंज के अधिकारी राजकुमार दास गवाह के रूप में मौजूद थे.
दीप नारायण का दावा, जमीन की खरीद-फरोख्त में बरती गई पारदर्शिता
इसके अलावा दीप नारायण उपाध्याय ने एक और पैतृक जमीन राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को बेची है. दीप नारायण उपाध्याय की इस दूसरी जमीन का गाटा नंबर 36 है. इसका कुल क्षेत्रफल 676.85 वर्ग मीटर है, जिसकी मालियत 26 लाख 8 हजार रुपये आंकी गई थी. इस भूमि का बैनाम भी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को 1 करोड़ रुपये में 20 फरवरी 2021 को किया गया.
इस जमीन की बिक्री में 7 लाख रुपये स्टांप ड्यूटी अदा की गई है. एक प्रेस रिलीज जारी कर दीप नारायण उपाध्याय ने बताया कि उन्होंने अपनी इच्छा से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को बैनामा किया है. दीप नारायण उपाध्याय ने दावा किया है कि दोनों ही जमीनों की खरीद-फरोख्त में पूरी पारदर्शिता बरती गई है. उन्होंने संबंधित जमीन की खरीद पर आयकर भी जमा किया है और कहीं से कोई गड़बड़ी नहीं की गई है.
संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लगाए आरोप
आप सांसद संजय सिंह ने सोमवार को राम जन्म भूमि ट्रस्ट की जमीन के भ्रष्टाचार के दो और मामले का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि किस तरह भाजपा के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीप नारायण ने एक के बाद एक खरीदी गई, सस्ती जमीनों को राम जन्म भूमि ट्रस्ट को महंगे दामों में बेचा है. उन्होंने एक जमीन का हवाला देते हुए बताया कि 20 लाख रुपये की जमीन को दीप नारायण ने राम जन्म भूमि ट्रस्ट को ढाई करोड़ रुपये में बेच दिया गया. जबकि यह जमीन नजूल की थी, सरकारी जमीन थी जिसका भी सौदा हुआ.
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने बताया की राम जन्म भूमि ट्रस्ट के द्वारा लगातार जमीन खरीद में भारी पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. वहीं 8 दिन बीत गए हैं, अभी तक न तो कोई जांच बैठाई गई है और न ही उनके खिलाफ कोई मानहानि दर्ज कराई गई है. उन्होंने बताया एक जमीन बृजमोहन दास की थी, जिसकी मलीयत 92 लाख रुपये थी और यह जमीन 6 गुना दाम पर 5 करोड़ 60 लाख में चंपत राय को बेची गई. जबकि यही जमीन जिसकी गाटा संख्या 82 है और इसका क्षेत्रफल 380 वर्ग मीटर है. यह जमीन मार्च महीने में ही निरस्त हो गई थी. जबकि 23 मई को इसका बैनामा कर दिया गया. समझा जा सकता है कि किस तरीके से भ्रष्टाचार हुआ है.